प्रयागराज में गंगा की धारा बदलने की तैयारी, महाकुंभ 2025 से पहले भगीरथ प्रयास फिर शुरू
प्रयागराज में महाकुम्भ से पहले संगम क्षेत्र में गंगा का प्रवाह बदलने की दूसरी कोशिश शुरू हो गई। प्रवाह क्षेत्र बनाने के लिए गंगा में तीन ड्रेजिंग मशीनें उतारी गई हैं। गंगा के बढ़े जलस्तर के बीच से बालू निकाली जा रही है। गंगा का प्रवाह बदलने का काम मई-जून में शुरू हुआ था।
प्रयागराज में महाकुम्भ से पहले संगम क्षेत्र में गंगा का प्रवाह बदलने की दूसरी कोशिश शुरू हो गई। प्रवाह क्षेत्र बनाने के लिए गंगा में तीन ड्रेजिंग मशीनें उतारी गई हैं। गंगा के बढ़े जलस्तर के बीच से बालू निकाली जा रही है। गंगा का प्रवाह बदलने का काम मई-जून में शुरू हुआ था। उस समय भी ड्रेजर से बालू निकालकर नई धारा बनाई गई थी। वर्तमान प्रवाह क्षेत्र से लगभग 200 मीटर दूर नये मार्ग पर गंगा का प्रवाह भी शुरू हो गया। जुलाई-अगस्त और सितंबर में गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद संगम क्षेत्र जलमग्न हुआ तो गंगा का नया प्रवाह क्षेत्र भी डूब गया।
गंगा के नए प्रवाह क्षेत्र में फिर बालू भर गई है। नए प्रवाह क्षेत्र से बालू निकालने के लिए फिर ड्रेजिंग की जा रही है। सिंचाई विभाग (बाढ़ प्रखंड) के अधिशासी अभियंता डीएन शुक्ला ने बताया कि ड्रेजिंग वाला दायरा डूबा है। पानी सूखने के बाद बालू निकालने का काम तेजी से होगा। 200 मीटर तक नया प्रवाह क्षेत्र विकसित होने से महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को गंगा में पर्याप्त जल मिलेगा।
वृहद हो जाएगा संगम नोज का दायरा
शास्त्री ब्रिज से संगम तक गंगा का प्रवाह बदलने से महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को स्नान करने के लिए पर्याप्त जगह मिलेगी। सबसे बड़े स्नान घाट संगम नोज का दायरा वृहद हो जाएगा। दारागंज से संगम तक संस्था और कल्पवासियों को बसाया जा सकेगा। पिछले कुछ साल से गंगा का प्रवाह दारागंज और त्रिवेणी बांध के करीब आ रहा है। इससे अबतक मेला क्षेत्र की 200 मीटर जमीन गंगा में समाहित हो गई।