निजी रूप से चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या डाउनलोड करना अपराध नहीं, HC ने बताया कब माना जाएगा क्राइम
Madras High Court: जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने अपनी इस टिप्पणी के साथ ही हरीश नामक व्यक्ति के खिलाफ POCSO एक्ट और IT एक्ट के तहत शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया। उस पर पोर्नोग्राफी देखने के आरोप थे
मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में दिए एक फैसले में कहा है कि अगर कोई शख्स अपने मोबाइल या लैपटॉप या किसी भी निजी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करता है या उसे देखता है तो वह कृत्य POCSO एक्ट या IT एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने अपनी इस टिप्पणी के साथ ही एस हरीश नामक व्यक्ति के खिलाफ POCSO एक्ट और आईटी एक्ट के तहत शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया। हरीश पर अपने मोबाइल फोन पर दो बाल अश्लील वीडियो डाउनलोड करने और उसे देखने का आरोप था और इस मामले में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। जस्टिस वेंकटेश ने अपने फैसले में साफ कहा है कि सिर्फ बच्चों से जुड़े अश्लील वीडियो का डाउनलोड करना और उसे एकांत में देखना अपराध नहीं हो सकता।
हालांकि, कोर्ट ने फैसले के अंत में युवाओं में बढ़ती पॉर्न लत पर चिंता जताई है। जस्टिस वेंकटेश ने इस मुद्दे से निपटने के लिए एक नपे-तुले दृष्टिकोण का आह्वान किया है। उन्होंने लिखा, "जेनरेशन जेड के बच्चे इस गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। उन्हें दंडित करने के बजाय, समाज को उन्हें उचित शिक्षित और जगारूक करने में अपनी परिपक्ता दिखानी चाहिए। ताकि वह इस बुरी लत से बाहर आ सकें।"
हाई कोर्ट ने कहा कि हरीश ने स्वीकार किया है कि उसे पोर्नोग्राफी की लत है, लेकिन उसने कभी चाइल्ड पोर्नोग्राफी नहीं देखी। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि हरीश ने कोई अश्लील वीडियो साझा या किसी अन्य को नहीं दिए हैं। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक कोई शख्स ऐसे वीडियो किसी को ऑनलाइन या अन्य माध्यमों से शेयर नहीं करता या किसी दूसरे को बांटता नहीं है, तब तक इन दोनों अधिनियमों के तहत उसे अपराधी नहीं करार दिया जा सकता है।