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मां मुझे माफ करना… आईएएस बनना चाह रहे युवक ने बनारस में जान दी, दस साल से कर रहा था तैयारी

आईएएस बनने के लिए कई साल से तैयारी कर रहे एक युवक ने बुधवार को फांसी लगाकर जान दे दी। मऊ का रहने वाला युवक बनारस के चंदुआ (छित्तूपुर) की हरिनगर कॉलोनी में किराए पर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा था। उसने अपनी कॉपी के एक पेज पर सुसाइड नोट भी लिखा है।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाताWed, 5 Feb 2025 11:11 PM
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मां मुझे माफ करना… आईएएस बनना चाह रहे युवक ने बनारस में जान दी, दस साल से कर रहा था तैयारी

आईएएस बनने के लिए कई साल से तैयारी कर रहे एक युवक ने बुधवार को फांसी लगाकर जान दे दी। मऊ का रहने वाला युवक बनारस के चंदुआ (छित्तूपुर) की हरिनगर कॉलोनी में किराए पर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा था। उसने अपनी कॉपी के एक पेज पर सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें उसने लिखा है ‘सॉरी मां, मुझे माफ करना’। सिगरा पुलिस ने कॉपी को कब्जे में लेकर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पीसीएस की परीक्षा उसने दी थी। आखिर प्रयास में वह दो नंबर से चूक गया था।

हलधरपुर (मऊ) थाना क्षेत्र के दौड़ा होरो की मठिया निवासी 30 वर्षीय प्रेमचंद शर्मा सात साल से देवेंद्र सिंह के मकान की दूसरी मंजिल पर एक कमरे में किराये पर रहता था। वह शुरू में कोचिंग पढ़ता था। कुछ वर्षों से वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। साथ ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकालता था। मंगलवार देर रात उसने फांसी लगा ली। बुधवार सुबह मकान मालकिन जब छत पर पहुंचीं तो देखा प्रेमचंद के कमरे का दरवाजा बंद है।

काफी आवाज लगाने पर कोई जवाब नहीं मिला तो खिड़की से झांका। अंदर फंदे से प्रेमचंद का शव लटकते देख सन्न रह गईं। उन्होंने अपने परिजनों को जानकारी दी। सूचना पर सिगरा पुलिस और फॉरेंसिक टीम पहुंची। प्रेमचंद ने खिड़की की सिटकनी में फंदा बांधकर फांसी लगाई थी।

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सिविल परीक्षा के आखिरी प्रयास में दो नंबर से चूका

जनवरी-2024 में पीसीएस परीक्षा का रिजल्ट आया था। इसमें मात्र दो नंबर से वह चूक गया था। साथ ही परीक्षा के लिए उसका यह आखिरी प्रयास भी था। उम्र की बाध्यता की वजह से इसके बाद वह परीक्षा भी नहीं दे पाया। इस कारण वह तनाव में था। परिजनों के मुताबिक वह करीब 10 साल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा था।

मकान मालकिन से कहा था, इस साल सफल होगा

प्रेमचंद ने मकान मालकिन से पिछले साल कहा था कि उसकी तैयारी अच्छी है। एक साल में वह पीसीएस परीक्षा पास कर लेगा। फिर अफसर बनेगा।

भाई-बहनों में सबसे छोटा था

प्रेमचंद के पिता वशिष्ठ शर्मा स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। उनका निधन हो चुका है। निधन के बाद अनुकंपा के आधार पर प्रेमचंद के बड़े भाई की नौकरी लगी। दूसरे नंबर का भाई बाहर निजी कंपनी में काम करता है। प्रेमचंद तीन भाई और दो बहनों में सबसे छोटा था।

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