जबरन वसूली में लगे मणिपुर के 350 उग्रवादी गिरफ्तार
मणिपुर में उग्रवादियों की जबरन वसूली से त्रस्त जनता की सुरक्षा के लिए बलों ने कार्रवाई की है। राज्य के विभिन्न हिस्सों से 350 से अधिक उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया। ये उग्रवादी वैवाहिक विवादों और...

इंफाल/नई दिल्ली। हिंसा के अलावा उग्रवादियों की जबरन वसूली से त्रस्त मणिपुर में सुरक्षा बलों ने बड़ी कार्रवाई की है। उसने राज्य के अलग-अलग हिस्सों से इस कृत्य में शामिल 350 से अधिक उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है। उग्रवादियों के ये गिरोह घाटी में वैवाहिक और संपत्तियों के विवाद सुलझाने के नाम पर वसूली करते थे। साथ ही सरकारी ठेकों में व्यापारियों से कट (हिस्सा) मांगते थे। इसी तरह ये उग्रवादी व्यक्तिगत और पारिवारिक झगड़े को सुलझाते थे और लोगों के उनके फैसले मानने पड़ते थे। इन उग्रवादियों ने पूरी घाटी में हर 'समाधान' की एक कीमत तक कर रखी थी।
अधिकारियों ने रविवार को बताया कि इन विद्रोहियों को इस साल फरवरी के मध्य में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद उठाया गया। राज्यपाल प्रशासन की ओर से आम जनता को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी जबरन वसूली के प्रयास की सूचना पुलिस को दें। साथ ही चेतावनी जारी की गई है कि विद्रोहियों की मदद करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए 350 से अधिक लोगों के खिलाफ जांच से पता चलता है कि राष्ट्रपति शासन के लागू होने के बाद से सुरक्षा बलों की कार्रवाई से उग्रवादी समूह धन के लिए परेशान थे। ऐसे में वे वसूली के अलग-अलग तरीके अपना रहे थे। संगठन के लिए वसूली अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में मणिपुर पुलिस ने इंफाल ईस्ट से 'टाइगर' नाम के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया। वह एक दूल्हा-दुल्हन के परिवार के सदस्यों के साथ वैवाहिक विवाद को सुलझाने में लगा था। बाद में उसकी पहचान प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के लैशराम रमेश सिंह के रूप में हुई। उसने पुलिस को बताया कि वह संगठन के वित्त अनुभाग में काम कर रहा है। उसने धमकियां देकर सरकारी अधिकारियों से पैसे वसूलने के अलावा, विभिन्न निविदाओं में व्यापारिक घरानों से ‘कट वसूली को भी स्वीकार किया। उसके पास से दो मोबाइल और जबरन वसूली के 21.50 लाख रुपये बरामद हुए। पीड़ितों को कोड देकर मांगते थे रकम जानकारी के अनुसार उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर राज्य से फर्जी दस्तावेजों पर सिम खरीदते थे। उनका उपयोग करके व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि से लोगों को धमकी दी जाती। पीड़ितों को सीमा पार से कॉल आती थी और उन्हें कोड दिए जाते। साथ ही निर्देश दिया जाता था कि जो कोई व्यक्ति कोड बताए, उसे तय रकम सौंप दें। कुछ संदिग्ध सिविल सोसायटी से जुड़े थे। वे जबरन वसूली की रकम को एकत्र करते और अपना हिस्सा लेकर उग्रवादी समूहों तक पहुंचा देते। मैतेई और कुकी दोनों के उग्रवादी लिप्त एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में शांति के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। पर उग्रवादियों की जबरन वसूली के नए-नए तरीके भी सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती थी। इसमें मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के उग्रवादी लिप्त थे। यह वसूली मुख्य रूप से प्रतिबंधित संगठन यूएनएलएफ, पीएलए, केवाईकेएल और पीआरईपीएके के कैडरों द्वारा की जा रही थी। -------------
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