भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को उत्तराखड के फॉरेटस डिविजन ऑडिट में काफी गड़बड़ी मिली है। कैग रिपोर्ट के अनुसार, फॉरेस्ट डिविजन ने प्रतिपूरक वनीकरण (कंपनसेटरी अफोरेस्टेशन) के लिए आवंटित धनराशि का इस्तेमाल दूसरी जगह किया।
उत्तराखंड बार काउंसिल की पूर्व अध्यक्ष रजिया बेग और अन्य ने वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर शमशाद के माध्यम से शुक्रवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें यूसीसी को शरिया कानून के खिलाफ होने की दलील देते हुए इसे चुनौती दी गई है।
बारिश-बर्फवारी से राहत मिलती दिखी तो वहीं कई इलाके कुदरत की मार झेलते भी नजर आए। इसके चलते कई हिस्सों में आवाजाही प्रभावित हुई। जानिए मौसम के ताजा अपडेट।
विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन शुक्रवार को उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) विधेयक, 2025 पास हो गया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि के मूल स्वरूप और डेमोग्राफी को बदलने से बचाने के लिए सख्त भू-कानून लाया गया है।
Uttarakhand Weather: देहरादून में गुरुवार मौसम सुबह से ही बदला रहा। दिन में हल्की और रात के समय झमाझम बारिश हुई। पर्यटक स्थल धनोल्टी में इस सीजन में तीसरी बार बर्फबारी हुई है। इस दौरान तापमान में तेजी से गिरावट देखने को मिली है।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 और वर्ष 2021-22 के बीच 607 करोड़ रुपये सरकार की इजाजत के बिना खर्च कर डाले। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में इसको लेकर सवाल उठाए गए हैं।
राज्य में औद्योगिक वातावरण विकसित करने के लिए सरकार ने नए स्टार्ट अप को बढ़ावा देगी। करीब 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड नए स्टार्ट स्थापित करने वालों की सहायता करेगा। इसके लिए बजट में 20 करोड़ रुपये का शुरुआती प्रावधान भी कर दिया गया है।
बीते साल के बजट से तुलना करें तो यह उसके मुकाबले 13 फीसदी अधिक है। जानिए राज्य गठन से कितने गुना की बढ़ोतरी हुई है। जानिए सरकार ने पेंशन, वेतन और ब्याज पर खर्च का कितना अनुमान लगाया है।
बीते साल के बजट से तुलना करें तो यह उसके मुकाबले 13 फीसदी अधिक है। बजट में नई योजनाओं के साथ ही इस बात पर भी नजर होती है कि राजस्व घाटा क्या रहा। आइए जानते हैं उत्तराखंड सरकार के बजट में अनुमानित राजस्व घाटा क्या रहा।
उत्तराखंड में प्रस्तावित नये भू-कानून से जमीनों की तेजी से बढ़ती कीमतों पर रोक लगेगी। जमीनों की खरीद-फरोख्त में बाहर के लोगों का दखल कम होने से प्रदेश के लोगों के लिए अपने ही राज्य में जमीन खरीदना आसान हो सकेगा।