NCLAT rejects supertech promoter appeal against personal insolvency case सुपरटेक के पूर्व प्रमोटर को बड़ा झटका, NCLAT ने इस याचिका को किया खारिज, Business Hindi News - Hindustan
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सुपरटेक के पूर्व प्रमोटर को बड़ा झटका, NCLAT ने इस याचिका को किया खारिज

  • एनसीएलटी की दिल्ली पीठ के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसने फरवरी 2025 में आईएफसीआई द्वारा दायर याचिका पर अरोड़ा के खिलाफ व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने के साथ ही एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को नियुक्त किया था।

Deepak Kumar भाषाMon, 14 April 2025 09:42 PM
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सुपरटेक के पूर्व प्रमोटर को बड़ा झटका, NCLAT ने इस याचिका को किया खारिज

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने कर्ज में डूबी रियल्टी फर्म सुपरटेक के पूर्व प्रवर्तक राम किशोर अरोड़ा को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, NCLAT ने अरोड़ा की याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में उन्होंने खुद के खिलाफ शुरू की गई व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही को चुनौती दी थी।

ऑर्डर को दी थी चुनौती

अरोड़ा ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की दिल्ली पीठ के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसने फरवरी 2025 में आईएफसीआई द्वारा दायर याचिका पर अरोड़ा के खिलाफ व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने के साथ ही एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को नियुक्त किया था। अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा सात के तहत सुपरटेक के खिलाफ चल रही एक अन्य दिवाला कार्यवाही के आधार पर व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही का बचाव नहीं किया जा सकता है।

अरोड़ा के वकील ने कहा कि धारा सात के तहत सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ शुरू की गई दिवाला कार्यवाही इस समय उच्चतम न्यायालय के सामने विचाराधीन है।

उच्चतम न्यायालय ने कही थी ये बात

इस मामले में, उच्चतम न्यायालय ने 21 फरवरी, 2025 को सुपरटेक के प्रवर्तकों और तीसरे पक्षकारों से एक निपटान योजना पेश करने को कहा था, और यह प्रक्रिया पहले से ही उच्चतम न्यायालय के सामने लंबित है। हालांकि, एनसीएलएटी ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, ''हमारा मानना ​​है कि धारा सात के तहत कार्यवाही पर व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही का बचाव नहीं किया जा सकता है।

एनसीएलएटी के आदेश पर रोक

उच्चतम न्यायालय ने फरवरी महीने में सुपरटेक लिमिटेड की 16 आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी थी। एनसीएलएटी ने अपने आदेश में लगभग 9,500 करोड़ रुपये की लागत वाली इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी को परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त किया था।

न्यायालय ने कहा कि वह जांच करेगी कि एनसीएलएटी ने आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को परियोजना प्रबंधन सलाहकार बनाते समय क्या दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता की प्रक्रिया का पालन किया या नहीं। बता दें कि एनसीएलएटी ने 12 दिसंबर, 2024 को एनबीसीसी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में 49,748 घरों वाली 16 आवास परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी दी थी। इन परियोजनाओं में लगभग 27,000 घर खरीदार घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

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