जमीन आवंटन के बाद फैक्ट्री न लगने के मामलों की जांच कराएगी योगी सरकार, ब्योरा तलब
- योगी आदित्यनाथ सरकार की कोशिश है कि रुकी हुई औद्योगिक इकाइयां जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करें। उत्तर प्रदेश में आए 40 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को तेजी से आगे बढ़ाने में यह बड़ी पहल मानी जा रही है। इसमें 7000 औद्योगिक परियोजनाओं में उत्पादन चालू हो गया है।
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योगी सरकार निवेशकों को आवंटित हो चुके भूखंडों पर औद्योगिक परियोजनाएं न लग पाने के मामलों की जांच कराएगी। इससे पता चलेगा कि किन वजहों से फैक्ट्री नहीं लग पा रही है या लगने के बाद भी उत्पादन चालू नहीं हो पा रहा। सरकार की कोशिश है कि रुकी हुई औद्योगिक इकाइयां जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करें। यूपी में आए 40 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को तेजी से आगे बढ़ाने में यह बड़ी पहल मानी जा रही है। इसमें 7000 औद्योगिक परियोजनाओं में उत्पादन चालू हो गया है।
चालू न होने वाली औद्योगिक परियोजनाओं की होगी पहचान: मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस संबंध में औद्योगिक विकास विभाग को छह पेज का पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि उद्योग व निवेश बढ़ाने के लिए जरूरी है कि औद्योगिक प्राधिकरणों क्षेत्रो में जिन औद्योगिक इकाइयों को भूखंड दिए गए हैं, वह शीघ्र उत्पादन शुरू करें। इनका पंजीकरण कराया जाए ताकि उनकी सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) को प्रदेश की सकल राज्य घरेलू (जीएसडीपी) में शामिल किया जा सके। चालू न होने पाने वाली औद्योगिक परियोजनाओं की पहचान की जाए। उनकी समस्याओं का समाधान कराया जाए। यही नहीं अगले वित्तीय वर्ष के लिए नई औद्योगिक परियोजनाओं को क्रियाशील करने के लिए ठोस लक्ष्य भी तय किए जाने हैं। ऐसे में एक प्रगति रिपोर्ट तैयार कर इनकी नियमित समीक्षा की जाए।
पिछले साल चालू व निष्क्रिय परियोजनाओं की रिपोर्ट मांगी
औद्योगिक विकास विभाग ने इन्वेस्ट यूपी से पूरी रिपोर्ट मांगी है। इसमें बताना है कि औद्योगिक प्राधिकरणों के तहत आवंटित भूखंड में कितने का निवेश हुआ और उसमें कितनों में कब से उत्पादन शुरू हो गया है। इसमें कौन से उत्पाद निर्मित हो रहे हैं। कारखाना अधिनियम में कितने पंजीकृत हैं। एक अप्रैल 2024 से 31 अप्रैल 2024 के बीच चालू हुई औद्योगिक परियोजनाओं को ब्यौरा भी तलब किया गया है। इसके तहत क्रियाशील हुए भूखंडों में किया गया निवेश, उत्पादन शुरू करने की तारीख बतानी है।
क्रियाशील किए गए आईटी भूखंडों का विवरण देना होगा
वित्तीय वर्ष में क्रियाशील किए गए आईटी भूखंडों का विवरण भी देना है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी उद्योग भूखंड का क्षेत्रफल, कंपनी का नाम के साथ यह भी बताना है कि क्या आईटी कंपनी साफ्टवेयर निर्यात में है या नहीं। इसमें कार्यरत कर्मचारियों की संख्या भी बतानी है। जिन भूखंडों पर आईटी कंपनियां चालू हो गई हैं, वहां भी पूरा विवरण तय प्राफार्मा में मांगा गया है।
उत्पादन की संभावित तारीख भी बतानी होगी
यही नहीं इस साल एक जनवरी 2025 से 31 मार्च 2025 तक क्रियाशील होने वाले भूखंडों के बाबत भी जानकारी मांगी गई है। इसमें बताना है कि हर भूखंड में लगने वाले उद्योग में कितना निवेश होना है। इसमें उत्पादन शुरू करने की संभावित तारीख है। इसके अलावा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष में किए क्रियाशील किए गए आईटी भूखंडों की संख्या बतानी होगी।
खास बातें
- सरकार निष्क्रिय परियोजनाओं में उत्पादन चालू कराने पर देगी जोर
- 2023 में ग्लोबल समिट में 33.5 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए जो बाद में बढ़कर 40 लाख करोड़ हो गए
-10 लाख करोड़ की निवेश परियोजनाओं का शिलान्यास भी करा दिया गया
-इसमें 7000 परियोजनाओं में औद्योगिक उत्पादन चालू हो गया