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Hindi Newsधर्म न्यूज़On fifth Monday of Sawan shadow of Bhadra for more than 7 hours know somwar sawan ka muhurat puja best times

पांचवे सावन सोमवार पर भद्रा की छाया 7 घंटे से भी ज्यादा, जानें किस टाइम पूजा अति उत्तम रहेगी

  • Sawan Monday Muhurat for Shiva Pooja : आज सावन का आखिरी व पांचवा सोमवार कई शुभ योग में पड़ रहा है। गौर करने वाली बात यह रहेगी की सुबह से ही भद्रा भी लग रही है और राहुकाल का साया भी रहने वाला है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 19 Aug 2024 03:30 AM
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19 अगस्त के दिन सावन के पांचवे सोमवार का व्रत पड़ रहा है। यह पांचवा सावन का सोमवार 3 शुभ योग में पड़ रहा है। सावन के सोमवार के दिन कई शुभ और अशुभ योगों का निर्माण हो रहा है। वहीं, ध्यान रखने वाली बात यह है ही सुबह से ही भद्रा का साया मंडराने वाला है साथ ही 7 बजे से राहुकाल भी लग रहा है। ऐसे में शिव के भक्तों में कन्फ्यूजन बनना तो नॉर्मल है की आखिर पूजा किस वक्त करना सही रहेगा। इस 5वें सावन सोमवार पर भद्रा की छाया लगभग 7 घंटे 40 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में आइए जानते हैं शिव पूजन के उत्तम मुहूर्त और भद्रा के उपाय-

पांचवे सोमवार पर कब करें शिव की पूजा?

दृक पंचांग के अनुसार, सावन के पांचवे सोमवार के दिन सुबह 7 बजकर 31 मिनट से राहुकाल लग रहा है, जो 9 बजकर 08 मिनट पर खत्म हो जाएगा। वहीं, इस दिन सुबह 05:53 बजे से लेकर दोपहर 01:35 मिनट तक भद्रा रहने वाली है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:25 से शुरू हो जाएगा। ऐसे में शिव भक्तों के लिए राहुकाल से पहले यानि 7 बजकर 31 मिनट से पूर्व पूजन कर लेना बेहद उत्तम साबित हो सकता है। लेकिन बाद में भी पूजा कुछ शुभ मुहूर्त में की जा सकती है। आप अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:51 पी एम और अमृत काल 08:24 पी एम से 09:50 पी एम (राहुकाल 9:08 पर समाप्त होगा, उसके पश्चात पूजा करना शुभ होगा) के समय पूजा कर सकते हैं। ध्यान रखें शाम 7 बजे से पंचक भी लगने वाला है। 

भद्राकाल में क्या नहीं करना चाहिए?

भद्राकाल के समय किसी भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। भद्रा के समय विवाह, त्योहारों की मुख्य पूजा, नया व्यापार, मुंडन संस्कार, ग्रह प्रवेश आदि शुभ-मांगलिक काम वर्जित माने जाते हैं।  

भद्राकाल के बुरे प्रभाव से कैसे बचें?

भद्रा के 12 नामों यानि भद्रा, धन्या, विष्टि, दधिमुखी, कालरात्रि, महामारी, खरानना, भैरवी, असुरक्षयकरी, महाकाली, महारुद्रा और कुलपुत्रिका का जाप करने से भद्रा का बुरा प्रभाव कम हो सकता है। 

क्या पांचवे सोमवार पर भद्राकाल में पूजा होगी?

मन्यताओं के अनुसार, जब चंद्रमा कर्क राशि, सिंह राशि, कुंभ राशि या मीन राशि में होता है, तब पृथ्वी पर भद्रा का वास माना जाता है। पांचवे सावन सोमवार पर चंद्र देव मकर राशि में विराजेंगे लेकिन शाम 7 बजे के बाद कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। भद्रा का साया सिर्फ दोपहर तक रहेगा। ऐसे में भद्रा का निवास पृथ्वी लोक पर मान्य नहीं होगा। कहा जाता है की भद्रा का प्रभाव उसी लोक पर पड़ता है, जिस लोक में वह रहती है। 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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