वकील को घर में नजरबंद करने पर हाईकोर्ट नाराज, पुलिस कमिश्नर से किया जवाब तलब, कहा-किसके आदेश पर हुई कार्रवाई
हाईकोर्ट ने आगरा जिला न्यायालय में प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान एक वकील को न्यायालय परिसर में जाने से रोकने और उसे घर पर निगरानी में रखने की कार्यवाही पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने आगरा पुलिस कमिश्नर से ऐसी कार्रवाई किए जाने की वजह पूछी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा जिला न्यायालय में उच्च न्यायालय के प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान एक वकील को न्यायालय परिसर में जाने से रोकने और उसे घर पर निगरानी में रखने की कार्यवाही पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने आगरा पुलिस कमिश्नर से ऐसी कार्रवाई किए जाने की वजह पूछी है कि किन कारणों से अधिवक्ता के साथ इस प्रकार का बर्ताव किया गया। आगरा के महताब सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने दिया।
कोर्ट ने कहा कि यह काफी दुखद है कि वकालत कर रहे हैं एक अधिवक्ता को अदालत जाने से इस वजह से रोका जाता है। पुलिस अधिकारियों ने उसके आने-जाने पर सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगाया है कि प्रशासनिक जज को जिला न्यायालय परिसर का भ्रमण करना है। याची अधिवक्ता का कहना था कि 15 नवंबर 2024 को आगरा जिला न्यायालय में हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज के भ्रमण का कार्यक्रम था। इस दिन उसे 10 घंटे तक घर में ही बंद रखा गया और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 168 का नोटिस उसे दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में जिला जज आगरा से रिपोर्ट मांगी थी कि किसके निर्देश पर ऐसा किया गया। जिला जज आगरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उनको इस मामले की जानकारी नहीं है और ना ही पुलिस ने उनसे कोई अनुमति ली थी।
कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि क्या प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान किसी अधिवक्ता की गतिविधियों की निगरानी और निरीक्षण करने की कोई नीति है। और क्या इससे पूर्व भी प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान अधिवक्ताओं के साथ ऐसा किया जाता रहा है। अधिवक्ता महताब सिंह के खिलाफ 37 वर्ष पूर्व एक आपराधिक मुकदमा कायम हुआ था। उसके बाद से अब तक कई प्रशासनिक जजों ने आगरा जिला न्यायालय का भ्रमण किया होगा। तो क्या उस दौरान भी अधिवक्ता के साथ ऐसी कार्रवाई की गई थी। और यदि ऐसा कुछ किया गया था तो उसका विवरण प्रस्तुत किया जाए।
अदालत का कहना था कि हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान किसी अधिवक्ता को इस आशंका में निगरानी में रखा गया हो कि उसके द्वारा कोई अपराध किया जा सकता है। कोर्ट ने ऐसा आदेश जारी करने वाले डिप्टी पुलिस कमिश्नर को भी अगली सुनवाई पर अदालत में हाजिर रहने का निर्देश दिया है।