हाथरस भगदड़: न्यायिक जांच आयोग ने 1680 पन्नों की रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंपी, जहरीले स्प्रे के दावे को किया खारिज
हाथरस भगदड़ मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने बुधवार को यूपी सरकार को 1680 पन्नों की अपनी रिपोर्ट सौंप दी। बता दें कि पिछले साल 2 जुलाई कोकासगंज जिले की पटियाली तहसील के हाथरस गांव में स्वयंभू बाबा भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में करीब 121 लोगों की जान चली गई थी।

हाथरस भगदड़ मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को 1680 पन्नों की अपनी रिपोर्ट सौंप दी। पिछले साल 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की पटियाली तहसील के हाथरस गांव में स्वयंभू भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में करीब 121 लोगों की जान चली गई थी।
यूपी सरकार ने हाथरस भगदड़ की जांच के लिए एसआईटी और न्याय आयोग का गठन किया था। हाथरस के सिकंदरा राऊ थाने में दर्ज एफआईआर में बाबा का नाम आरोपी के तौर पर नहीं था और न ही एफआईआर में नामजद दो महिला सेवादारों समेत 11 आरोपियों के खिलाफ हाथरस कोर्ट में दाखिल 3200 पन्नों की चार्जशीट में उनका नाम है। घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग का नेतृत्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने किया था।
न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में साजिश के पहलू से इनकार नहीं किया गया है और कहा गया है कि भोले बाबा के चरण रज को इकट्ठा करने का आह्वान भीड़ के बेकाबू होने का मुख्य कारण था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हलफनामों/आवेदनों में जांच की दिशा को भटकाने के इरादे से भ्रामक तथ्य पेश किए गए थे लेकिन अपराध की जांच कर रही एसआईटी द्वारा इस आपराधिक पहलू की गहराई से जांच की जाए तो यह वैध होगा। कुछ लोगों द्वारा जहरीला स्प्रे इस्तेमाल करने से भगदड़ जैसी स्थिति पैदा होने की थ्योरी को न्यायिक जांच आयोग ने नकार दिया है और रिपोर्ट में कहा गया है कि जहरीले स्प्रे की थ्योरी का दावा करने वाले हलफनामे बाबा के अनुयायियों द्वारा जांच की दिशा को भटकाने के लिए जानबूझकर दिए गए थे।
न्यायिक जांच रिपोर्ट ने जहरीले स्प्रे की थ्योरी को किया खारिज
हाथरस भगदड़ मामले की न्यायिक जांच रिपोर्ट में जहरीले स्प्रे के कारण भगदड़ होने की थ्योरी को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह दावा जांच को गुमराह करने के लिए किया गया था और इसे भोले बाबा के अनुयायियों ने सुनियोजित तरीके से प्रचारित किया। रिपोर्ट के अनुसार, गवाहों के बयान आपस में मेल नहीं खाते, जिससे संदेह होता है कि उन्हें एक खास कहानी बताने के लिए निर्देशित किया गया था। इस मामले में दिए गए हलफनामे भी एक ही जगह से तैयार किए गए लगते हैं, क्योंकि उनकी भाषा और सामग्री काफी हद तक एक जैसी है। यहां तक कि भोले बाबा के वकील ने भी ऐसा ही हलफनामा दिया था, लेकिन बाद में जांच के दौरान इससे इनकार कर दिया।
आयोग ने घटनास्थल का भी दौरा किया और प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की, जिन्होंने खुलासा किया कि भोले बाबा ने कहा था कि यदि उनके अनुयायी चरणरज ले जाएंगे, तो उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। इसे ही स्थल पर भगदड़ की मुख्य वजह बताया गया है। रिपोर्ट बताती है कि आयोजन स्थल पर अत्यधिक भीड़ थी और मंच से किसी ने भी यह घोषणा नहीं की कि लोग एक-एक करके आगे बढ़ें। स्थिति इतनी भयावह थी कि बाबा को ही आयोजन स्थल से हाईवे तक पहुंचने में 30-35 मिनट का समय लग गया।
अनुमान से तीन गुना अधिक थी भीड़
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रशासन द्वारा अनुमति प्राप्त लोगों की संख्या से तीन गुना अधिक भीड़ थी। रिपोर्ट के अनुसार, "भीड़ प्रबंधन का पूरा कार्य आयोजकों और उनके सेवादारों द्वारा किया जाता है, जबकि पुलिस और प्रशासन को इससे दूर रखा जाता है। कार्यक्रम स्थल पर किसी को भी फोटो खींचने, वीडियो बनाने या मीडिया को कवरेज करने की अनुमति नहीं दी जाती। पुलिस भी आयोजन में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।" जांच में यह भी पाया गया कि इस कार्यक्रम के आयोजक, सेवादार और कमांडर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों और अन्य राज्यों से बुलाए जाते हैं, जिनकी कोई पृष्ठभूमि जांच नहीं होती और उनकी जानकारी प्रशासन को नहीं दी जाती।
रिपोर्ट में इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि यह संभव है कि इस तरह के आयोजन को सुनियोजित साजिश के तहत सुर्खियों में लाने, सरकार को बदनाम करने या किसी अन्य लाभ के लिए किया गया हो। जांच आयोग ने पाया कि इस मामले में भ्रामक तथ्य और झूठे हलफनामे पेश किए गए, जिससे जांच को भटकाने की कोशिश की गई। आयोग ने सिफारिश की है कि इस आपराधिक पहलू की गहराई से जांच SIT द्वारा की जानी चाहिए।
सत्संग में भगदड़ के दौरान चली गई थी 121 लोगों की जान
2 जुलाई 2024 को हाथरस के एक गांव में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में करीब 121 लोगों की जान चली गई थी। इस समागम को उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव के स्वयंभू संत सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने संबोधित किया था। इस आध्यात्मिक समागम में 2 लाख से अधिक लोग जुटे थे, जबकि 80 हजार श्रद्धालुओं के जमावड़े की अनुमति मांगकर प्रशासन को गुमराह करने के आरोप में मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भगदड़ की जांच के लिए एक एसआईटी और एक न्यायिक आयोग का गठन किया था। हाथरस के सिकंदरा राऊ थाने में दर्ज एफआईआर में भोले बाबा का नाम आरोपी के तौर पर नहीं था और न ही एफआईआर में नामजद दो महिला सेवादारों समेत 11 आरोपियों के खिलाफ हाथरस कोर्ट में दाखिल 3200 पन्नों की चार्जशीट में उनका नाम था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग ने हाथरस भगदड़ मामले की जांच की और भोले बाबा लखनऊ में आयोग के समक्ष पेश हुए। उनके वकील एपी सिंह ने साजिश के सिद्धांत पर जोर देते हुए आरोप लगाया कि 15 से 16 अज्ञात लोग थे जिन्होंने कथित तौर पर भगदड़ मचाने के लिए जहरीला स्प्रे छिड़का और शवों के ढेर लगने पर मौके से चले गए।