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अमेठी में बच्चे की चाहत में सौतेली मां ने 4 साल के मासूम बच्चे की चढ़ा दी बलि, अगरबत्ती से जलाया फिर गंमछे से घोंट दिया गला

उत्तर प्रदेश के अमेठी में सौतेली मां ने अपने बच्चे की चाहत में 4 साल मासूम बच्चे की बलि चढ़ा दी। पुलिस ने सौतेली मां, उसके माता-पिता व एक बलि दिलाने वाले ओझा को गिरफ्तार कर लिया है।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, अमेठीThu, 15 June 2023 01:39 PM
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उत्तर प्रदेश के अमेठी में सौतेली मां ने अपने बच्चे की चाहत में 4 साल मासूम बच्चे की बलि चढ़ा दी। पुलिस ने सौतेली मां, उसके माता-पिता व एक बलि दिलाने वाले ओझा को गिरफ्तार कर लिया है। हत्या में प्रयुक्त गमछा, तंत्र-मंत्र में प्रयुक्त सामान व एक बाइक बरामद किया है।  

रेसी गांव निवासी जितेन्द्र प्रजापति का चार वर्षीय पुत्र सत्येन्द्र रविवार की रात घर के सामने आयोजित शादी कार्यक्रम से लापता हो गया था। सोमवार की सुबह उसका शव घर से चार सौ मीटर दूर तालाब किनारे नाली में पड़ा मिला था। बच्चे के शव पर कई स्थानों पर जलाए जाने के निशान थे। वहीं 20 कदम दूर अगरबत्ती का पैकेट, माचिस व मिट्टी का बनाया खिलौना मिला था। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो ऐसे तथ्य सामने आए जो मानवता को शर्मसार करने वाले थे। बुधवार की सुबह साढ़े पांच बजे प्रभारी निरीक्षक जामो विवेक सिंह ने जांच से प्रकाश में आए अभियुक्तों रेनू पत्नी जितेन्द्र प्रजापति निवासी रेसी, रेनू के पिता मंगरू प्रजापति व उनकी पत्नी प्रेमा देवी निवासी नाथूपुर मुसाफिरखाना व ओझा दयाराम यादव निवासी सरैया मजरे पूरे विसैनी थाना कुड़वार जनपद सुलतानपुर को बंधवा नहर पुल के पास से गिरफ्तार कर लिया। जिनकी निशानदेही पर घटना स्थल के पास झाड़ियों से बच्चे की हत्या में प्रयुक्त गमछा, नींबू, जायफल आदि तंत्र-मंत्र का सामान बरामद कर लिया।

ऐस रची साजिश
एएसपी हरेन्द्र कुमार ने बताया कि पूछताछ में अभियुक्त मंगरू व उसकी पत्नी प्रेमा देवी ने बताया कि उन्होंने डेढ़ वर्ष पूर्व अपनी बेटी रेनू का दूसरा विवाह रेशी निवासी जितेन्द्र प्रजापति के साथ किया था। जितेन्द्र की पहली पत्नी उसे छोड़कर चली गयी थी। जिससे पैदा हुआ 4 वर्षीय पुत्र गोपी उर्फ सत्येन्द्र अपने पिता के साथ ही रहता था। शादी के बाद रेनू अक्सर बीमार रहती थी तथा बार-बार उसका गर्भपात हो जा रहा था। जिस पर उन लोगों ने तंत्र-मंत्र करने वाले दयाराम यादव से बात किया तो दयाराम ने बताया कि बच्चा सकुशल होने के लिए एक बच्चे की बलि देनी पड़ेगी। इसी के बाद उन लोगों ने जितेन्द्र की पहली पत्नी के बेटे सत्येन्द्र की बलि देने का प्लान बनाया।

रविवार की रात करीब 8 बजे चारों रेसी बन्धे के पास पीपल के पेड़ के नीचे इकट्ठा हुए। जहां पर तांत्रिक दयाराम ने तंत्र-मंत्र करते हुए सत्येन्द्र को अगरबत्ती से जलाया तो वह चिल्लाने लगा। जिससे डर कर उन लोगों ने यूकेलिप्टस के पेड़ की आड़ में सूनसान स्थान पर ले जाकर सत्येन्द्र के गले में गमछे से फंदा लगाकर कस दिया। जिससे उसकी मौत हो गई। फिर बच्चे की दोनों आंख, एक कान, गाल, कन्धा, हाथ की कोहनी, ठुड्डी, हाथ की अंगुली पर कपूर डाल कर माचिस तथा चिलम से जला दिया। कर्मकाण्ड पूरा होने के बाद शव को गड्ढ़े में छिपाकर तीन लोग बाइक से मुसाफिरखाना चले गए और रेनू अपनी ससुराल रेसी चली गयी।

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