10 साल से नहीं खुला था खाता, कैसे जाट सीटों पर भाजपा को मिली जीत; क्या रहे जीत के कारण
Delhi Chunav Natije: दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने वाली है। चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल ने जाट कार्ड खेला था। उन्होंने पीएम मोदी को इसे लेकर एक पत्र लिखा था। हालांकि उनकी कोशिश नाकाम रही और सभी 10 सीटें भाजपा के खाते में आई हैं।

Delhi Chunav Natije: दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने वाली है। चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल ने जाट कार्ड खेला था। उन्होंने पीएम मोदी को इसे लेकर एक पत्र लिखा था। हालांकि उनकी कोशिश नाकाम रही और सभी 10 सीटें भाजपा के खाते में आई हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन सीटों पर पिछले दो चुनावों में पार्टी खाता नहीं खोल पाई थी। पार्टी पदाधिकारियों ने भाजपा को मिले जाटों के समर्थन के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें ग्रामीण समस्याओं के समाधान पर पार्टी का ध्यान और कई जाट पदाधिकारियों को टिकट देना शामिल है।
गांवों के प्रतिनिधियों ने भाजपा सपोर्ट का किया था ऐलान
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि जाट बहुल इलाकों में कई समस्याएं हैं, जैसे रजिस्ट्री, खस्ताहाल सिविक इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत। भाजपा सूत्र ने कहा, 'डीडीए के जरिए और उपराज्यपाल के सहयोग से कुछ काम हुआ। जाटों को एहसास हुआ कि केंद्र सरकार की सहायता उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जो अबतक नहीं हो रहा था।' चुनाव से कुछ दिन पहले दिल्ली के सभी 360 गांवों के प्रतिनिधियों ने भाजपा को अपना समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने यह फैसला दिल्ली सरकार के प्रति असंतोष की वजह से लिया जो ग्रामीण समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को हल नही कर पाई।
बयानबाजी का आप को नहीं मिला फायदा
टीओआई से बातचीत में एक अन्य भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि प्रवेश वर्मा को टिकट देने से भी जाटों को अपने साथ लाने में मदद मिली, क्योंकि इससे समुदाय, खासकर युवा भाजपा के पक्ष में एकजुट हुए। उन्होंने कहा कि जब आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले अपने एनजीओ के जरिए महिलाओं को पैसे देने की वजह से वर्मा को देशद्रोही कहा था, तब हुई तीखी बयानबाजी का आप को फायदा नहीं मिला। भाजपा पदाधिकारी ने कहा, 'जब केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवेश वर्मा को निशाना बनाते हुए व्यक्तिगत बयान दिए, तो उन्होंने इसे जाट मुद्दा भी बना दिया।'
केजरीवाल पर पलटवार
इसके अलावा, जब वर्मा को केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से उतारा गया, तो यह मुकाबला व्यक्तित्वों की लड़ाई बन गया, जिसकी वजह से भाजपा को जाटों का मजबूत समर्थन मिला। भाजपा ने बाहरी दिल्ली की सीटों पर भी जीत हासिल की, जो कभी प्रवेश के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा का गढ़ हुआ करती थीं। एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि वरिष्ठ जाट पदाधिकारियों के चुनाव लड़ने से विभिन्न तरीकों से पार्टी को मदद मिली। जब केजरीवाल ने जाट आरक्षण का मुद्दा उठाया, तो इन पदाधिकारियों ने तुरंत जवाब दिया कि अगर आप इसे लेकर गंभीर थी तो उसे पहले विधानसभा में प्रस्ताव लाना चाहिए था, जब वह सत्ता में थी, लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं किया।
दिल्ली में 10 सीटों पर है जाट समुदाय का दबदबा
मुंडका, नजफगढ़, नांगलोई जाट, मटियाला, बिजवासन, महरौली, बवाना, नरेला, रिठाला और विकासपुरी