इनकम टैक्स के बाद अब GST की बारी, क्या खत्म होगा 12% का स्लैब
- GST rate rationalisation: बजट में इनकम टैक्सपेयर्स को राहत देने के बाद अब मोदी सरकार जीएसटी स्ट्रक्चर को आसान बनाने की तैयारी में है।

GST rate rationalisation: सरकार ने बजट 2025 में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ 12 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री कर मिडिल क्लास को बड़ी राहत दी है। अब मोदी सरकार जीएसटी स्ट्रक्चर को आसान और युक्तिसंगत बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच चर्चा हुई है, जिसमें 12% के स्लैब को खत्म करने पर फोकस करने की बात कही गई है। यह जानकारी द इंडियन एक्सप्रेस ने दी है।
जीएसटी के तहत रेट की निगरानी के लिए गठित मंत्री समूह ने प्रमुख स्लैब्स शून्य, 5%, 12%, 18% और 28% में शामिल वस्तुओं पर विस्तृत चर्चा की है और यह जानने का प्रयास किया है कि किन वस्तुओं को हाई या लो स्लैब में ले जाने की आवश्यकता है। हालांकि, इसके बाद भी पैनल ने तीन प्रमुख स्लैब्स के साथ 12% के जीएसटी स्लैब को बरकरार रखने का प्रस्ताव दिया है।
सूत्रों के अनुसार, "GoM के सदस्यों ने कुछ वस्तुओं को 12% से 18% या 5% स्लैब में ले जाने की सिफारिश की। हालांकि, उन्होंने कुछ वस्तुओं के साथ 12% के स्लैब को बरकरार रखने का प्रस्ताव दिया, जो जीएसटी व्यवस्था को सरल बनाने के उद्देश्य के साथ असंगत है।"
क्या खत्म हो जाएगा 12% जीएसटी स्लैब
मुख्य उद्देश्यों में से एक 12% जीएसटी स्लैब को समाप्त करना है। यह जीएसटी व्यवस्था को सरल बनाने और टैक्स स्लैब की संख्या को कम करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। पहले की चर्चाओं में 12% और 18% स्लैब को मिलाकर एक नया 15% स्लैब बनाने का प्रस्ताव शामिल था, जिससे केवल तीन स्लैब (0%, 5%, 15%, और 28%) स्ट्रक्चर तैयार हो सके।
हालांकि, इस प्रस्ताव को व्यापक सहमति नहीं मिली क्योंकि 18% स्लैब की वस्तुओं को 15% स्लैब में शिफ्ट करने से रेवेन्यू का नुकसान होगा, जबकि 12% स्लैब की वस्तुओं पर कर बढ़ाकर 15% करने से कुछ आवश्यक वस्तुओं, जैसे फार्मास्यूटिकल्स पर टैक्स बढ़ सकता है।
जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने में चुनौतियां
मुख्य चुनौती जीएसट को आसान बनाने की जरूरत और रेवेन्यू पर पड़ने वाले प्रभाव के बीच संतुलन बनाना है। 18% स्लैब की वस्तुओं को 15% स्लैब में शिफ्ट करने से रेवेन्यू का नुकसान हो सकता है, जबकि 12% स्लैब की वस्तुओं पर कर बढ़ाने से कुछ आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स का बोझ बढ़ सकता है।
बता दें पिछले महीने जैसलमेर में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में कई वस्तुओं पर टैक्स रेट कम करने पर चर्चा हुई थी। हालांकि, इसने हेल्थ और लाइफ इंश्यारेंस प्रीमियम पर टैक्स रेट कम करने के निर्णय को टालने का फैसला किया। मंत्रिसमूह ने 148 वस्तुओं पर कर दरों में बदलाव के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए और समय मांगा था, जिस पर जीएसटी परिषद की अगली बैठक में चर्चा होने की उम्मीद है।
बजट जानें Hindi News, Business News की लेटेस्ट खबरें, शेयर बाजार का लेखा-जोखा Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।