बोले रुद्रपुर : पशुओं को पिलाने लायक भी नहीं रहा कल्याणी का पानी
कल्याणी नदी का अस्तित्व संकट में है। अतिक्रमण, औद्योगिक प्रदूषण और जागरूकता की कमी के कारण यह नदी अब मृतप्राय हो चुकी है। पहले जहां लोग इसका पानी पीते थे, अब यह पानी भी पशुओं के लिए अनुपयुक्त हो गया...
जहां नदी बहती है, गांव-शहर भी उसी के आसपास बसते हैं। गांव-शहर का अस्तिव नदी से ही होता है। कल्याणी नदी के कारण रुद्रपुर में भी बसावट शुरू हुई। उस समय कल्याणी नदी कल-कल करती हुई उत्तर प्रदेश तक लोगों की प्यास बुझाती थी। समय के आगे बढ़ने के साथ लोगों ने कल्याणी नदी व इसके किनारों पर अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। नदी का रुख बदलने के साथ ही शहर का गंदा पानी व कूड़ा-कचरा भी उसी में डाला जाने लगा। सिडकुल के निर्माण के बाद तो नदी और ज्यादा दूषित हो गई। जिस नदी का लोग कभी पानी पीते और उसमें डुबकी लगाते थे, वर्तमान में उसका पानी पशुओं को पिलाने लायक तक नहीं रह गया है। सरकार, पर्यावरण प्रेमियों, स्कूली बच्चों आदि ने कल्याणी नदी को बचाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन अब यह नदी मृतप्राय हो चुकी है। इसे बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। जगतपुरा स्थित मां अटरिया देवी मंदिर में बीती 5 अप्रैल से अटरिया मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला 28 अप्रैल तक चलेगा। मेले में उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं। मां अटरिया देवी मंदिर के समीप कल्याणी नदी बहती है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक व पर्यावरणीय सभी दृष्टि से कल्याणी नदी का काफी महत्व है। सालों से मेले में आ रहे श्रद्धालु व दुकानदार बताते हैं कि कुछ सालों पहले तक कल्याणी नदी का पानी इतना साफ था कि इसमें तैरते हुए छोटे-छोटे पत्थर साफ दिखते थे और लोग इसमें डुबकी लगाते थे। नदी के पानी का प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता था, लेकिन सिडकुल में औद्योगिक इकाइयों के निर्माण के बाद यह नदी प्रदूषित होती चली गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सिडकुल स्थित कंपनियों का गंदा पानी नदी में डालने से ही इसके अस्तिव पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। आज भी लोगों के लिए नदी का उतना ही महत्व है, लेकिन इसका पानी काफी हद तक प्रदूषित होने से लोग इसमें डुबकी लगाने की सोचते तक नहीं हैं। दुकानदारों ने बताया कि पूर्व में कल्याणी नदी मंदिर के बेहद करीब से गुजरती थी, लेकिन बाद में इस जगह पर आवासीय निर्माण होने से नदी का रुख मोड़ दिया गया। जैसे-जैसे नदी आगे बढ़ती गई, लोगों ने इसके किनारों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। नदी के आसपास मकान बनने से घरों का गंदा पानी व कूड़ा-कचरा भी इसी में फेंका जाने लगा। लोगों ने बताया कि रुद्रपुर से निकलकर यह नदी रामपुर, उत्तर प्रदेश की ओर बहती थी, लेकिन वर्तमान में शहर के फाजलपुर मेहरौला क्षेत्र के बाद इनके निशान नहीं दिखते हैं। इसे बचाने के लिए शासन-प्रशासन ने कई योजनाएं बनाईं, लेकिन इन योजनाओं से भी नदी का भला नही हो सका। कुछ समय पूर्व सामाजिक कार्यकर्ताओं व पर्यावरण प्रेमियों ने भी कल्याणी नदी को बचाने का प्रयास किया, लेकिन अत्यधिक अतिक्रमण व प्रदूषित होने से नदी की सांसें थमने लगी हैं।
नदी से नाले में तब्दील हो गई नदी : वरिष्ठ लोग कल्याणी नदी में डुबकी लगाने के अपने किस्से भावुक तरीके से सुनाते हैं। कुछ समय पहले लोग कल्याणी नदी में पीने का पानी लेने, कपड़े धोने, नहाने आदि के लिए जाते थे, लेकिन वर्तमान में यह संभव नहीं है। करीब दो दशक में कल्याणी नदी का हाल यह हो गया है कि जिस नदी में लोग डुबकी लगाते थे, अब उसका पानी पीने योग्य तक नहीं रह गया है। नदी काफी हद तक प्रदूषित हो गई है। जानवर भी इसका पानी नहीं पी रहे हैं। विडंबना यह है कि यह नदी कभी शहर के लिए पानी का मुख्य स्रोत थी, लेकिन अब यह इतनी जहरीली हो गई है कि इसके पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता है। लोग बताते हैं कि पहले नदी का बहाव बहुत तेज था। नदी की चौड़ाई करीब 250 मीटर थी, लेकिन धीरे-धीरे यह नदी से नाले में तब्दील हो गई।
सिडकुल की स्थापना के बाद अत्यधिक प्रदूषित हुई : कल्याणी नदी टांडा वन क्षेत्र से निकलती है, जो पंतनगर के पत्थर चट्टा स्थित कृषि क्षेत्रों से होकर सिडकुल होते हुए शहर की ओर बहती है। लोगों ने बताया कि नदी के उद्गम से करीब 2 किलोमीटर तक की दूरी तक इसका पानी साफ है, लेकिन सिडकुल क्षेत्र में प्रवेश करते ही यह प्रदूषित होने लगती है। मेलार्थियों ने बताया कि जब से सिडकुल क्षेत्र में कंपनियां व फैक्ट्रियां खुली हैं, तब से नदी का पानी प्रदूषित हो गया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि सिडकुल की कई कंपनियां चोरी-छिपे अपना दूषित पानी कल्याणी नदी में डाल देती हैं। कहा कि बड़ी कंपनियों ने अपने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए हैं, जिसमें वह पानी को शुद्ध करके उसका इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिए कर लेते हैं, लेकिन यहां स्थित ज्यादातर छोटी कंपनियों के पास अपना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। कहा कि यहां सरकारी ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है, लेकिन लागत ज्यादा आने की वजह से ज्यादातर कंपनियां वहां अपना दूषित पानी शुद्ध करने में रुचि नहीं लेती हैं। कहा कि यह सारा खेल अंदरखाने चलता है। लोग बताते हैं कि सिडकुल के नक्शे में भी कल्याणी को नदी की बजाय नाला दर्शाया गया है।
नदी पर हुआ अतिक्रमण, डाला जा रहा गंदा पानी : कल्याणी नदी ज्यों-ज्यों आगे को बढ़ती गई, लोगों ने इसके किनारों पर अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों ने कहा कि कल्याणी नदी के किनारों पर अतिक्रमण करने की होड़ अटरिया मंदिर से ही शुरू हो गई थी। कहा कि कभी कल्याणी नदी अटरिया मंदिर से करीब 150 मीटर की दूरी पर बहती थी, लेकिन लोगों ने नदी के किनारों की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया, जिसके कारण नदी अपने मूल स्थान से खिसक गई। इसके अलावा जगतपुरा, कल्याणी व्यू, झील आदि क्षेत्रों में कल्याणी नदी व उसके आसपास अतिक्रमण होने से उसका रास्ता अवरुद्ध हो गया। हालांकि, बरसात के दौरान नदी का जलस्तर बढ़ने से इसका गंदा पानी लोगों के घरों तक में घुस जाता है। नदी से अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ समय पूर्व शासन-प्रशासन ने अपनी कमर कसी थी। नदी के आसपास हुए अतिक्रमण पर लाल निशान आदि लगाए गए, लेकिन उसके बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जब नदी के आसपास मकान बन गए, तो लोगों ने घरों का दूषित पानी व कूड़ा-कचरा भी इसी में डालना शुरू कर दिया। इसी के साथ शहर के कई आवासीय क्षेत्रों के नालों का गंदा पानी भी कल्याणी नदी में डाला जाता है।
योजनाओं के बाद भी नदी का अस्तित्व खतरे में : कल्याणी नदी के कायाकल्प के लिए अब तक कई योजनाएं बन चुकी हैं, लेकिन उसका अब तक उद्धार नहीं हो पाया है। ज्यादातर योजनाएं कागजों में ही रह गई हैं। अधिकारियों ने कल्याणी की बायो-मैपिंग से लेकर इसमें वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने तक की बात कही थी। स्वच्छ भारत अभियान के तहत इसकी सफाई कराने की भी चर्चा हुई। इसी तरह गंगा की सहायक नदी होने के चलते कल्याणी नदी को नमामि गंगे कार्यक्रम में भी शामिल किया गया। नगर निगम ने भी सामाजिक संगठनों व स्कूली बच्चों के साथ कल्याणी पुनर्जीवन अभियान शुरू किया। अभियान से जुड़े लोगों ने नदी पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री मैं कल्याणी हूं भी बनाई थी। इस डॉक्यूमेंट्री व अन्य माध्यमों से लोगों में नदी को संरक्षित करने के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश की गई, लेकिन नदी के अस्तित्व पर अब भी खतरा मंडरा रहा है। लोगों ने कहा कि नदी में कचरा व गंदगी इतनी अधिक मात्रा में जमा हो गई है कि यह पूरी तरह से स्थिर हो गई है। इससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।
नदी के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी : जीवनदायनी कल्याणी नदी के करीब दो दशक में मृतप्राय होने की मुख्य वजह लोगों में जागरूकता की कमी है। नदी की दुर्दशा पर पर्यावरण संरक्षण में जुटे लोग खासे निराश हैं। सरकार के साथ ही स्थानीय लोगों से नदी को बचाने की अपील कर रहे हैं। पर्यावरणविदों ने कहा कि अभी भी कल्याणी नदी को बचाने में जो चीज सबसे सक्षम हो सकती है, वह स्थानीय लोगों व इस नदी को प्रभावित करने वाले सभी लोगों का सामूहिक प्रयास करना है। कहा कि स्थानीय लोग इस समस्या से सीधे प्रभावित हैं और उन्हें इसके समाधान में शामिल होना चाहिए। स्थानीय लोगों को अपनी नदी को बचाने के लिए उससे जुड़ाव महसूस करने की जरूरत है। इसके इतिहास के बारे में जागरूकता फैलाने व नदी के साथ भावनात्मक बंधन बनाने से लोगों को यह अहसास होगा कि नदी शहर का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा स्थानीय लोगों को सरकार से बेहतर सीवेज सिस्टम उपलब्ध कराने को कहने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, क्योंकि एक उचित सीवेज सिस्टम एक अच्छी तरह से सुसज्जित शहर के मुख्य भागों में से एक है। अच्छी तरह से नियोजित सीवेज निपटान नदी को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसके अलावा बायो एनर्जी डिस्चार्ज करने वाले पौधों को नदी के आसपास लगाया जाना चाहिए। इसमें पॉपुलर, यूकेलिप्टिस, कदंब, मिलिया प्रमुख हैं। कहा कि नदी के आसपास हरियाली होने से जमीन में रिचार्ज पावर बढ़ेगी और इससे पानी का संचय भरपूर मात्रा में होगा।
शिकायतें
1-कल्याणी नदी का पानी काफी दूषित हो गया है। वर्तमान में पशु तक इसका पानी नहीं पी रहे हैं। नदी पर अतिक्रमण होने और कूड़ा-कचरा डालने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
2-सिडकुल की स्थापना के बाद कल्याणी नदी का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया है। सिडकुल स्थित कई कंपनियां अपना गंदा पानी सीधे नदी में डाल देती हैं। इन पर अंकुश लगना चाहिए।
3-कल्याणी नदी के किनारों पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। साथ ही, घरों का गंदा पानी व कूड़ा-कचरा इसी में डाला जा रहा है। प्रशासन को इस पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है।
4-कल्याणी नदी को बचाने के लिए कई सरकारी योजनाएं बनाई गईं, लेकिन नदी के स्वास्थ्य में अब तक कोई सुधार नहीं हो पाया है। इसके लिए लोगों को भी जागरूक होना होगा, तभी नदी का भला होगा।
5-लोगों में जागरूकता की कमी के कारण नदी का अस्तित्व मिट रहा है। यदि नदी का अस्तित्व मिट जाएगा, तो इसका नुकसान शहर को ही होगा। इस पर जल्द ही काम करने की जरूरत है।
सुझाव
1- कल्याणी नदी को पुनर्जीवित करने के सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने चाहिए, जिससे लोग फिर से इसका पानी पी सकें और अन्य कार्यों में इस्तेमाल कर सकें।
2-सिडकुल स्थित उन कंपनियों की जांच की जानी चाहिए, जो कल्याणी नदी में गंदा पानी डालकर उसे दूषित कर रहे हैं। इन कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।
3-कल्याणी नदी के किनारे किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए ठोस रणनीति बनानी चाहिए और उस पर मजबूत इच्छाशक्ति से कार्य किया जाना चाहिए। तभी नदी पुनर्जीवित हो सकेगी।
4-कल्याणी नदी को बचाने के लिए सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा जाना चाहिए, जिससे नदी पुनर्जीवित हो सके। साथ ही लोगों को भी सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
5-लोगों को भावनात्मक रूप से नदी के साथ जोड़ा जाना चाहिए, जिससे वह समझ सकें कि रुद्रपुर का अस्तित्व कल्याणी नदी से ही है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने का आवश्यकता है।
साझा किया दर्द
कल्याणी नदी का ऐतिहासिक महत्व है। कभी इसका पानी बहुत साफ होता था। लोग इसका पानी पीते थे, लेकिन वर्तमान में इसका पानी जहरीला हो गया है। पशु तक इसका पानी नहीं पी रहे हैं।
-नत्थू लाल शर्मा
पिछले 60 साल से कल्याणी नदी को देख रही हूं। करीब 20 साल पहले तक इसमें पत्थर साफ दिखाई देते थे, लेकिन सिडकुल में औद्योगिक इकाइयों के निर्माण के बाद यह दूषित हो गई।
-रेशम वती
पूर्व में यह काफी चौड़ी नदी होती थी, लेकिन बाद में यहां लोग मकान बनाते गए। नदी की दिशा मोड़ दी गई। इसका पानी इतना गंदा हो गया है कि अब पशु भी इसे नहीं पीते हैं।
-मुन्ना लाल
30-40 साल से अटरिया मेले में आ रहे हैं। हमने इस नदी का पानी पिया है, लेकिन अब इसका पानी किसी इस्तेमाल का नहीं रह गया है। फैक्ट्रियां बनने के बाद नदी प्रदूषित हो गई है।
-इंद्रजीत
वर्ष-2000 से मेले में दुकान लगा रहे हैं। पहले कल्याणी नदी मंदिर के करीब से बहती थी। तब यह अच्छी-खासी नदी थी, लेकिन अतिक्रमण व फैक्ट्रियों के गंदे पानी की वजह से नदी नाले में बदल गई।
-संजय
कुछ साल पहले तक इसका पानी साफ था, लेकिन अब यह काफी प्रदूषित हो गई है। नदी को बचाने के लिए सरकार को ठोस उपाय करने चाहिए। साथ ही लोगों को भी जागरूक होना होगा।
-सावित्री
कल्याणी नदी के प्रति हमारे दिल में बेहद आस्था है। मैंने इस नदी के पानी को बिल्कुल साफ देखा है। हम इस नदी की पूजा करते हैं। नदी को प्रदूषित करना मानवता के हित में नहीं है।
-गायत्री
सिडकुल की फैक्ट्रियां ही कल्याणी नदी के अस्तित्व को मिटाने में लगी हैं। इन फैक्ट्रियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इन्हें नदी में गंदा पानी डालने से हर हाल में रोकना होगा।
-सुरेंद्र
कल्याणी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार को विशेष योजना बनाने की जरूरत है। इसके आसपास किए गए अतिक्रमण को हटाने से ही इसका वजूद बना रहेगा। लोगों को भी जागरूक होना चाहिए।
-हीरा लाल
कल्याणी नदी काफी प्रदूषित हो गई है। सबसे पहले सिडकुल की कंपनियों को इसमें गंदा पानी डालने से रोकना होगा। अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए। लोगों को भी इसमें कचरा फेंकने से बाज आना चाहिए।
-धर्मपाल
प्रशासन और राजनेता ठान लें तो नदी की सेहत में सुधार किया जा सकता है, लेकिन अधिकारियों में इच्छाशक्ति की कमी व राजनेताओं को वोट बैंक की चिंता ज्यादा रहती है। नदी को बचाया जाए।
-गणेश
बोले राज्य आंदोलनकारी
आवास विकास स्थित अटरिया नाले का गंदा पानी भी कल्याणी नदी में डाला जाता है। अटरिया नाले के किनारे लोहे की जालियां लगाई जानी चाहिए, जिससे लोग कूड़ा-कचरा नाली में न फेंक सकें।
- पीसी शर्मा, राज्य आंदोलनकारी
बोले नगर आयुक्त
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सिडकुल स्थित कंपनियों की जांच की गई है। नगर निगम की ओर से समय-समय पर कल्याणी नदी की सफाई करवाई जाती है। मॉनसून से पहले इसकी फिर से सफाई कराई जाएगी।
- नरेश चंद्र दुर्गापाल, नगर आयुक्त, रुद्रपुर
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