Hindi Newsदेश न्यूज़Both satellites are at distance of 1 5 km will come closer ISRO is preparing for docking soon

1.5 किलोमीटर की दूरी पर हैं दोनों सैटेलाइट, इस दिन आएंगी करीब; जल्द डॉकिंग कराने की तैयारी में इसरो

  • 7 और 9 जनवरी को डॉकिंग के दो प्रयास असफल रहे थे, जिसके बाद इसे रोक दिया गया था। लेकिन अब वैज्ञानिकों को पूरा भरोसा है कि यह प्रयोग जल्द ही सफल होगा।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 10 Jan 2025 10:54 PM
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भारत अपने पहले ही प्रयास में दो एक्टिव सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में डॉक करने की तैयारी में है। इसरो के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने पुष्टि की है कि डॉकिंग कुछ ही दिनों में हो सकती है। इसरो ने शुक्रवार को कहा कि वह ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पैडेक्स) से संबंधित जिन दो उपग्रहों (सैटेलाइट) को एक साथ जोड़ने की उम्मीद कर रहा है, वे 1.5 किलोमीटर की दूरी पर हैं और 11 जनवरी को उन्हें काफी करीब लाया जाएगा। 7 और 9 जनवरी को डॉकिंग के दो प्रयास असफल रहे थे, जिसके बाद इसे रोक दिया गया था। लेकिन अब वैज्ञानिकों को पूरा भरोसा है कि यह प्रयोग जल्द ही सफल होगा। इसरो के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने पुष्टि की है कि डॉकिंग कुछ ही दिनों में हो सकती है। डॉ. सोमनाथ ने आकाशवाणी से बात करते हुए कहा, "दोनों सैटेलाइट्स बहुत अच्छी स्थिति में हैं और यदि सबकुछ योजना के अनुसार चलता रहा तो डॉकिंग अगले कुछ दिनों में कर ली जाएगी।"

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अंतरिक्षयान 1.5 किमी की दूरी पर हैं और ‘होल्ड मोड’ पर हैं। कल सुबह तक इनके 500 मीटर की और दूरी तय करने की योजना है।’’ यह घोषणा अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा यह साझा किए जाने के एक दिन बाद आई कि उपग्रहों के बीच विचलन पर काबू पा लिया गया है तथा उन्हें एक-दूसरे के करीब लाने के लिए धीमी गति से विचलन पथ पर रखा गया है।

विचलन के कारण ‘डॉकिंग’ प्रयोग को दूसरी बार स्थगित करना पड़ा था। इसरो ने 30 दिसंबर, 2024 को स्पैडेक्स मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया था। प्रक्षेपण के बाद, इसरो ‘डॉकिंग’ की तैयारी कर रहा है जिसके लिए कई चरणों की आवश्यकता होती है। अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ एक जटिल प्रक्रिया है। स्पेस डॉकिंग प्रक्रिया को केवल चीन, अमेरिका और रूस ने ही अब तक पूरी तरह से सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इसरो का स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन 470 किलोमीटर ऊंचे ऑर्बिट में किया जा रहा है। इसमें दो सैटेलाइट्स, एक चेजर और एक टार्गेट, शामिल हैं।

डॉकिंग प्रक्रिया के दौरान चेजर सैटेलाइट को टार्गेट सैटेलाइट के पास लाया जाएगा। यह दूरी 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और 3 मीटर तक घटाई जाएगी। अंत में, 10 मिलीमीटर प्रति सेकंड की गति से चेजर सैटेलाइट टार्गेट पर डॉक करेगा। इस मिशन में इसरो ने स्वदेशी तकनीक "भारतीय डॉकिंग सिस्टम" का इस्तेमाल किया है। इस तकनीक पर इसरो ने पेटेंट भी कराया है।

डॉ. सोमनाथ ने कहा, "यह मिशन हमारे लिए एक यात्रा जैसा है। डॉकिंग का अंतिम लक्ष्य जरूर है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में हमने बहुत कुछ सीखा है। सैटेलाइट्स को एक तय दूरी पर साथ में उड़ाना भी एक महत्वपूर्ण ज्ञान है। अब तक सबकुछ बहुत अच्छे से चल रहा है।" SpaDeX की सफलता न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को साबित करेगी, बल्कि भविष्य के मिशन, जैसे चंद्रयान 4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और गगनयान के लिए भी रास्ता बनाएगी। भारत का यह प्रयोग अंतरिक्ष में देश की नई उपलब्धियों को स्थापित करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

सैटेलाइट डॉकिंग क्या है?

सैटेलाइट डॉकिंग एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दो सैटेलाइट्स या अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में एक-दूसरे से जुड़ने (डॉकिंग) के लिए तैयार किया जाता है। इसे इस तरह डिजाइन किया जाता है कि दोनों यान एक साथ सुरक्षित और सटीक तरीके से काम कर सकें।

डॉकिंग की प्रक्रिया

सैटेलाइट्स को नजदीक लाना: पहले, दो सैटेलाइट्स को एक ही कक्षा (Orbit) में रखा जाता है और उनकी गति को इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि वे एक-दूसरे के पास आ सकें।

स्पीड और दूरी का नियंत्रण: चेजर (Chaser) सैटेलाइट को धीरे-धीरे टार्गेट (Target) सैटेलाइट के पास लाया जाता है। यह प्रक्रिया मिलीमीटर-प्रति-सेकंड की गति से की जाती है ताकि किसी दुर्घटना का खतरा न हो।

जुड़ने की प्रक्रिया: जब दोनों सैटेलाइट्स एकदम नजदीक आ जाते हैं, तो डॉकिंग सिस्टम के माध्यम से उन्हें एक-दूसरे से जोड़ा जाता है।

सैटेलाइट डॉकिंग का महत्व

मिशन विस्तार: डॉकिंग के बाद सैटेलाइट्स साझा संसाधनों (जैसे ईंधन, डेटा और ऊर्जा) का उपयोग कर सकते हैं।

अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण: डॉकिंग तकनीक का उपयोग अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station) बनाने में किया जाता है, जैसे कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)।

भविष्य के मिशन: यह तकनीक चंद्रमा और मंगल जैसे स्थानों पर मानव मिशन के लिए आवश्यक है।

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भारत में सैटेलाइट डॉकिंग

भारत में, इसरो (ISRO) ने "स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट" (SpaDeX) के तहत पहली बार दो सैटेलाइट्स को डॉक करने की योजना बनाई है। यह प्रक्रिया भारत को चीन, अमेरिका और रूस जैसे देशों की कतार में ला सकती है, जिन्होंने पहले से यह तकनीक विकसित कर ली है। सैटेलाइट डॉकिंग विज्ञान और तकनीक का एक शानदार उदाहरण है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करता है।

(इनपुट एजेंसी)

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