हम तुर्की की कंपनी नहीं, ना ही एर्दोगन की बेटी हमारी मालिक; भारत के ऐक्शन पर सेलेबी एविएशन की सफाई
सुरक्षा मंजूरी रद्द होने से सेलेबी के संचालन पर तत्काल प्रभाव पड़ा है। दिल्ली एयरपोर्ट ने कंपनी के साथ साझेदारी समाप्त कर दी है। अन्य हवाई अड्डों को वैकल्पिक ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों के साथ समन्वय करने के लिए कहा गया है।

भारत में प्रमुख हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवाएं प्रदान करने वाली तुर्की मूल की कंपनी सेलेबी एविएशन इंडिया ने बुधवार को अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई दी है। कंपनी ने अपने तुर्की स्वामित्व और राजनीतिक संबंधों को लेकर सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों को "झूठा और भ्रामक" बताते हुए खारिज कर दिया। यह बयान तब आया जब भारतीय अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के चलते कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। यह बयान भारत और तुर्की के बीच बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्की के पाकिस्तान समर्थन के मद्देनजर आया है।
सुमेये एर्दोगन का कोई शेयर नहीं- कंपनी
कुछ ऑनलाइन दावों में सेलेबी एविएशन को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के परिवार, खासकर उनकी बेटी सुमेये एर्दोगन से जोड़ा जा रहा था। इस पर कंपनी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, "हम स्पष्ट रूप से इस तरह की सभी अफवाहों को खारिज करते हैं। कंपनी का न तो किसी राजनीतिक व्यक्ति से संबंध है और न ही तुर्की सरकार से कोई जुड़ाव।" कंपनी ने अपने बयान में कहा, "सेलेबी की मूल कंपनी में सुमेये एर्दोगन का कोई शेयर नहीं है। इसके स्वामित्व में केवल सेलेबिओग्लू परिवार के सदस्य- कैन सेलेबिओग्लू और मिस कैनन सेलेबिओग्लू शामिल हैं, जिनका किसी भी राजनीतिक दल या सरकार से कोई संबंध नहीं है।"
किसकी कितनी हिस्सेदारी?
कंपनी ने यह भी जानकारी दी कि उसकी मूल कंपनी का 65% स्वामित्व कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, यूएई और पश्चिमी यूरोप में स्थित संस्थागत निवेशकों के पास है। एक जर्सी-रजिस्टर्ड फंड एक्टेरा पार्टनर्स II एलपी के पास 50% हिस्सा है जबकि डच संस्था अल्फा एयरपोर्ट सर्विसेज BV के पास 15% हिस्सेदारी है।
सेलेबी ने जोर देकर कहा कि, "हम किसी भी मानक से तुर्की संगठन नहीं हैं। हम वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कॉरपोरेट गवर्नेंस, पारदर्शिता और राजनीतिक तटस्थता का पालन करते हैं।" दिल्ली एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल में ऑपरेशन की मंजूरी रद्द किए जाने पर कंपनी ने कहा, "हमारे सभी प्रतिष्ठानों का नियमित रूप से भारतीय एजेंसियों जैसे CISF, BCAS और AAI द्वारा ऑडिट होता है और हम सभी सुरक्षा व कर नियमों का पूरी तरह से पालन करते हैं।"
"भारत में किया 220 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश"
कंपनी ने आगे कहा, "हम भारत के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और देश को एक वैश्विक विमानन हब बनाने में अपना योगदान देना जारी रखेंगे। हमें विश्वास है कि तथ्य, पारदर्शिता और सामान्य समझदारी, अफवाहों और गलत सूचनाओं पर विजय पाएंगे।" गौरतलब है कि सेलेबी एविएशन भारत के नौ प्रमुख हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग, कार्गो मूवमेंट और एयरसाइड सेवाओं जैसे उच्च-संवेदनशील कार्यों की जिम्मेदारी संभालती है, जो सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बेहद अहम हवाई अड्डे शामिल हैं। कंपनी ने यह भी कहा कि वह भारत में 15 वर्षों से अधिक समय से काम कर रही है, 10,000 से अधिक भारतीयों को रोजगार देती है और 220 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश कर चुकी है।
सुरक्षा मंजूरी रद्द होने का कारण
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने 15 मई को यह आदेश जारी किया। कहा जा रहा है कि यह निर्णय भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद तुर्की के पाकिस्तान के प्रति खुले समर्थन के कारण लिया गया है। सेलेबी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा, अहमदाबाद, कोचीन और कन्नूर सहित नौ प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर संवेदनशील ग्राउंड और कार्गो संचालन का प्रबंधन करती है।
भारत-तुर्की तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब तुर्की ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर की निंदा की और पाकिस्तान का समर्थन किया। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा, "हम हमेशा की तरह पाकिस्तान के साथ खड़े रहेंगे।" इस बयान ने भारत में तुर्की के खिलाफ गुस्से को भड़का दिया, जिसके परिणामस्वरूप तुर्की उत्पादों और पर्यटन के बहिष्कार की मांग बढ़ गई। कई भारतीय टूर ऑपरेटरों, जैसे ईजमायट्रिप और मेकमायट्रिप, ने तुर्की की यात्रा के लिए बुकिंग रोक दी, और भारतीय व्यापारियों ने तुर्की सेब और मार्बल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया।