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IIT बाबा की कहानी हो रही है वायरल, इंजीनियरिंग-फोटोग्राफी में मन नहीं रमा तो बन गए संत

प्रयागराज में सोमवार से महाकुंभ का नआगाज हो चुका है। इसमें शामिल होने के लिए तरह-तरह के संत और बाबा पहुंचे हैं। इन्हीं में से एक मसानी गोरख बाबा उर्फ आईआईटी बाबा हैं। जैसा इनके नाम से ही पता चलता है इन्होंने आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद बाबा बने हैं।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानMon, 13 Jan 2025 11:32 PM
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प्रयागराज में सोमवार से महाकुंभ का आगाज हो चुका है। इसमें शामिल होने के लिए तरह-तरह के संत और बाबा पहुंचे हैं। इन्हीं में से एक मसानी गोरख बाबा उर्फ आईआईटी बाबा हैं, जिनकी ओर सबका ध्यान जा रहा है। जैसा इनके नाम से ही पता चलता है आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद संत बने है। इंजीनियरिंग भी आईआईटी बंबई से एरोनॉटिकल स्ट्रीम में की है। हरियाणा के मूल निवासी आईआईटी बाबा का असली नाम वैसे अभय सिंह है। अभय सिंह की इंजीनियर से संन्यासी बनने के पीछे की कहानी भी बेहद रोचक है। उनकी इच्छा फोटोग्राफी करने की थी। फोटोग्राफी में नौकरी के लिए डिग्री की जरूरत थी। ऐसे में एक साल कोचिंग में भी पढ़ाया था।

न्यूज 18 से बातचीत में बाबा ने अपने जीवन के कई राज खोले। जब बाबा से पूछा गया कि वो इंजीनियरिंग और फोटोग्राफी भी करने के बाद इस अवस्था में कैसे आए? इस पर बाबा ने बिल्कुल साफगोई से कहा कि यही यही सबसे उत्तम अवस्था है। ज्ञान के पीछे चलते जाओ, चलते जाओ, कहां तक जाओगे? आखिर में यहीं पर आना है। लेकिन मैं उस समय ये समझ नहीं पा रहा था कि करना क्या है?

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आईआईटी बाबा ने बताया कि आईआईटी मुंबई में 4 साल पढ़ाई करने के बाद फिजिक्स में कोचिंग भी की। पैशन के चलते आर्ट्स में चला गया और फोटोग्राफी सीखी। मैंने मास्टर्स इन डिजानिंग में डिग्री ली। इसे करने के बाद भी मेरा मन कहीं लग नहीं रहा था। मेरे अंदर व्याकुलता बढ़ती जा रही थी।

बाबा ने कहा कि मैं जीवन में पहले इंजीनियरिंग करना चाह रहा था, लेकिन इसके बाद भी जीवन का मतलब समझ नहीं आया कि आखिर करना क्या है। इसके बाद लगा कि, मुझे फोटोग्राफी करनी चाहिए। मैंने ट्रैवल फोटोग्राफी शुरू की और लगा कि इसमें ड्रीम लाइफ जीएंगे। घूमेंगे, हर जगह जाएंगे और खूब मौज करेंगे और पैसे भी कमाएंगे। यह बढ़िया दुनिया होगी।

बाबा ने कहा कि पैसा वैसे भी इंजीनियरिंग से भी कमा सकता था, लेकिन मैंने अपना पैशन पूरा किया। मगर ज़िंदगी का मतलब मुझे यहां भी समझ नहीं आया। मसानी बाबा भले ही इन दिनों प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर हैं और महाकुंभ 2025 का आनंद ले रहे हैं लेकिन इससे पहले कई धार्मिक शहरों में रहे हैं। वह पिछले चार महीने काशी में रहे। इसके अलावा ऋषिकेश में भी रहे हैं। उनका कहना है कि वह चारों धामों पर भी रहते हैं। उनका ठिकाना बदलता रहता है।

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