जस्टिस के घर नकदी मिलने का मामला: तीन जजों की कमेटी ने जस्टिस वर्मा के घर का किया दौरा
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन जजों की एक समिति ने जांच शुरू कर दी है। समिति ने जस्टिस वर्मा के आवास का दौरा किया, जहां आग बुझाने के दौरान नकदी बरामद होने का...

- करीब 40 से 45 मिनट तक आवास के अंदर रही कमेटी
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए गठित तीन जजों की कमेटी ने मंगलवार को औपचारिक रूप से जांच शुरू कर दी है। तीन अगल-अलग हाईकोर्ट के जजों की इन हाउस कमेटी ने मंगलवार को जस्टिस वर्मा के आवास का दौरा किया। आवास के उस जगह का मुआयना किया, जहां आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की बात सामने आई थी।
देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने शनिवार को समिति का गठन किया था। तीन जजों की समिति मंगलवार को जस्टिस वर्मा के 30, तुगलक क्रिसेंट स्थित आधिकारिक आवास पर पहुंची। करीब 40 से 45 मिनट तक अंदर रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कमेटी ने जस्टिस वर्मा के आवास के उस स्टोर रूम का मुआयना किया, जहां 14 मार्च को देर रात करीब 11:30 बजे आग लगी थी और आग बुझाने के दौरान वहां से नोटों की चार से पांच अधजली बोरियां पाई गई थीं। हालांकि, इस बात का पता नहीं चल पाया है कि जब कमेटी वहां पहुंची तो जस्टिस वर्मा अपने आवास पर मौजूद थे या नहीं।
जस्टिस वर्मा से भी पूछताछ करेगी कमेटी
कमेटी जस्टिस वर्मा से भी पूछताछ करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में पेश प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में उन्होंने साफतौर पर कहा है कि उनके आवास के स्टोर रूम से कथित तौर पर जो रुपये बरामद होने का दावा किया जा रहा, उन रुपयों से उनका या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का कोई लेना-देना नहीं है। जस्टिस वर्मा ने कहा कि आग बुझाने के बाद उनके परिवार के किसी भी सदस्य को मौके पर रुपये होने के बारे में न तो कोई जानकारी दी गई और न दिखाया गया। उन्होंने अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जताई है।
घटनास्थल पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों-कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी
हालांकि, सूत्रों ने कहा है कि इस मामले में समिति जस्टिस वर्मा के घर पर तैनात सुरक्षाकर्मियों, कर्मचारियों के अलावा उन अग्निशमन और पुलिस अधिकारियों से भी पूछताछ करेगी, जो आग बुझाने के दौरान वहां मौजूद थे। इसके अलावा, सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को भी समिति में पूछताछ हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी जांच की प्रोटोकॉल तय कर रही है।
तस्वीरें और वीडियो मुहैया कराई गई
जस्टिस वर्मा के घर लगी आग के बारे में सबसे पहले, उनके एक कर्मचारी ने ही पुलिस को सूचना दी थी और इसी के आधार पर दमकल और पुलिस की गाड़ी आग बुझाने पहुंची थी। सूत्रों ने बताया कि कमेटी को इस मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के साथ-साथ सभी तस्वीरें और वीडियो भी मुहैया करा दी गई है।
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दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात करेगी
सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमेटी इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा से भी बात कर सकती है, क्योंकि जस्टिस वर्मा के घर लगी आग और भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बारे में पुलिस आयुक्त ने ही दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय को 15 मार्च की शाम करीब 4:45 बजे सूचना दी थी। बाद में, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय के आग्रह पर पुलिस आयुक्त ने आग बुझाने के दौरान नकदी बरामद होने के बारे में तस्वीरें और वीडियो उन्हें भेजी थी। इस बारे में, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने सीजेआई को सौंपी अपनी रिपोर्ट में विस्तार से जानकारी दी है। सूत्रों ने कहा कि ऐसे में कमेटी, मामले में पुलिस आयुक्त अरोड़ा से भी बातचीत करके जांच को आगे बढ़ाएगी। सीजेआई संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए 22 मार्च को जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन अलग-अलग हाईकोर्ट के जजों की कमेटी बनाई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रारंभिक जांच के बाद पहली नजर में इस मामले की गहन जांच की जरूरत है।
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यह है तीन सदस्यीय समिति
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन।
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