बोले अंबेडकरनगर:गिरता जलस्तर लगातार बढ़ा रहा सिंचाई का संकट
Ambedkar-nagar News - अंबेडकरनगर में पिछले कुछ वर्षों से बारिश की कमी और गर्मी के कारण जलस्तर गिर रहा है, जिससे किसानों को सिंचाई में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। नलकूपों की खराब स्थिति और नहरों की सफाई न होने से...

अंबेडकरनगर। बीते कुछ वर्ष से समुचित बारिश न होने व आसमान से बरसती आग के चलते जलस्तर में गिरावट हो रही है। जिले के अकबरपुर व भीटी तहसील क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां जलस्तर में कमीं होने के चलते किसानों को सिंचाई में कई प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसे क्षेत्रों में नए सिर से राजकीय नलकूप की स्थापना किए जजाने की मांग समय समय पर उठती रहती है, लेकिन कोई ठोस कदम जिम्मेदार नहीं उठा रहे हैं। नतीजा यह है कि इसका खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ रहा है। जिले में लगभग चार लाख किसान हैं।
लगभग डेढ़ लाख किसान ऐसे हैं, जो नहर के पानी पर निर्भर हैं। बेहतर सिंचाई के लिए जिले में छोटी बड़ी लगभग 85 नहर व माइनर हैं। इसमें चार प्रमुख नहर हैं। इसके अलावा पांच दर्जन से अधिक राजकीय नलकूप हैं। इसमें से लगभग एक दर्जन राजकीय नलकूप ऐसे हैं, जो या तो खराब हैं या फिर अत्यंत जर्जर है। अकबरपुर तहसील के बेवाना, ससपना, अहेथा तथा भीटी के सेनपुर, महरुआ समेत आधा दर्जन गांव ऐसे हैं, जहां सिंचाई का सबसे अधिक संकट रहता है। दरअसल पूर्व के वर्षों में जब बारिश अत्यंत कम हुई थी, तो जलस्तर कम होने से इन क्षेत्रों को क्रिटिकल जोन में शामिल कर दिया गया था। हालांकि बाद में सुचारु रूप से बारिश होने पर इन्हें सामान्य ष्घोषित कर दिया गया। मौजूदा समय में आसमान से आग बरस रही है। ऐसे में संबंधित क्षेत्रों में एक बार फिर से जलस्तर में कुछ कमीं आई है। इससे सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव किसानों को सिंचाई पर पड़ रहा है। किसानों का मानना है कि यदि इसी प्रकार से भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहा, तो जलस्तर तेजी से गिर सकता है। ऐसा होने पर सिंचाई का संकट बढ़ जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता अनंराम वर्मा कहते हैं कि किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति से निपटने के लिए जिम्मेदारों को अभी से ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। जल संरक्षण कर संबंधित क्षेत्रों में जलस्तर को बनाए रखा जा सकता है। हालांकि ऐसा नहीं किया जा रहा है। किसानों के हित को देखते हुए जिम्मेदारों को ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। टेल तक नहीं पहुंचता पानी, सिंचाई की होती है मुश्किल: नहर की सुचारु रूप से साफ सफाई न होने व कभी कभी नहर में पानी कम होने से टेल तक पानी नहीं पहुंचता है। इससे नहर के पानी पर निर्भर पर किसानों को सिंचाई में कई प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, समुचित साफ सफाई न होने से अक्सर नहर में कटान हो जाती है। इससे उसके आसपास सैकड़ों बीष्घा खेत जलमग्न हो जाता है। खेत में पानी भरा रहने से इसका प्रतिकूल प्रभाव उपज पर पड़ता है। नहर व माइनर की साफ सफाई में जिम्मेदारों की रुचि न लिए जाने का खामियाजा अकसर किसानों को ही भुगतना पड़ता है। दरअसल समुचित साफ सफाई न होने से टेल तक पानी नहीं पहुंचता है। बताते चलें कि लगभग डेढ़ लाख किसान नहर के पानी पर निर्भर हैं। ऐसे में टेल तक पानी न पहुंचने या फिर समय पर नहर में पानी न आने से संबंधित किसानों को सिंचाई में कई प्रकार का संकट का सामना करना पड़ता है। धरने के बाद भी नहीं उठाया जा रहा ठोस कदम:सिंचाई से संबंधित समस्या दूर करने के लिए समय समय पर अलग अलग किसान संगठन धरना प्रदर्शन तो करते हैं, समस्या जस की तस बनी हुई है। जब भी उनके द्वारा आवाज बुलंद की जाती है, तो सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है। इससे आगे प्रक्रिया नहीं बढ़ती है। नतीजा यह है कि समस्या जस की तस बनी हुई है। किसानों के हित की लड़ाई मजबूती से अलग अलग किसान संगठन आवाज तो बुलंद करते रहते हैं, विशेष लाभ किसानों को मिल नहीं रहा है। सिंचाई के समुचित साधन उपलब्ध कराने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन जिम्मेदार कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। ब्लॉकस्तर से लेकर जिला व राज्यस्तर तक धरना प्रदर्शन भी किया जाता है,कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।सिंचाई से संबंधित समस्या लगातार बनी हुई है। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक टिकैत गुट के जिलाध्यक्ष वनिय कुमार कहते हैं कि न तो नहर की सुचारु रूप से साफ सफाई कराई जाती है न ही समय पर नहर में पानी ही डाला जाता है। इससे टेल तक पानी न पहुंचने से किसानों को सिंचाई में दिक्कत का सामना करना पडता है। नव भारतीय किसान संगठन के जिलाध्यक्ष चलाकू पाल ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राजकीय नलकूप की दशा सुधारने को लेकर जिम्मेदार तनिक भी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। नलकूपों की दशा खराब,कैसे हो सिंचाई:जिले में जगह जगह राजकीय नलकूप तो स्थापित हैं, लेकिन ज्यादातर ऐसे हैं, जो अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। देखरेख के अभाव में आधा दर्जन से अधिक राजकीय नलकूप ऐसे हैं, जो खराब हैं। इससे इसका समुचित लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। नतीजा यह है कि किसानों को निजी नलकूप की मदद लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसमें उन्हें आर्थिक चपत भी लगती है। शिकायत के बाद भी न तो खराब नलकूप को दुरुस्त यिका जा रहा है और न ही नलकूप की संख्या ही बढ़ाई जा रही है।किसानों को बेहतर तरीके से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जगह जगह राजकीय नलकूप की स्थापना तो कर दी गई, लेकिन उनकी बेहतर तरीके से देखरेख नहीं की जा रही है। नतीजा यह है कि आधा दर्जन से अधिक राजकीय नलकूप खराब हैं। इन्हें दुरुस्त कराने के लिए कई बार जिम्मेदारों से शिकायत दर्ज भी कराई गई, लेकिन सिर्फआश्वासन ही मिलता है। इससे आगे प्रक्रिया नहीं बढ़ती है। नतीजा यह है कि किसानों को सिंचाई के लिए निजी नलकूप का सहारा लेना पड़ता है। इसमें उन्हें अधिक राशि खर्च करनी पडती है। और तो और डीजल महंगा होने के चलते भी किसानों को सिंचाइ्र में बड़ी आर्थिक चपत लगती है। जलालपुर के संतराम व इंदल ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि राजकीय नलकूप को दुरुस्त करा दिया जाए, तो इसका व्यापक लाभ किसानों को मिल सकता है। हालांकि तमाम शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार की ओर से तनिक भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। बोले जिम्मेदार: नलकूप विभाग के अधिशासी अभियंता पुनीत चौधरी का इस बारे में कहना है कि सभी राजकीय नलकूप बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं। यदि कहीं से कोई शिकायत सामने आती है, तो उसे प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित किया जाता है। सिंचाई से संबंधित किसी भी प्रकार की दिक्कत किसानों को न हो, इसके लिए सभी जरूरी कदम लगातार उठाए जा रहे हैं। जिले में कुल 550 नलकूप हैं, इनमें आठ बंद हैं।
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