Tragic Fire Claims Lives of Three Young Girls in Naraktiya Village हृदयविदारक घटना से पूरे गांव का माहौल है गमगीन, Motihari Hindi News - Hindustan
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हृदयविदारक घटना से पूरे गांव का माहौल है गमगीन

आदापुर के नरकटिया गांव में एक आगजनी की घटना में तीन बच्चियों की जलकर मौत हो गई। घटना ने पूरे गांव में मातम फैला दिया है। मृत बच्चियों की मां ममता कुमारी बेसुध हैं और ग्रामीणों ने उन्हें ढाढस बंधाने की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीFri, 16 May 2025 03:18 AM
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हृदयविदारक घटना से पूरे गांव का माहौल है गमगीन

आदापुर,एक संवाददाता। स्थानीय दरपा थाना क्षेत्र के नरकटिया गांव में आज का माहौल पूरी तरह बदला हुआ था। हर जगह गम का माहौल था। तीन बच्चियों के जलकर हुई मौत से आंखों से टपकती आंसू रुकने का नाम नहीं ले रही थी। सभी बरबस इस जघन्य और दर्दनाक दृश्य को देख मर्माहत थे। बच्चे भी काफी गमगीन थे। पूरे गांव में मातमी सन्नाटा था। आगलगी की वारदात में जलकर मरी तीनों बेटियों की मां बेसुध पड़ी हुई थी। उसे गांव की महिलाएं तथा उनके परिजन ढाढस बंधाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उसकी सिसकियां रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

मृत बच्चियों की मां ममता कुमारी करीब 15 दिन पहले अपने मायके आई थी और वह अपने मां के साथ एक फूस की झोपड़ी में रहती है। पता चला कि पीड़िता की मां मंजू देवी वर्षों से अपने मायके में ही रह रही है और गांव के राजकीय मध्य वद्यिालय नरकटिया बाजार में रसोईया के पद पर कार्यरत है। मंजू देवी गुरुवार की सुबह भी छात्र-छात्राओं के लिए मध्यान्ह भोजन बनाने स्कूल चली गई थी । पड़ोसी श्रवण दास बताते हैं कि उन्होंने भी बच्चियों को बचाने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे और खुद आग से झुलस घायल हो गए। ग्रामीण बताते है कि पीड़िता की माता मंजू देवी अपने मायके में रहती है लेकिन उसके नाना या मामा के घडारी में कोई हस्सिेदारी नहीं मिली है। खुद एक ग्रामीण के खाली पड़ी भूमि पर पांच हजार रूपये सालाना किराया दे फूस की झोपड़ी बनाई है। आज वह झोपड़ी भी आग की भेंट चढ़ गयी।अम्बेडकर ज्ञान मंच के सदस्य रवद्रिं जाडेजा ने मौके पर बताया कि सरकार के दावे तो बहुत है, लेकिन इस महिला के पास खुद के आवासीय भूमि और एक अदद पीएम आवास योजना का लाभ भी नहीं मिल सका है।अगर उक्त महिला को अपना भूमि होता तो वह भी जैसे तैसे या सरकारी योजनाओं के माध्यम से पीएम आवास योजना का लाभ ले सकती थी और उसकी भी अपना पक्का घर होता तो इस तरह का दर्दनाक हादसा नहीं होता। महज एक ही फूस की झोपड़ी में मवेशियों के खाने के लिए दोनों ओर से भूसा भरा हुआ था। उसी में उसके रहने का बिछावन, अनाज तथा बगल में ही कच्चा चूल्हा था। घर में गैस चूल्हा था लेकिन सिलेंडर खाली था। पूछने पर पीड़िता ने बताई कि पैसे के अभाव में गैस सिलेंडर नहीं भरवा सकी थी और वह खरपतवार जोड़कर कच्चे चूल्हे पर खाना बनाती थी। गुरुवार को भी खाना उसी चूल्हे पर बने। जैसे ही बछिया को पकड़ने गई, आज की चिंगारी ने बगल के भूसे में आग पकड़ लिया। भूसे से टाट में पकड़ा और टाट से छप्पर में पकड़ भयावह रूप ले लिया। नतीजा सामने था आज उसका पूरा संसार उजड़ गया। पूर्व मुखिया पुत्र मुकेश कुमार बताते हैं मंजू काफी मेहनत और मशक्कत से अपने परिवार का पालन कर रही थी। बेटी भी घर आई थी, उसकी भी जम्मिेदारी थी लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था और देखते ही देखते उसका सब कुछ उजड़ गया।

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