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जगदानंद की पूंजी डूबी, सुधाकर की नाक कटी; रामगढ़ ने अजीत को विरासत में विधायिकी नहीं दी

उपचुनाव में राजद प्रत्याशी अजीत सिंह की हार हुई है। उन्हें बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने सिर्फ पराजित किया बल्कि रामगढ़ की जनता ने तीसरे पायदान पर धकेल दिया। अजीत सिंह बिहार राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र और बक्सर सांसद सुधाकर सिंह के भाई हैं।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पटनाSat, 23 Nov 2024 06:07 PM
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बिहार विधानसभा के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी अजीत सिंह की हार हुई है। उन्हें बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने सिर्फ पराजित किया बल्कि रामगढ़ की जनता ने तीसरे पायदान पर धकेल दिया। अजीत सिंह बिहार के कद्दावर और राष्ट्रीय जनता दल के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र और बक्सर सांसद सुधाकर सिंह के भाई हैं। अजीत सिंह की जीत के लिए इन दोनों नेताओं ने काफी पसीना बहाया। इसीलिए अजीत की हार को जगदानंद सिंह और सुधाकर सिंह की हार के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि भाई की हार से सुधाकर सिंह की नाक कट गई क्योंकि अजीत परिवार की विरासत को नहीं संभाल पाए।

जगदानंद सिंह 1985 में लोकदल के टिकट पर पहली बार रामगढ़ से चुनाव लड़े और विधायकी हासिल की। तब से साल 2005 तक उन्होंने 6 बार रामगढ़ का प्रतिनिधित्व किया। 2005 के उपचुनाव में भी वे विजेता रहे। लेकिन साल 2009 में इस सीट पर राजद ने अंबिका यादव को उतार दिया। जगदा बाबू के गढ़ में अंबिका यादव की भी जीत सुनिश्चित हुई। लेकिन साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजद से रामगढ़ छीन लिया। अंबिका यादव हार गए और बीजेपी के अशोक कुमार सिंह चुनाव जीत गए।

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2020 के चुनाव में पार्टी ने अंबिका यादव को हटाकर जंगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को टिकट दिया। इस फैसले से अंबिका यादव आहत होकर बागी हो गए। उन्होंने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रहे। सुधाकर सिंह जीतकर विधानसभा पहुंच गए।

लोकसभा चुनाव 2024 में सुधाकर सिंह को पार्टी ने बक्सर सीट पर उतारा। बीजेपी के मिथिलेश तिवारी को हराकर सुधाकर सिंह सांसद बने तो पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह विरासत संभालने की जिम्मेदारी छोटे बेटे अजीत सिंह के कंधों पर सौंपा। पर रामगढग की जनता ने अजीत सिंह को विरासत में विधायकी नहीं दी। उनसे ज्यादा वोट बीएसपी कैंडिडेट सतीष कुमार सिंह यादव ने हासिल किया। विजेता अशोक सिंह को 62257 मत मिले और वे मात्र 13 वोटों से विजेता बने। दूसरे स्थान पर आए सतीष यादव को 60895 वोट मिले जबकि अजीत सिंह को 35825 लोगों ने अपना समर्थन दिया।

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