मार्क कार्नी बने कनाडा के नए PM, ट्रंप की धमकी, टैरिफ की जंग; किन-किन मुश्किलों से होगा सामना?
- मार्क कार्नी ने कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार संभाल लिया। पूर्व सेंट्रल बैंकर और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट कार्नी ऐसे वक्त पर सत्ता में आए हैं जब अमेरिका के साथ कनाडा की ट्रेड वॉर चरम पर है।
ओटावा में हुए शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही मार्क कार्नी ने कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार संभाल लिया। पूर्व सेंट्रल बैंकर और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट कार्नी ऐसे वक्त पर सत्ता में आए हैं जब अमेरिका के साथ कनाडा की ट्रेड वॉर चरम पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न सिर्फ कनाडाई सामान पर भारी टैरिफ लगाए हैं, बल्कि इकोनॉमिक फोर्स के जरिए कनाडा को अमेरिका में मिलाने की धमकी भी दी है।
बिना चुनाव लड़े पीएम बने कार्नी
मार्क कार्नी का प्रधानमंत्री पद तक का सफर कई मायनों में अनोखा है। वे पहले ऐसे पीएम बने हैं जिन्होंने न तो हाउस ऑफ कॉमन्स और न ही सीनेट में कोई सीट जीती, सिवाय देश के पहले पीएम के जो चुनाव से पहले नियुक्त किए गए थे। लिबरल पार्टी के भीतर जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की विदाई की चर्चा तेज हुई, तो पार्टी के सदस्यों ने भारी बहुमत से कार्नी को नेता चुन लिया। इसके सिर्फ पांच दिन बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं टिकने वाली क्योंकि अगले कुछ हफ्तों में चुनाव की घोषणा तय मानी जा रही है।
कौन होगा मंत्रिमंडल में शामिल
कार्नी ने अपने मंत्रिमंडल को ट्रूडो के मुकाबले छोटा रखा है और इसमें कुल 24 मंत्री शामिल किए गए हैं। उन्होंने फ्रांस्वा-फिलिप शांपेन को वित्त मंत्री बनाया है, जबकि डोमिनिक लेब्लांक को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय सौंपा है। मेलानी जोली को विदेश मंत्री के तौर पर बनाए रखा गया है और डेविड मैकगिन्टी को पब्लिक सेफ्टी का जिम्मा सौंपा गया है। पर्यावरण मंत्री स्टीवन गिलबोल्ट को कनाडा की 'संस्कृति और पहचान' के नए पोर्टफोलियो में भेज दिया गया है। वहीं, उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी अनीता आनंद को सौंपी गई है।
ट्रंप से टकराव तय?
कार्नी ऐसे वक्त पर पीएम बने हैं जब अमेरिका और कनाडा के रिश्ते शायद अपने सबसे नाजुक दौर में हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के कई उत्पादों पर भारी टैरिफ लगा दिए हैं, जिससे व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कनाडा ने भी जवाबी टैरिफ लगाए हैं, लेकिन यह तनाव अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल रहा है। ट्रंप खुले तौर पर कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बनाने जैसी विवादास्पद बातें कर चुके हैं।
आने वाले चुनाव में होगी असली परीक्षा
अब कार्नी की असली परीक्षा आने वाले चुनाव में होगी, जहां उनका सामना विपक्षी कंजरवेटिव नेता पियरे पोइलिव्रे से होगा। पोइलिव्रे की पार्टी हाल के हफ्तों में अपनी बढ़त गंवा चुकी है, जिससे लिबरल पार्टी के लिए वापसी की उम्मीद जगी है। कार्नी को चुनाव जीतने के लिए न सिर्फ अपनी राजनीतिक सूझबूझ साबित करनी होगी, बल्कि जनता को यह भरोसा भी दिलाना होगा कि वे अमेरिका से व्यापारिक जंग में कनाडा के हितों की रक्षा कर सकते हैं।
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