...तो फिर गिरफ्तार ही क्यों किया? रामजी लाल सुमन के हमलावरों को थाने से रिहा करने पर बोले अखिलेश
अलीरामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला करने वालों की रिहाई पर अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि अगर छोड़ना था तो फिर गिरफ्तार ही क्यों किया। उन्होंने कहा कि यूपी में ‘महा अन्यायराज’ है और कुछ नहीं कहना है।

यूपी के अलीगढ़ में सपा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर करणी सेना ने हमला बोल दिया। इस घटना में वह बाल-बाल बचे। उधर, पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि एसडीएम कोर्ट ने सभी को निजी मुचलके पर छोड़ दिया। इसे लेकर अब समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि अगर छोड़ना था तो फिर गिरफ्तार ही क्यों किया।
रामजी लाल सुमन पर हमला करने को छोड़े जाने को लेकर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “ये है भाजपा राज में एक दलित सांसद के ऊपर हुए जानलेवा हमले पर की गयी दिखावटी कार्रवाई। अगर 24 घंटे में ही छोड़ना था तो गिरफ्तार ही क्यों किया था। यूपी का पीडीए समाज ये नाइंसाफ़ी देख रहा है। उप्र में ‘महा अन्यायराज’ है और कुछ नहीं कहना है।”
अचानक इतने टायर कहां से आए? जांच के लिए पहुंचे एसएसपी
सपा सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर हमले की गूंज शासन तक पहुंची है। घटना के पीछे सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर इतने टायर कहां से आए? कहीं कोई साजिश तो नहीं थी। इसकी जांच के लिए सोमवार को एसएसपी संजीव सुमन खुद घटनास्थल पर पहुंचे। टायर की दुकान चलाने वाले व्यक्ति के अलावा आसपास के लोगों से पूछताछ की। लेकिन, साजिश जैसी कोई बात सामने नहीं आई। लोगों ने बताया कि टायर दुकान के बाहर ही रखे थे। दुकानदार कुछ देर के लिए गांव में आ गया। इसके पीछे घटना हो गई।
रविवार को सांसद रामजीलाल सुमन के नेतृत्व में सपा प्रतिनिधिमंडल बुलंदशहर के गांव सुनहरा जा रहा था। गभाना क्षेत्र में सोमना मोड़ पर कुछ लोगों ने पथराव करते हुए काफिले की गाड़ियों पर टायर फेंके। भारी विरोध के चलते पुलिस ने सुमन को बुलंदशहर जाने से रोक दिया और गभाना टोल से लौटा दिया था। एसएसपी ने लापरवाही पर गभाना कस्बा चौकी प्रभारी आलोक शर्मा व बीट सिपाही को निलंबित कर दिया।
थाना प्रभारी के खिलाफ जांच बिठाई गई। मामले में 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पांच लोगों को गिरफ्तार कर शांतिभंग में कार्रवाई की गई। जांच में पता चला कि करणी सेना व क्षत्रीय समाज के अलग-अलग संगठनों के कार्यकर्ता कई स्थानों पर पहले से ही मौजूद थे। घटना के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हमला आपराधिक कृत्य है। इतने टायर एक साथ इकट्ठा करना, एक गहरी साजिश का सुबूत है। वहीं, रामजीलाल सुमन ने कहा कि सरकार उनकी हत्या कराना चाहती है। ऐसे में शासन स्तर से भी घटना की जानकारी ली गई। इस पर सोमवार को एसएसपी व एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक मौके पर पहुंचे और जांच की।
काले झंडे दिखाने की थी योजना
पूछताछ में पता चला कि टायर फेंकने वाले लोग आसपास के गांव के ही है। उनकी योजना काले झंडे की दिखाने की थी। 15 मिनट पहले ही सभी वहां एकत्रित हुए थे। लेकिन, जब काफिला तेजी से निकला तो लोगों ने वहां रखे टायर फेंकने शुरू कर दिए। पुलिस वीडियो के आधार पर अन्य आरोपियों को चिह्नित कर रही है।
करणी सेना के नेता को हिरासत में लेने की सूचना फैलाई
सोमवार शाम को सोशल मीडिया पर एक सूचना फैला दी गई कि करणी सेना के नेता ज्ञानेंद्र सिंह चौहान को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस उन्हें एसएसपी आवास पर लेकर जा रही है। लेकिन, बाद में खुद ही ज्ञानेंद्र चौहान ने स्पष्ट किया कि वह केवल शिष्टाचार भेंट के लिए आए थे।
नेताओं को बुलाकर एसएसपी ने दी हिदायत
एसएसपी ने करणी सेना के मुकेश रावल, अखिल भारतीय करणी सेना के ज्ञानेंद्र चौहान, क्षत्रीय महासभा के शैलेंद्र पाल सिंह, विवेक चौहान आदि लोगों को आवास पर बुलाया। करीब आधा घंटा की बातचीत में जोर दिया गया कि दोबारा ऐसी घटना न हो। कहा कि अचानक फेंके गए टायर से कोई बड़ी घटना हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता? नेताओं ने सहयोग का आश्वासन भी दिया।
इस मामले में एसएसपी संजीव सुमन ने बताया कि घटनास्थल पर जाकर लोगों से पूछताछ की गई। इसमें साजिश जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। दुकान के बाहर रखे टायरों को अचानक फेंका गया था। इसके अलावा करणी सेना व अन्य लोगों को बुलाकर बातचीत की गई। साथ ही हिदायत भी दी गई, ताकि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।