Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़If you consider work as worship then you will attain God Premanand Maharaj gave advice to officers four districts

कार्य को पूजा मान लीजिए तो हो जाएगी भगवत प्राप्ति, प्रेमानंद महाराज ने चार जिलों के अफसरों को दिए उपदेश

  • संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) आगरा अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में वृंदावन स्थित प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे आगरा संभाग के चार जिलों के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रेमानंद महाराज ने उपदेश दिया।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, मथुरा, प्रमुख संवाददाताThu, 20 Feb 2025 10:06 PM
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कार्य को पूजा मान लीजिए तो हो जाएगी भगवत प्राप्ति, प्रेमानंद महाराज ने चार जिलों के अफसरों को दिए उपदेश

संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) आगरा अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में वृंदावन स्थित प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे आगरा संभाग के चार जिलों के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रेमानंद महाराज ने उपदेश दिया। प्रेमानंद महाराज ने कहा, अपने कार्य को ही पूजा मानकर भगवान को अर्पित कर दो तो भगवत प्राप्ति हो जाएगी। इस दौरान प्रेमानंद महाराज ने उनके सवालों के जवाब देते हुए उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया।

शुरुआत में प्रेमानंद महाराज के शिष्य ने उन्हें अधिकारियों के बारे में जानकारी दी। अधिकारियों की ओर से शिष्य ने सवाल किये और प्रेमानंद महाराज ने उनके सवालों में उपजी जिज्ञासा को शांत किया। शिष्य ने इन अधिकारियों के सवालों को रखते हुए प्रेमानंद महाराज से कहा कि आजकल बहुत सारे एक्सीडेंट केस बढ़ गये हैं। मुख्य कारण है कि एक तो नशा आदि करके गाड़ी चलाना और एक बहुत तेज गाड़ी चलाना। जिससे खुद की जान पर भी खतरा हो जाता है और दूसरे की जान को भी खतरा होता है। उसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है। इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमारी आध्यात्मिक भाषा में इसे प्रमाद स्थिति कहते हैं।

प्रमाद स्थिति तमोगुण से आती है, शराब पीने से आती है, गांजा पीने से आती है। असावधान स्थिति में अगर हम ड्राइविंग करेंगे तो इसमें हमारी ही जान नहीं कइयों की जान चली जाएगी। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि उन्हें लगता है कि जो ड्राइवर सोचते हैं कि वह शराब पीकर सफलतापूर्वक ड्राइव करेंगे तो यह उनकी बहुत गलत धारणा है। लक्ष्य तक पहुंचने में बुद्धि प्रवीण होनी चाहिये। जरा सी चूक होने पर न जाने कितने लोगों की जान जा सकती है। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि शराब पिये हुए हैं, फिल्मी गाना चल रहा है और रफ्तार से गाड़ी चला रहे हैं और अचानक उसको कंट्रोल करना पड़ा तो कंट्रोल कर ही नहीं पाएंगे, खुद भी मरेंगे और दूसरों को भी मार देंगे।

हानिकारक है नशा

संत ने सभी से प्रार्थना की कि शराब पीना और गांजा पीना आपके लिए हानिकारक है। ये न तो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, ना ही बुद्धि को सही करने वाली है, न धन को संचय करने वाली है। इसमें धन, बुद्धि, स्वास्थ्य का नाश होता है और जरा सी भी चूक हो गई तो औरों के जीवन का नाश भी यह कर देती है। इसलिए प्रार्थना है गाड़ी चलाते समय नशा न करें। अगर आप अपनी गाड़ी को कंट्रोल में चलायेंगे और दूसरा रफ्तार से चला रहा है तो पांच मिनट का अंतर पड़ता है। थोड़ी देरी बर्दाश्त करें, कम से कम अपनी और दूसरों की जान तो सुरक्षित रहेगी। रफ्तार उतनी ही रखें, जितनी सरकार एलाउ करती है कि इस रोड पर इतनी रफ्तार पर चला सकते हैं। जैसे तीर चलाने वाला लक्ष्य पर ध्यान रखता है, ऐसे आपको रोड पर ध्यान रखना है। ड्राइविंग करते समय मोबाइल से बातचीत मत करो। मोबाइल से सुनने और बोलने में वृत्ति लगती है। ऐसे में जो लक्ष्य है ड्राइविंग, उसमें हम चूक कर बैठते हैं।

ड्राइवरों को नियम सिखायें

उन्होंने अधिकारियों से सवाल किया कि कैसे चलना है, कैसे ओवरटेक करना है, यह सब हमारे ड्राइवर को जरूर सिखाये जाते होंगे, इस पर अधिकारियों ने कहा जी महाराज जी। प्रेमानंद महाराज ने फिर सवाल किया ये कानून तो होगा ही, लाइसेंस लेने पहले हमें यह जानकारी होना चाहिये कि हमारे रोड के नियम क्या हैं।

हेलमेट जरूर पहनें

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि दो पहिया में अगर हेलमेट लगाये हैं और गिर जाते हैं तो सिर की रक्षा हो जाएगी। हाथ-पैर में फ्रैक्चर हो जाएगा लेकिन बच जाएगा। अगर आप हेलमेट लगाये हैं और तो सिर सुरक्षित रहेगा। अगर दिमाग में चोट लग गयी तो जीने की आशा ही समाप्त हो जाती है। उन्होंने सवालिया अंदाज में अधिकारियों से कहा कि हमें लगता है शराब पीकर यात्रा करना तो कानूनन भी निषेध है, इस पर अधिकारियों ने कहा जी निषेध है। महाराज ने अधिकारियों से कहा इसकी अगर कड़ाई हो जाए, जैसे चेकिंग हो और अगर शराब पिये चालक मिले तो तो दंड दिया जाए, जो भी सरकारी प्रावधान हो, उसके हिसाब से जुर्माना भी करें।

अधिकारों का दुरुपोयग न करें

शिष्य ने अधिकारियों की ओर से सवाल करते हुए कहा कि महाराज जी सभी सरकारी अधिकारी, सरकारी जन हैं, महाराज इनका प्रश्न है कि ये किन-किन चीजों का ध्यान रखें जो धर्मपूर्वक, भगवत प्राप्ति और मनुष्य जीवन में सदुपयोगी हो? इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमारे शास्त्र ही इसके साक्षी हैं कि किस प्रकार चलना चाहिये। सबसे पहले तो हमें भय और प्रलोभन से, अपने धर्म से अलग नहीं होना चाहिये। किसी भी प्रलोभन में आकर हम अपने अधिकार का दुरुपयोग न करें। अगर हम गृहस्थ में हैं तो हम अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी स्त्री की ओर न देखें। जो हमें सरकारी वेतन मिलता है, उसी में जीना सीखें। कहा कि जो अधर्म का धन आयेगा, हमारे परिवार की, बच्चों की बुद्धि भ्रष्ट कर देगा। अशांति पैदा कर देगा।

कर्मयोग की दी सीख

उन्होंने कहा कि जो हमें खाली समय मिले तो नाम जप करें। राम, कृष्ण, हरि, शिव, राधा, जो नाम प्रिय हो भगवान का, उसका जप करें। जो कर्म किया उसे पूजा मानकर भगवान के चरणों में अर्पित कर दो तो कर्मयोग बन जाएगा। जैसे आप 10 घंटे कार्यालय में हैं, कार्य कर रहे हैं, जब उठे तो एक सेकेंड की बात है, भगवान की तरफ वृत्ति ले जाओ और आठ-दस घंटे के कर्म भगवान को समर्पित कर दो। यह भगवत प्राप्ति कराने वाला कर्मयोग हो जाएगा। उपदेश तभी लागू होता है जब हमारे आचरण ठीक हों। हम जो दूसरों को उपदेश सुनाने जा रहे हैं वह अपने लोगों में होने चाहिये। हम शराब न पियें, मांस न खायें, अपने पद का दुरुपयोग न करें। इसी से हमारा जीवन भगवान अपनी कृपा कर अपने चरणों में ले लेंगे और हमारा जीवन मंगलमय हो जाएगा। यदि हम भारत वर्ष में जन्मे और मनुष्य योनी में जन्मे तो जो पद मिला है, इससे बढ़कर मिले और हम और समाज की सेवा कर सकें।

हमारे ऐसे कर्म न बन जाएं कि हमें नीच योनियों में जाना पड़े। क्योंकि इतनी ऊंची चढ़ाई चढ़कर, 84 लाख योनियों में से 83 लाख 99 हजार 999 योनियों के बाद हमें ये मानव देह मिली है। बड़ी सार्थकता है कि भगवान का भजन करके अगर हमें अगला जन्म मिले और पवित्र आचरण वाला हमारा जीवन हो, हम समाज की फिर सेवा कर सकें। हम सुअर, कुत्ता न बनें, हम नाली के कीड़े न बनें। हम कीट पतंगा न बनें। मदिरापान, पर स्त्री का व्यभिचार ये महापापों में आते हैं। अगर हम इनसे बच जाएं और नाम जप करें तो हमारा मंगल हो जाए। जो कर्म करें, उसे पूजा समझें। ईमानदारी से अपनी ड्यूटी कर भगवान को समर्पित कर दो तो आरती-पूजा से बढ़कर है।

उन्होंने कहा कि महाभारत में युद्ध क्षेत्र में अर्जुन ने भगवान से कहा कि मैं सन्यास ले लूंगा, भजन करुंगा, भिक्षा मांगकर जीवन जी लूंगा लेकिन युद्ध नहीं करूंगा। तब भगवान ने कहा कि युद्ध करना ही पूजा है तुम्हारी, सन्यास नहीं। क्योंकि यह कर्तव्य है तुम्हारा। इसलिए प्राप्त कर्तव्य जो सरकार ने आपको दिया है, इसी को पूजा मान लीजिये और इस बुरे आचरण से बच जाइये तो भगवत प्राप्ति हो जाएगी और भगवान की कृपा मिल जाएगी।

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