मोदी सरकार कलयुगी प्रोफेशनल सरकार, देश में फिर होगा बड़ा किसान आंदोलन; राकेश टिकैत का ऐलान
हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 18 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार से कहा है कि उन्हें तुरंत डॉक्टरी मदद उपलब्ध कराई जाए।
पंजाब-हरियाणा के खनौरी बार्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरणाव्रत आज (शुक्रवार, 13 दिसंबर) अठारहवें दिन भी जारी रहा। उनकी सेहत की जानकारी लेने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, हरिंदर सिंह लक्खोवाल समेत पांच किसान नेता शुक्रवार को वहां पहुंचे। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए
राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार कलयुग की प्रोफेशनल सरकार है। उन्होंने कहा कि देश में एक बार फिर बड़ा आंदोलन होगा। पंजाब के खनौरी व शंभु बार्डर पर चल रहा आंदोलन दिल्ली आंदोलन से भी बड़ा होगा लेकिन यह तब होगा, जब सभी संगठन एकजुट होंगे।
कत्लेआम पर सरकार को कोई दर्द नहीं होता
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार पूंजीवादियों की सरकार है और जो सरकार कत्लेआम पर बनी हो, उसे कोई दर्द नहीं होता। दर्द उसे होता है, जिसमें कोई रहम हो। एसकेएम व अन्य संगठनों को बैठकर इस किसान आंदोलन पर चर्चा करनी चाहिए। सभी राज्यों के किसानों को एकजुट होना होगा। इसे पूरे देश का आंदोलन बनाना होगा। हम सब लोग साथ में हैं। अगर सरकार अपनी जिद पर हैं, तो हम भी अपने मोर्चे पर डटे हैं।
जिंदगी आंदोलन से कहीं ज्यादा जरूरी: सुप्रीम कोर्ट
हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 18 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार से कहा है कि उन्हें तुरंत डॉक्टरी मदद उपलब्ध कराई जाए। डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर चिंता जाहिर करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मानव जीवन आंदोलन से अधिक कीमती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को किसान को जबरन अनशन तोड़ने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, "उन्हें जबरन अनशन तोड़ने के लिए मजबूर न करें लेकिन डल्लेवाल को मेडिकल सहायता दें और जरूरी हो तो उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराया जाए।" शंभू बॉर्डर खुलवाने को लेकर चल रहे केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी ने भी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
अनशन तुड़वाने के लिए बल प्रयोग न किया जाए
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि वे किसान नेता डल्लेवाल को तुरंत मेडिकल सहायता दिलाएं और उन्हें आमरण अनशन तोड़ने के लिए राजी कराएं लेकिन इस मामले में किसी तरह का बल प्रयोग न करें। बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह से यह तय करने को कहा कि डल्लेवाल के आमरण अनशन को तोड़ने के लिए उनके खिलाफ कोई बल प्रयोग न किया जाए। जरूरत पड़ने पर डल्लेवाल को तत्काल इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ या पटियाला शहर में ट्रांसफर किया जा सकता है।
डल्लेवाल की हालत बेहद नाजुक
डल्लेवाल के मरणव्रत को आज 18वां दिन है। उनकी तबीयत लगातार गिरती जा रही है। वह कैंसर के मरीज भी हैं। डॉक्टरों की टीम ने उनकी जांच के बाद कहा था कि उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। उनका 12 किलो वजन गिर चुका है। उनकी किडनी और लीवर किसी भी वक़्त फेल हो सकता है और हार्ट अटैक भी हो सकता है। उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लगातार कम हो रहा है।
प्रधानमंत्री को लिखा था खत, खून से किए साइन
एक दिन पहले डल्लेवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने अपने खून से साइन किए हैं। उन्होंने पत्र में केंद्र सरकार से किए वादे पूरे करने की मांग की है और कहा है कि अगर एमएसपी और किसानों की और मांगें तुरंत पूरी की जाएं। डल्लेवाल ने लेटर में लिखा कि या तो किया गया वादा पूरा करें या फिर मेरी कुर्बानी लेने के लिए तैयार रहें। अगर मेरी मौत हुई तो इसकी जिम्मेदारी आपकी होगी।
(रिपोर्ट: मोनी देवी)
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