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पाक के मददगार तुर्की को पहला बड़ा झटका, 9 हवाई अड्डों पर सेवा देने वाली कंपनी पर सरकार का ऐक्शन

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को ड्रोन मुहैया कराने वाले तुर्की के खिलाफ देशभर में रोष है और लोग बॉयकॉट टुर्की की मुहिम चला रहे हैं। सरकार भी ताबड़तोड़ ऐक्शन लेते हुए तुर्की को सबक सिखा रही है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 15 May 2025 08:20 PM
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पाक के मददगार तुर्की को पहला बड़ा झटका, 9 हवाई अड्डों पर सेवा देने वाली कंपनी पर सरकार का ऐक्शन

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपने दोस्त पाकिस्तान की मदद करने और उसका समर्थन करने पर तुर्की के खिलाफ भारत ने कड़ा ऐक्शन लिया है। उसे बड़ा सबक सिखाते और झटका देते हुए ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी ने भारत के नौ प्रमुख हवाई अड्डों पर सेवा देने वाली तुर्की की एक कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आज शाम अपने एक आदेश में कहा कि सेलेबी ग्राउंड हैंडलिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को मिली सुरक्षा मंजूरी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में तत्काल प्रभाव से रद्द की जाती है।

तुर्की स्थित सेलेबी की इकाई सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया, नौ हवाई अड्डों - मुंबई, दिल्ली, कोचीन, कन्नूर, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा (जीओएक्स), अहमदाबाद और चेन्नई में सेवाएं प्रदान करती है। नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो ने एक आदेश में कहा, ‘‘... सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लि. के संबंध में सुरक्षा मंजूरी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में तत्काल प्रभाव से रद्द की जाती है।’’ पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ बड़े पैमाने पर तुर्की के ड्रोन का भी इस्तेमाल किया था। तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया और ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों पर भारत के हाल के हमलों की आलोचना की थी।

तुर्की की कंपनी के खिलाफ पहला खुला और बड़ा ऐक्शन

यह किसी तुर्की कंपनी के खिलाफ भारत का पहला खुला और बड़ा ऐक्शन है। तुर्की की कंपनियों से जुड़े सभी समझौते और परियोजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी गई है। देश में एविएशन, मेट्रो रेल, आईटी, निर्माण और मैन्यूफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स में तुर्की की कंपनियां शामिल हैं। अब उनकी भूमिकाओं की समीक्षा की जा रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार ने तुर्की को सबक सिखाने की ठानी है। लोगों ने भी बॉयकॉट तुर्की और अजरबैजान की मुहिम छेड़ रखी है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से सरकार ने तुर्की के पारंपरिक विरोधियों - ग्रीस, आर्मेनिया, साइप्रस और अरब ब्लॉक में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात - के साथ अपने संबंधों को बढ़ाया है।

JNU और जामिया ने निलंबित किया समझौता

एक दिन पहले यानी बुधवार को ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) सहित यहां के कई शैक्षणिक संस्थानों ने या तो तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ अपना सहयोग निलंबित कर दिया या इस पर विचार कर रहे हैं। जेएनयू ने तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को निलंबित कर दिया है, वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए तुर्की के संस्थानों के साथ सभी प्रकार के सहयोग को निलंबित कर दिया है।

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जेएनयू और इनोनू विश्वविद्यालय के बीच तीन वर्ष की अवधि के लिए तीन फरवरी को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें अन्य शैक्षणिक सहयोगों के अलावा संकाय और छात्र विनिमय कार्यक्रमों की योजनाएं भी शामिल थीं।जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने एक बयान में कहा, "जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर समझौता ज्ञापन को निलंबित कर दिया है, क्योंकि जेएनयू राष्ट्र और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है, जिनमें से कई जेएनयू के पूर्व छात्र हैं।"

डीयू भी झटका देने को तैयार

जामिया मिलिया इस्लामिया की जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर साइमा सईद ने कहा, “जामिया ने तुर्की के किसी भी शैक्षणिक संस्थान और प्रतिष्ठान के साथ सहयोग को निलंबित कर दिया है। हम सरकार और देश के साथ खड़े हैं और अगली सूचना तक सब कुछ निलंबित है।” दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) भी अपनी अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक साझेदारियों की समीक्षा कर रहा है। (भाषा इनपुट्स के साथ)