‘जन्नासारी नाम को संसोधित कर जौनसारी करने की मांग
चकराता, संवाददाता। उत्तराखंड जनजाति सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष गीताराम गौड़ ने जनजातीय कार्य मंत्रालय से

उत्तराखंड जनजाति सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष गीताराम गौड़ ने जनजातीय कार्य मंत्रालय से आग्रह किया है कि ‘जन्नासारी के स्थान पर ‘जौनसारी नाम को अनुसूचित जनजाति सूची में विधिवत संशोधित किया जाए। इस संबंध में गौड़ ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओरांव को पत्र भेजकर गरिमा तोमर नाम की युवती के प्रकरण का हवाला देते हुए अविलंब कार्रवाई की मांग की है। विकासनगर निवासी गरिमा तोमर का चयन एसएससी सीजीएल परीक्षा के तहत केंद्रीय सचिवालय में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर हुआ है। लेकिन दस्तावेज सत्यापन के दौरान उनके जाति प्रमाण पत्र में दर्ज ‘जौनसारी' नाम मंत्रालय की अनुसूचित जनजाति सूची में दर्ज ‘जन्नासारी से मेल नहीं खा रहा, जिसके चलते उन्हें अब तक नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया है।
गीताराम गौड़ ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि भारत सरकार के राजपत्र दिनांक 24 जून 1967 में 'जौनसारी' सहित पांच जनजातियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 में त्रुटिवश 'जन्नासारी' अंकित हो गया, जिससे वर्षों से भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग द्वारा भी चार दिसंबर 2024 को इस विषय में संस्तुति भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई संशोधन नहीं किया गया है और न ही मंत्रालय की वेबसाइट पर इसे दुरुस्त किया गया है। जनजाति सलाहकार परिषद ने केंद्र सरकार नाम संसोधन को लेकर जल्द आदेश जारी करने की मांग की है ताकि गरिमा तोमर को समय पर उनकी नियुक्ति मिल सके और भविष्य में अन्य जौनसारी युवाओं को भी ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
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