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11000 से ज्यादा साड़ियां, 44 एसी; तमिलनाडु सरकार को सौंपी जाएंगी जयललिता की जब्त संपत्तियां

  • सीबीआई अदालत ने पहले इन संपत्तियों का हस्तांतरण मार्च 2024 में करने की योजना बनाई थी, लेकिन इस बीच उत्तराधिकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, चेन्नईThu, 30 Jan 2025 06:35 PM
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11000 से ज्यादा साड़ियां, 44 एसी; तमिलनाडु सरकार को सौंपी जाएंगी जयललिता की जब्त संपत्तियां

बेंगलुरु की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की जब्त संपत्तियों को तमिलनाडु सरकार को ट्रांसफर करने का आदेश दिया। ये संपत्तियां 2004 के आय से अधिक संपत्ति के मामले में जब्त की गई थीं। इन संपत्तियों का कुल मूल्य कई सौ करोड़ रुपये है। इनमें चेन्नई स्थित पोएस गार्डन आवास, बैंक डिपॉजिट, 700 किलो चांदी के आभूषण, सोना, हीरा, मोती और अन्य कीमती रत्नों से बने गहने, 11,000 से अधिक साड़ियां, 44 एयर कंडीशनर, 750 सजावटी चप्पल और कई अन्य वस्तुएं शामिल हैं। बता दें कि जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दोषी ठहराया गया था।

36वें अतिरिक्त सिटी सिविल सेशन कोर्ट के न्यायाधीश एच ए मोहन ने आदेश दिया कि संपत्तियों का हस्तांतरण 14 या 15 फरवरी तक पूरा कर लिया जाए। यह फैसला 13 जनवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट के उस निर्णय के बाद आया है जिसमें जयललिता के भतीजे जे. दीपक और भतीजी जे. दीपा की अपील को खारिज कर दिया गया था। उन्होंने जब्त संपत्तियों की रिहाई की मांग की थी। इससे पहले जुलाई 2023 में सीबीआई अदालत ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि ये संपत्तियां "अवैध तरीके" से अर्जित की गई थीं।

सीबीआई अदालत ने पहले इन संपत्तियों का हस्तांतरण मार्च 2024 में करने की योजना बनाई थी, लेकिन इस बीच उत्तराधिकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया। हाल ही में यह स्टे हटा दिया गया, जिसके बाद वर्तमान आदेश जारी किया गया। दिसंबर 7, 1996 से दिसंबर 12, 1996 के बीच की गई तलाशी के दौरान इन संपत्तियों की पहचान सामग्री वस्तुओं के रूप में की गई थी।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में जयललिता के निधन के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त हो जाने के बावजूद उनकी संपत्ति को जब्त किए जाने के फैसले को बरकरार रखा था। उनके उत्तराधिकारियों ने दलील दी थी कि जयललिता के खिलाफ मामला समाप्त होने के बाद उनकी संपत्ति जब्त नहीं होनी चाहिए। हालांकि, उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि शीर्ष अदालत ने अन्य आरोपियों को दोषी करार देने के विशेष अदालत के फैसले को कायम रखा है इसलिए संपत्ति को जब्त करना वैध है।

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