छपरा के केंद्रीय विद्यालय का अब अपना होगा भवन, जमीन उपलब्ध
में केंद्रीय विद्यालय के हुई थी स्थापना फोटो 18- जिला स्कूल के बिल्डिंग में संचालित छपरा का केंद्रीय विद्यालय किसी पेज पर बेहतर लगाएं छपरा, नगर प्रतिनिधि। करीब दो दशक से अपना भवन का इंतजार कर रहा छपरा...

छपरा, नगर प्रतिनिधि। करीब दो दशक से अपना भवन का इंतजार कर रहा छपरा का केंद्रीय विद्यालय को अब अपना भवन जल्द ही नसीब हो जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार के स्तर पर भी हरी झंडी मिल गई है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में जमीन चयन को मंजूरी दी गई। अपर मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से जारी पत्र में कहा गया है कि सारण जिलान्तर्गत सदर अंचल के दहियांवा मौजा में कुल प्रस्तावित रकबा पैच एकड़ भूमि केन्द्रीय विद्यालय, छपरा के भवन निर्माण के लिये केन्द्रीय विद्यालय संगठन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार को एक रुपये के टोकन मूल्य पर 30 वर्षों के लिए लीज नवीकरण विकल्प के साथ नि:शुल्क बंदोबस्त किया जाता है।
कैबिनेट की मुहर लगने के बाद केंद्रीय विद्यालय के भवन निर्माण में आने वाली तमाम अड़चनों पर अब विराम भी लग गया है। 50 करोड़ रुपए होंगे खर्च जानकारी के मुताबिक,केंद्रीय विद्यालय भवन निर्माण के लिए आज से 12 साल पहले 40 करोड रुपए आवंटित हुए थे। अब बताया जा रहा है कि इसकी लागत 50 करोड रुपये आयेगी। इसमें कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के हर खंड के लिए अलग-अलग कमरे होंगे। बहुमंजिला भवन होगा। छोटा ही सही लेकिन खेल का मैदान भी होगा। वैसे पास में ही जिला स्कूल का ग्राउंड है,जिसे क्रिकेट ग्राउंड में डेवलप किया जा रहा है।यहां के बच्चों के लिए भी यह काफी लाभ पर साबित होगा। इसके अलावा अन्य बुनियादी और आधुनिक सुविधाओं से भी केवि लैस होगा।विद्यालय के शिक्षक व कर्मचारी के रहने के लिए क्वार्टर भी इसमें बन सकते हैं। एक समय बंद होने के कगार पर पहुंच गया था विद्यालय अपना भवन नहीं रहने के कारण विद्यालय की स्थिति दिन ब दिन दयनीय होती जा रही थी। जिला स्कूल की बिल्डिंग में 2005 में स्थापित यह केंद्रीय विद्यालय 2012 से 15 के बीच में बंद होने के कगार पर पहुंच गया था। फिर धीरे-धीरे जिले के अधिकारियों ने इसे संभाला और काम चलाओ व्यवस्था तक स्कूल को बनाए रखा। मात्र पांच से छह कमरे में कक्षा 10 तक की पढ़ाई हो रही है। विद्यालय में पांच सौ से अधिक बच्चे नामांकित हैं। केंद्रीय विद्यालय के पूर्व प्राचार्य तेज नारायण ठाकुर ने भी विद्यालय के लिए भवन निर्माण व जमीन चयन के कार्य को मूर्त रूप देने के लिए जिला पदाधिकारी से लेकर सारण के जनप्रतिनिधियों से भी अनुरोध किया था। राज्य सरकार से भी पत्राचार किया गया था। जिलाधिकारी का प्रयास रंग लाया केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन चयन में जिलाधिकारी अमन समीर का प्रयास रंग लाया है। उन्होंने जमीन का चयन ही नहीं किया बल्कि वहां मौजूद अतिक्रमण को भी हटवाया है और अब आगे की प्रक्रिया उन्होंने शुरू की थी। तमाम तकनीकी अवरोधों को दूर करने के लिए संबंधित विभागों के पदाधिकारी को आपस में समन्वय बनाकर प्रस्ताव तैयार करने का टास्क जिला पदाधिकारी ने दिया था। जिला पदाधिकारी के दिए गाइडलाइन के मुताबिक प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया था। कैबिनेट से शुक्रवार को मंजूरी मिलने के बाद जिले के शिक्षाविदों ने प्रसन्नता जाहिर की है। जिलाधिकारी के प्रयास को सारण के लोग प्रशंसा कर रहे हैं। राजेंद्र कॉलेज में फिजिक्स के प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार प्रसाद ने कहा कि 20 साल से यह मामला अटका था और अब जाकर राहत वाली खबर सामने आई है। मुख्यमंत्री ने सारण को गिफ्ट दिया है। जमीन चयन के बाद भवन निर्माण हो जाने के बाद बच्चों को पढ़ाई में काफी सहूलियत होगी। बताया जाता है कि भवन निर्माण का आकार दो से तीन साल में पूरा हो जाएगा तो विद्यालय में 12वीं तक की पढ़ाई की सुविधा मिलने लगेगी।
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