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प्रशांत किशोर को बिना पेपर बेऊर जेल ले गई पुलिस, गलत धाराएं भी लगाई; वकील ने बताई अंदर की बात

  • प्रशांत की गिरफ्तारी प्रकरण में पुलिस ने बड़ी बड़ी गलतियां की और प्रशांत किशोर को फंसाने के लिए गलत धाराएं उनके खिलाफ लगाई। अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा है कि कस्टडी ऑर्डर के बिना ही पुलिस उन्हें बेऊर जेल ले गई लेकिन जेल के अधिकारियों ने रखने से मना कर दिया।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पटनाThu, 9 Jan 2025 06:45 PM
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जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी, कोर्ट में पेशी, जेल, बेल और रिहाई में बड़े-बड़े खेल हुए। गुरुवार को पटना में प्रेस कान्फ्रेंस बुलाकर प्रशांत किशोर के वकील, पार्टी के नेता और आईपीएस ऑफिसर रहे आनंद मिश्रा ने अंदर की बातों का खुलासा किया। कहा कि प्रशांत की गिरफ्तारी प्रकरण में पुलिस ने बड़ी बड़ी गलतियां की और प्रशांत किशोर को फंसाने के लिए गलत धाराएं उनके खिलाफ लगाई। अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा है कि कस्टडी ऑर्डर के बिना ही पुलिस उन्हें बेऊर जेल ले गई लेकिन जेल के अधिकारियों ने रखने से मना कर दिया।

अधिवक्ता अमित कुमार ने बताया कि कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया चल रही थी उसी समय बात उड़ाई गई कि कोर्ट ने सशर्त बेल दिया और प्रशांत ने शर्तों पर जमानत लेने से मना कर दिया। कोर्ट को बताया गया कि प्रशांत पर जितनी भी धाराएं लगाई गई वे जमानतीय थीं। फिर भी उन्हें थाने से बेल देने के बजाए कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट से जब आग्रह किया गया तो किया इन धाराओं में बिना शर्त को बेल दिया जा सकता है। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए पीआर बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश पारित कर दिया। उसके पहले कोर्ट की ओर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया था लेकिन पुलिस उन्हें बेऊर जेल लेकर चली गई।

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अधिवक्ता ने कहा कि जेडीयू के नेता प्रशांत किशोर पर गलत आरोप लगा रहे हैं। गांधी मैदान से गिरफ्तारी होने के बावजूद प्रशांत को गांधी मैदान थाने पर नहीं ले जाया गया। पुलिस उन्हें पहले एम्स और फिर फतुहा ले गई। कोर्ट ने इस बात पर भी टिप्पणी किया कि डायरी में पुलिस का कोई स्टेटमेंट क्यों नहीं था। बेऊर जेल से निकालकर फिर थाने पर लाया गया जहां से उन्हें रिहा किया गया जबकि उन्हें कोर्ट से ही छोड़ दिया जाना चाहिए था।

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इधर पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा ने इस प्रकरण में बिहार पुलिस का अनप्रोफेशनल चेहरा उजागर हो गया है। नॉर्थ इस्ट में एसपी रहते हुए मैंने देखा है कि ऐसा व्यवहार टेरोरिस्ट की गिरफ्तारी पर उनके साथ किया जाता है। पुलिस ने इस मामले में पुलिस की दादागिरी सामने आई है। अगर बिहार पुलिस ऐसे काम करती है तो बिहार में कोई सुरक्षित नहीं है।

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