समय पर कार्रवाई, सही अनुसंधान नहीं तो IO पर ऐक्शन, बिहार पुलिस को DGP का 24 पॉइंट आदेश जानें
पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए आपराधिक वारदातों की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों (आईओ) के काम का तीन स्तर पर मूल्यांकन होगा। यह देखा जाएगा कि आईओ गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान कर रहे हैं या नहीं। अनुसंधान गुणवत्तापूर्ण नहीं रहने पर आईओ की मूल्यांकन रिपोर्ट खराब होगी।
पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए आपराधिक वारदातों की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों (आईओ) के काम का तीन स्तर पर मूल्यांकन होगा। यह देखा जाएगा कि आईओ गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान कर रहे हैं या नहीं। अनुसंधान गुणवत्तापूर्ण नहीं रहने पर आईओ की मूल्यांकन रिपोर्ट खराब होगी। आईओ के प्रदर्शन की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी। इससे खराब प्रदर्शन करने वाले पुलिस अधिकारियों के प्रमोशन में कठिनाई होगी।
इसी तरह नये डीजीपी विनय कुमार ने क्राइम कंट्रोल और बेहतर पुलिसिंग के लिए अलग-अलग 24 बिंदुओं पर निर्देश जारी किया है। सभी बिंदुओं पर कार्रवाई के लिए अलग-अलग अधिकारियों की जिम्मेवारी सौंपी गई है। डीजीपी ने आपराधिक वारदात में तय समय में कार्रवाई और अनुसंधान पूर्ण करने पर जोर देने के लिए कहा है। इसके साथ ही उन्होंने गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान व साक्ष्य संकलन पर वरीय अधिकारियों को नजर रखने की हिदायत दी है। पुलिस के अनुसंधान पर ही पीड़ित को त्वरित न्याय मिलेगा और अपराधियों को कोर्ट से सजा होगी। यदि अनुसंधान की गुणवत्ता ठीक नहीं रही तो अपराधी कोर्ट में इसका लाभ उठाएंगे। इसलिए अनुसंधानकों के कार्यों के अनुसार उनका मूल्यांकन होगा। इंस्पेक्टर से लेकर एसएसपी तक आईओ के कार्यों का मूल्यांकन करेंगे।
डीजीपी का निर्देश
● वैसे अपराधी जो बेल पर रहते हुए घटना को अंजाम दे रहे हैं, उनकी जमानत रद्द कराएं।
● अपराधियों में खौफ पैदा करने के लिए कुर्की जब्ती व संपत्ति अटैचमेंट की कार्रवाई करें।
● आगामी चुनाव के मद्देनजर गुंडा रजिस्टर को अपडेट करने का आदेश दिया गया।
● गृहभेदन के डॉग स्क्वायड से घटनास्थल की जांच कराना जरूरी।
● झपटमारी एवं चोरी को रोकने के लिए समान प्रवृति के कांडों का ग्रुप सुपरवीजन जरूरी।
● आईसीसीसी की मदद से अपराधियों पर नजर रखकर घटनाएं रोकने का निर्देश दिया गया।
● ऐसे कार्रवाईयों की वीडियोग्राफी कर उसे सोशल मिडिया पर डालने का निर्देश दिया गया।
● पुलिस पर हमले के केस में समुचित व त्वरित कानूनी कार्रवाई एडीजी (विधि व्यवस्था) करें।
● वीडियो व फोटो से उन अभियुक्तों को चिन्हित करें। साक्ष्य के रूप में वीडियो संरक्षित रखें।
● डीजी, रेंज व जिला कंट्रोल रूम को प्रभावकारी बनाएं एवं तीनों में आपसी समन्वय रखें।
● जमादार से एसपी स्तर के अधिकारी दिवा गश्ती, संध्या एवं रात्रि गश्ती को प्राथमिकता देंगे।
● इंस्पेक्टर से एसपी तक घटनास्थल पर जाकर जांच व कार्रवाई करें और आईओ को निर्देश दें।
● राज्य में वायरलेस कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना आवश्यक है।
● वरीय अधिकारी थानों का निरीक्षण करें एवं थाने के सुदूर क्षेत्रों में जनता दरबार लगाएं।
● डीएसपी थानों में शाम में जाकर कांडों में पीआर निकालें, एसपी माह के अंत में फाइनल ऑर्डर निकालें।
● थानेदार, इंस्पेक्टर, एसडीपीओ, एसपी को मासिक अपराध समीक्षा बैठक और डीआईजी तीन माह पर समीक्षा करें।
● स्पीडी ट्रायल सेल का प्रभार तकनीकी रूप से दक्ष डीएसपी/ इंस्पेक्टर को दिया जाए।
● अनुसंधानकर्ताओं का प्रदर्शन मूल्यांकन करने का आदेश एसएसपी/ एसपी को दिया गया।
● गश्ती में तैनात होमगार्ड यदि फायरिंग नहीं किए हैं, तो वरीय अधिकारी उन्हें लक्ष्याभ्यास कराएं।
● चोरी, शराब तस्करी व अपराधों में जब्त वाहनों का डाटाबेस बनाएं। इसका मिलान कर कांड का उद्भेदन करें।
● आपराधिक हॉटस्पॉट पर गश्ती बढ़ाने का निर्देश सभी वरीय अधिकारियों को दिया गया।
● सभी वरीय अधिकारी अपने अधीन जवानों/पदाधिकारियों को प्रॉपर टर्न आउट में रखें।
● राज्य में खासतौर से गश्ती के दौरान डीएपी जवानों को शामिल करने का आदेश दिया गया।