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क्या इंसानों को पीछे छोड़ देंगी मशीनें? जानें आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में सबकुछ

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी चर्चा लगातार होती रहती है और सवाल उठते हैं कि क्या यह इंसानों को पीछे छोड़ देगा। आइए इससे जुड़े कुछ पहलू समझने की कोशिश करते हैं।

Pranesh Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 17 Dec 2024 08:24 PM
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आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) एक बार फिर चर्चा में है क्योंकि बीते दिनों भारतीय मूल के रिसर्चर सुचिर बालाजी की आत्महत्या का मामला सामने आया है। AI से जुड़ी सबसे बड़ी कंपनियों में से एक Open AI में काम कर चुके सुचिर ने AI टूल्स को मिलने वाली ट्रेनिंग के लिए प्रोटेक्टेड और कॉपीराइटेड कंटेंट के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई थी। लगातार आरोप लगते रहते हैं कि AI कंपनियां नैतिक नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। इसके अलावा कइयों का मानना है कि AI के साथ मशीनें या कंप्यूटर बुद्धिमत्ता के मामले में इंसानों से आगे निकल जाएंगी। आइए AI के बारे में समझते हैं और जानते हैं कि इससे जुड़ी संभावनाएं और खतरे क्या हैं।

सबसे पहले आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) का मतलब समझते हैं। इंसानों की बुद्धिमत्ता उसे बाकी प्राणियों से अलग बनाती है और वह तर्क करने से लेकर सीखने और समझने जैसे काम कर सकता है। मशीनों को अब तक इसी चीज ने इंसानों से अलग रखा है कि वे खुद तर्क नहीं कर सकतीं और बिना किसी प्रोग्रामिंग या इनपुट के निर्णय नहीं ले सकतीं। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के नाम से ही साफ है कि मशीनों के पास भी ऐसी ही बुद्धिमत्ता या क्षमता आ गई है कि वे तर्क कर सकें, सीख सकें और इंसानों की तरह खुद को बेहतर बनाने पर काम कर सकें।

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कंप्यूटर से जुड़ा है आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का क्षेत्र

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस दरअसल कंप्यूटर साइंस से जुड़ा एक पहलू या क्षेत्र है, जो बहुत विस्तृत है। इसके साथ मशीनें या कंप्यूटर इंसानी दिमाग की तर्ज पर चीजें सीखने, तर्क करने या फिर प्रॉब्लम्स के सॉल्यूशंस खोजने जैसे काम कर सकती हैं। आसान उदाहरण दें तो अगर कोई डिवाइस याद रखता है कि यूजर उसे कैसे इस्तेमाल करता है, तो वह पर्सनलाइज्ड अनुभव दे सकता है। इन क्षमताओं का विकास ही AI टूल्स के डिवेलपमेंट का रास्ता बना है। AI भी इंसानी दिमाग की तरह काम करता है और इससे जुड़े पांच चरण हैं,

सीखना: आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस आसानी से डाटा का एनालिसिस करता है और उससे पैटर्न्स का पता लगाता है। इन पैटर्न्स की पहचान करते हुए AI मॉडल खुद को लगातार बेहतर करता जाता है।

तर्क करना: डाटा के आधार पर AI तय करता है कि कौन सा ऐक्शन लेना बेहतर होगा। यह बिल्कुल ऐसा ही है, जब हम तय करते हैं कि किसी खास परिस्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

भाषा को समझना: AI मॉडल्स की सबसे खास बात यह है कि उनके जरिए नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग संभव है। यानी ये इंसान की बोल-चाल की आम भाषा को आसानी से समझ सकते हैं और उनपर इंसानों जैसी ही प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

इमेज एनालिसिस: कई टूल्स, मॉडल्स या मशीनें फोटोज, स्क्रीनशॉट्स या कैमरा के जरिए दिखने वाली इमेजेस और तस्वीरों को भी समझती हैं। इससे मिलने वाले डाटा का एनालिसिस किया जाता है।

फैसला लेना: अलग-अलग ऑप्शंस में से सबसे अच्छे का चुनाव करते हुए आखिर में यूजर को बेस्ट आउटपुट या रिजल्ट दिखाया जाता है।

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तीन तरह के होते हैं आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस मॉडल्स

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कई अलग-अलग कैटेगरीज में डिफाइन किया जा सकता है। मुख्य रूप से यह तीन तरह का होता है, जिनके बारे में आप नीचे पढ़ सकते हैं।

नैरो AI- यह AI का सबसे आम टाइप है, जो एक खास तरह का काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। ऐसे मॉडल किसी चेहरे की पहचान करने, स्पीच या आवाज को पहचानने या गेमिंग के लिए यूज किए जा सकते हैं। मौजूदा टूल्स इसी के अंदर आते हैं।

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जनरल AI- आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का यह प्रकार ऐसे कामों को कर सकेगा, जो इंसानी दिमाग कर सकता है। यानी इस तरह के AI मॉडल इंसानी बुद्धिमत्ता की नकल करेंगे। हालांकि, फिलहाल केवल चुनिंदा कंपनियां ऐसे मॉडल बनाने पर काम कर रही हैं।

सुपरइंटेलिजेंस- एक्सपर्ट्स की मानें तो यह एक तरह का काल्पनिक AI है और यह इंसानी दिमाग से भी कहीं ज्यादा इंटेलिजेंट होगा। इसके जरिए ऐसे काम किए जा सकेंगे, जो इंसानी दिमाग भी आसानी से नहीं कर पाता।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैसे काम करता है?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अलग-अलग टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होता है, जिनमें नीचे दी गईं चीजें शामिल हैं,

मशीन लर्निंग: यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो मशीनों को डाटा से सीखने और प्रिडिक्शंस करने में सक्षम बनाती है।

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डीप लर्निंग: यह मशीन लर्निंग का एक सबसेट है, जो आर्टिफीशियल न्यूरल नेटवर्क का इस्तेमाल करता है।

नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग: यह एक ऐसी तकनीक है जो कंप्यूटरों को इंसानी भाषा को समझने और उसका इस्तेमाल करने में सक्षम बनाती है।

कंप्यूटर विजन: आखिर में यह भी एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो कंप्यूटर्स को विजुअल जानकारी को समझने और उसका एनालिसिस करने के लायक बनाती है।

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क्या इंसानों से आगे निकल सकता है आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस?

AI डाटा को बहुत तेजी से प्रोसेस कर सकता है और उससे पैटर्न पहचान सकता है। यह जटिल समस्याओं को सॉल्व करने में भी सक्षम है। हालांकि इंसानों में क्रिएटिविटी, इमोशनल इंटेलिजेंस और एथिक्स होते हैं। ये चीजें AI के लिए अभी भी एक चुनौती हैं। हो सकता है कि भविष्य में AI इंसानों से कई कामों में बेहतर हो जाए, लेकिन यह पूरी तरह से इंसानों की जगह नहीं ले पाएगा। अगर इसे सही टूल की तरह यूज किया जाए तो AI और इंसान दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।

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