इस विभाग में होगा फेरबदल, 927 में से 717 इंजीनियरों का होगा तबादला, सीएम ऑफिस से मिली परमीशन
- सिंचाई विभाग में वर्षों से जमे सहायक अभियंता (एई) हटेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय से इनके तबादले की स्वीकृति मिल चुकी है। बीते ट्रांसफर सीजन में इनकी सूची तो बनी थी मगर तबादले नहीं हो पाए थे। यह सूची 927 एई की थी।
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सिंचाई विभाग में वर्षों से जमे सहायक अभियंता (एई) हटेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय से इनके तबादले की स्वीकृति मिल चुकी है। बीते ट्रांसफर सीजन में इनकी सूची तो बनी थी मगर तबादले नहीं हो पाए थे। यह सूची 927 एई की थी, जिसमें से मुख्यमंत्री कार्यालय ने अभी 717 लोगों के ट्रांसफर को हरी झंडी दी है। बाकी इंजीनियरों के मामले में अभी अलग-अलग आपत्तियां हैं। उधर, स्वीकृति मिलते ही विभाग ने इनके एकल आदेश जारी करने शुरू कर दिए हैं।
सिंचाई विभाग में तबादला सीजन में ट्रांसफर नहीं हो पाए थे। विभाग का तर्क था कि बाढ़ नियंत्रण के चलते तबादले बाद में किए जाएंगे। उनमें से तमाम तबादले हो भी गए। हालांकि सहायक अभियंताओं का मामला पिछले साल से अभी तक फंसा था। जो प्रस्ताव भेजा गया था, उसमें कई तरह की आपत्तियां थीं। धीरे-धीरे इन आपत्तियों को लेकर कमियां दूर की जाती रहीं। अब 717 सहायक अभियंताओं के तबादले को हरी झंडी मिल चुकी है। उधर, अच्छी तैनाती पाने के लिए सहायक अभियंताओं ने भागदौड़ तेज कर दी है। तमाम एई बाढ़ प्रभावित इलाकों में अपनी तैनाती चाहते हैं। वहीं कुछ मनचाही जगह तबादला न हो पाने की स्थिति में अटैचमेंट कराने को प्रयासरत हैं।
एक मार्च से चली जाएगी 72 जिलों के 250 कर्मियों की नौकरी, शासन ने जारी किया आदेश
यूपी में दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन में रखे गए 72 जिलों के कर्मियों की सेवाएं समाप्त हो जा रही हैं। नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) के निदेशक डा. अनिल कुमार ने इस संबंध में जिलों को निर्देश भेज दिया है। ये कर्मी 250 से अधिक बताए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने शहरी क्षेत्र की बेसहारा व गरीब महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन शुरू किया गया था। यह योजना 31 सितंबर 2024 को समाप्त हो चुकी है।
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय केंद्र सरकार ने इसके स्थान पर न्यू मिशन फॉर अर्बन पॉवर्टी एलिवेशन फंक्शनिंग ऑन लाइवलीहुड शुरू किया है। इसे प्रदेश के तीन शहरों लखनऊ, आगरा और वाराणसी में शुरू किया गया है। निदेशक सूडा द्वारा भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा पयलट प्रोजेक्ट के रूप में तीन शहरों को चुना गया है। इसीलिए इन्हीं शहरों में रखे गए कर्मियों को मानदेय देने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई है। इसके अतिरिक्त अन्य किसी शहरों के लिए पैसे नहीं मिले हैं। इसलिए फरवरी 2025 के बाद प्रदेश स्तर पर अन्य 72 जिलों में रखे गए कर्मियों को मानदेय दे पाना संभव नहीं हो पाएगा।