ऐक्शन में बिजली विभाग, लापरवाही पर 5 चीफ इंजीनियरों को नोटिस; 3 हटाए गए
- पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने कहा कि बेहतर बिजली व्यवस्था के लिए जरूरी है कि जितने की बिजली उपभोक्ताओं को दी जा रही है, उतने के बिल वसूले जाएं। स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाने में सरकारी कार्यालयों और आवासों को प्राथमिकता दी जाएगी।
Power Corporation Action: बिजली बिलों की वसूली और गलत बिलों के संशोधन में लापरवाही पर पांच मुख्य अभियंताओं को आरोप पत्र देने और तीन को हटाने के आदेश पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने शुक्रवार को दिए हैं। मेरठ-2, आगरा, बांदा, कानपुर-2 और अलीगढ़ के मुख्य अभियंताओं को आरोप पत्र दिए गए हैं जबकि मिर्जापुर, बरेली-1 और मेरठ-1 के मुख्य अभियंताओं को हटाकर डिस्कॉम मुख्यालय से संबद्ध करने का फैसला लिया गया है।
इसके अलावा अयोध्या और सीतापुर के मुख्य अभियंताओं को ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्तता में बढ़ोतरी पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को सही बिल उपलब्ध करवाना और जितने की बिजली दी गई है, उतनी रकम वसूलना हमारी शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डॉ. गोयल ने प्रदेश के सभी डिस्कॉम के एमडी और निदेशक कॉमर्शियल व तकनीकी के साथ शुक्रवार को समीक्षा बैठक की।
उन्होंने कहा कि बेहतर बिजली व्यवस्था के लिए जरूरी है कि जितने की बिजली उपभोक्ताओं को दी जा रही है, उतने के बिल वसूले जाएं। डॉ. गोयल ने राजस्व वसूली बढ़ाने के प्रयास तेज करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिन डिवीजनों में राजस्व वसूली की स्थिति खराब है, उन्हें चिह्नित कर स्थिति सुधारने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि ट्रांसफॉर्मरों के क्षतिग्रस्त होने में कमी आई है लेकिन इस दिशा में और भी काम किया जाना चाहिए। पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाने में सरकारी कार्यालयों और आवासों को प्राथमिकता दी जाए।अध्यक्ष ने कहा कि गर्मियों के मद्देनजर अनुरक्षण काम समय से करवाए जाएं।
निजीकरण प्रक्रिया निरस्त करने की मांग
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को 79वें दिन भी बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हित में निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण होने से कॉमन कैडर के मुख्य अभियंता स्तर -1 के 7 पद, मुख्य अभियंता स्तर -2 के 25 पद, जेई के 2,154 पद समाप्त हो जाएंगे।
संविदा के लगभग 50 हजार पद समाप्त होंगे
शैलेंद्र दुबे ने तृतीय श्रेणी के अन्य कर्मचारियों के 23,818 पद समाप्त हो जाएंगे और संविदा के लगभग 50 हजार पद समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि तृतीय श्रेणी के 23,818 कर्मचारियों और लगभग 50 हजार संविदा कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा भी निजीकरण से मंडरा रहा है। इसके अलावा किसानों को मुफ्त बिजली योजना पर भी संकट आ सकता है। लिहाजा निजीकरण समाप्त कर दिया जाए।