स्वार सीट के उपचुनाव में मतदान के दौरान एक बदलाव देखने को मिलेगा। अभी तक वोटिंग के दौरान तर्जनी उंगली पर स्याही लगाई जाती थी। इस बार तर्जनी की जगह मध्यमा पर स्याही लगाई जाएगी। इसके पीछे खास कारण है।
रामपुर में पहले लोकसभा उपचुनाव फिर रामपुर सदर का विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद स्वार सीट अंतिम गढ़ बचा है। आजम खान ने इसे बचाए रखने के लिए ताकत झोंक दी है। एक तरह से यह चुनाव उनकी परीक्षा भी है।
मिर्जापुर की छानबे और रामपुर की स्वार सीट पर होने वाले मतदान के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं। दोनों क्षेत्रों में मंगलवार को पोलिंग पार्टियां रवाना कर दी गईं। बुधवार को दोनों सीटों पर मतदान होगा।
रामपुर के बिलासपुर में निकाय से सपा उम्मीदवार के समर्थन में आजम खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला।आजम खान के खानदान पर 151 का केस भी नहीं था, आज 300 मुकदमे लाद दिए।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की स्वार और छानबे सीट के लिए उपचुनाव की रणभूमि तैयार हो चुकी है। नामांकन के अंतिम दिन गुरूवार को अपना दल (एस) और सपा ने नामांकन दाखिल कर दिए। दोनों दलों के बीच ही टक्कर है।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खान के बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम की विधायकी एक बार फिर चली गई है। विधायकी जाने के साथ उनके नाम अजब रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। अब्दुल्ला का मामला देश में इकलौता भी है।
आजम खान ने 1980 में यहां से पहली बार जीत दर्ज की थी, जिसका सिलसिला 13वीं विधानसभा को छोड़कर लगातार चलता रहा है। लोकसभा सांसद के तौर पर चुने के बाद 2019 में उकी जगह उकी पत्नी तंजीन फातिमा चुनी गईं।
रामपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और आजम खान के करीबी आसिम रजा की हार ने अब्दुल्ला आजम को बड़ा झटका दिया है। आजम खान के विधायक बेटे अब्दुल्ला लगातार आसिम रजा के लिए प्रचार में लगे थे।
उपचुनाव में आजम खान के अपने बूथ पर भी सपा की हालत पतली रही और महज 82 वोट ही मिले। वहीं भाजपा के खाते में 900 से अधिक वोट गए हैं। नतीजे पर अब तक सपा नेता आजम खान ने कुछ भी कहा नहीं है।
मुस्लिम बाहुल्य यूपी की रामपुर विधानसभा सीट पर पहली बार कमल खिला है। इससे बीते तीन दशकों से रामपुर पर बरकरार आजम खान के कब्जा खत्म ही नहीं हुआ है बल्कि उनका सियासी वजूद भी संकट में है।
यूपी की योगी सरकार में इकलौते मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने रविवार को दावा किया कि भाजपा के प्रति मुसलमानों के रुख से मुस्लिम समाज को अपना वोट बैंक समझने वाले नेताओं की चिंता बढ़ गई है।
उपचुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि मिशन-2024 की सफलता के लिए भाजपा को अपना पश्चिमी यूपी का किला मजबूत करना होगा। सपा-रालोद ने की जीत ने जिस जातीय जुगलबंदी के संकेत दिए हैं, उससे उबरना ही होगा।
मैनपुरी और खतौली में मिली हार के बीच रामपुर की जीत बीजेपी के लिए वैसे भी बड़ी है लेकिन इस सीट के समीकरणों के चलते इसका महत्व और भी बड़ा हो गया। आजम के गढ़ में सेंध लगाने के लिए BJP ने हर जुगत लगाई।
रामपुर में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आसिम राजा की शुरुआती बढ़त ने लखनऊ तक को टेंशन में डाल दिया। दोपहर एक बजे तक सपा आगे चलती रही। इस दौरान लखनऊ से लेकर रामपुर तक फोन घनघनाते रहे।
खतौली उपचुनाव में सपा-रालोद ने भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले गांवों में भी बढ़त बनाई है। गठबंधन को इस चुनाव में मुस्लिम जाट और गुर्जर ही नहीं बल्कि त्यागी और एससी आदि वर्गो का भी वोट मिला है।
ज्योतिष में हर घटनाक्रम को अपने नजरिए से देखा जाता है। आजम खान के साथ कुछ ऐसा संयोग है कि उनके लिए ‘अ’ अक्षर के जातक भारी पड़े। जानकारों के मुताबिक आजम खान का हर विरोध मेष राशि के जातक के साथ रहा।
खतौली विधानसभा उपचुनाव में रालोद ने भाजपा का गढ़ माने जाने वाली खतौली में बड़ी जीत हासिल की है। इसके बाद भी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी जश्न नहीं मना रहे हैं। उन्होंने खुद को आहत बताया है।
भाजपा के लिए खुश होने का मौका रामपुर ने दिया है, जहां से उसके उम्मीदवार आकाश सक्सेना को 37,000 वोटों से जीत मिली है। आकाश सक्सेना की जीत सामान्य नहीं है। इसका संदेश पूरी यूपी में जाएगा।
मायूसी के दौर में सपा को मिला जीत का यह ‘बूस्टर डोज’ उसके कार्यकर्ताओं को फिर यूपी के मैदान में एकजुट होकर जूझने की ताकत दे सकता है। अखिलेश ने नए सिरे से पार्टी को मजबूत करने की तैयारी के संकेत दिए।
रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा के सपाई किले ढहने के बाद अब सबकी निगाहें मैनपुरी पर टिकी थीं। मगर मैनपुरी, खतौली के नतीजों से साफ हो गया है कि भाजपा को 2024 के लिए अपना तरकश नए नए तीरों से सुसज्जित करना होगा।
मैनपुरी ने मुलायम की सबसे बड़ी अधूरी इच्छा भी पूरी कर दी और आगे का जिम्मा अखिलेश, शिवपाल और रामगोपाल पर डाल दिया। यह इच्छा थी परिवार के एका की। गुजरे 7 साल में परिवार ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।
मैनपुरी और खतौली में करारी हार के बीच रामपुर से BJP के लिए राहत भरे नतीजे भले ही आए हैं लेकिन ये नतीजे मिशन-2024 के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के लिए नई चुनौतियों का संकेत और सपा को भी यह सीख देने वाले हैं।
भाजपा ने इस बार सपा के कद्दावर नेता आजम खां के गढ़ में सेंध लगाने के लिए हर तरह की जुगत लगाई। हिन्दुत्व का एजेंडा पीछे छोड़ मुस्लिमों को भी गले लगाया।
यूपी में हुए उपचुनाव में एक-एक सीट पर भाजपा, सपा और रालोद ने जीत हासिल की है। रामपुर में सपा और मैनपुरी-खतौली में भाजपा की हार दोनों ही पार्टियों के लिए एक बड़ा संदेश भी है।
रामपुर पर अब पूरी तरह भाजपा का कब्जा हो गया है। 45 साल से आजम खान की सल्तनत और सपा के गढ़ में लोकसभा से लेकर विधानसभा भगवा फहर गया है। इसी के साथ आजम का 45 साल का सियासी सफर भी ठहर सा गया है।
पेशे से बिजनेसमैन आकाश सक्सेना पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं। वह कॉलेज टाइम से ही राजनीति में सक्रिय हैं। बीजेपी ने उन्हें पश्चिमी यूपी के लघु उद्योग का संयोजक भी बनाया था।
उत्तरप्रदेश के रसूखदारों में से एक खान परिवार भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक झटके झेल रहा है। कानूनी मुकदमों से लेकर राजनीतिक उठा पटक ने खान की राह मुश्किल कर दी हैं।
UP By Election Result: मेहनत और मैनेजमेंट का परिणाम बीजेपी को रामपुर में जीत के रूप में मिला लेकिन मैनपुरी और खतौली में उसका जादू नहीं चला। मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव ने रिकार्ड जीत हासिल की।
रामपुर में भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना भारी मतों से जीत गए हैं। आकाश सक्सेना 80964 वोट पाकर विजयी घोषित हो चुके हैं। आकाश सक्सेना की जीत ने भाजपा और योगी की लाज बचा ली है।
वर्षों से काबिज आजम खान की सीट रामपुर पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया है। भाजपा के आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम रजा को 33702 वोटों से हरा दिया है। भाजपा के आकाश सक्सेना ने यहां से जीत हासिल की है।