रामपुर में कैसे खत्म हुआ आजम खान का जलवा, क्यों बूथ तक हार गए सपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे
उपचुनाव में आजम खान के अपने बूथ पर भी सपा की हालत पतली रही और महज 82 वोट ही मिले। वहीं भाजपा के खाते में 900 से अधिक वोट गए हैं। नतीजे पर अब तक सपा नेता आजम खान ने कुछ भी कहा नहीं है।
यूपी में मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने वाले सपा-रालोद गठबंधन को रामपुर में करारा झटका लगा है। 4 दशकों तक रामपुर विधानसभा सीट पर एकछत्र राज करने वाले आजम खान के करीबी आसिम राज को करारी हार झेलनी पड़ी है। चुनाव का नतीजा आए 5 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इसकी चर्चा चल रही है। आजम खान को इन नतीजों से कितना बड़ा झटका लगा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक उन्होंने इस पर कोई बयान नहीं दिया है। आजम खान के अपने बूथ पर भी सपा की हालत पतली रही और महज 82 वोट ही मिले। वहीं भाजपा के खाते में 900 से अधिक वोट गए हैं।
रामपुर में आजम खान के करीबी की इस हार के बाद सपा नेता की सियासी पारी पर भी ब्रेक लगने की आशंकाएं जताई जाने लगी हैं। आजम खान की हार को लेकर रामपुर की सियासत को समझने वाले कहते हैं कि आसिम रजा को लोकसभा उपचुनाव में मौका दिया गया था। इसके बाद उन्हें ही विधानसभा उपचुनाव में भी टिकट दे दिया गया। इससे भी रामपुर में एक बड़ा तबका आजम खान से नाराज था। अपने करीबी को ही मौका देने के चलते आजम खान से एक वर्ग नाराज हो गया। मुसलमानों के नाम पर सियासत करने और प्रतिनिधित्व सिर्फ अपने करीबी को देने के चलते भी ऐसा नतीजा आया है।
परिवारवाद के आरोप भी हुए हैं आजम खान पर चस्पा
यही नहीं आजम खान के करीबी उम्मीदवार की हार की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि परिवारवाद के आरोप भी उन पर लगे हैं। आजम खान ने अपनी पत्नी और बेटे अब्दुल्ला आजम को भी चुनाव लड़ाया था। ऐसे में जब उन्होंने इस बार फिर से अपने करीबी को ही उतारा तो आजम खान के अलावा सपा के भी फैसले पर सवाल उठे हैं। यही नहीं रामपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि आजम खान की मात की एक वजह यह भी है कि लोग मानते हैं कि यदि केंद्र और राज्य में सरकार भाजपा की है तो फिर सपा के उम्मीदवार को जिताने का भी कोई फायदा नहीं है। इसके अलावा आजम खान के तीखे बयानों के चलते ध्रुवीकरण भी हुआ है।
वोटिंग के लिए कम निकले सपा समर्थक मतदाता
इसके अलावा सपा समर्थक मतदाताओं के वोट के लिए न निकलने को भी हार की एक वजह माना जा रहा है। रामपुर में महज 26 फीसदी ही वोटिंग हुई थी। इसे लेकर आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने आपत्ति भी जताई थी। उन्होंने कहा था कि यहां तो महज 2.6 फीसदी वोटिंग ही होनी चाहिए थी, लेकिन यह लोकतंत्र की विजय है कि 26 फीसदी मतदान हो गया।