Pitru Paksha 2024 : हिंदू धर्म में पितरों की आत्माशांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष का समय बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दौरान श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान के कार्यों से पितर प्रसन्न होते हैं।
अमावस्या को पितरों को मोक्षदायिनी फल्गु नदी के जल से तर्पण कर्मकांड किया जाता है। रविवार अलसुबह से ही हजारों की संख्या में पिंडदानियों का जनसैलाब फल्गु नदी स्थित देवघाट पर उमड़ पड़ा।
हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। आश्विन मास में पड़ने वाली अमावस्या का महत्व कई
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कई तरह के दोष होते हैं जिनकी वजह से जीवन में परेशानियां आने लगती है। उन्हीं दोषों में से एक है पितृ दोष। पितृ दोष की वजह से कई तरह की परेशानियां होने लगती है।
‘पितरो यस्य संतुष्टा:, संतुष्टा: सर्वदेवता: अर्थात पितरों की संतुष्टि से ही देवताओं की संतुष्टि होती है। पितृपक्ष में 15 दिनों तक पितरों को जल, श्राद्ध और तर्पण देकर संतुष्ट किया जाता है।
रविवार को पितृ अमावस्या पर जाम से निपटने को लेकर पुलिस ने दो दिन का रूट डायवर्जन प्लान तैयार कर लिया है। 24 और 25 सितंबर को डायवर्जन प्लान लागू होगा। 3 स्थानों पर डायवर्जन के लिए इंतजाम किए गए।
पितृ पक्ष का विसर्जन 25 सितंबर दिन रविवार को होगा। अंतिम दिन पिण्डदान करने के साथ ब्राह्मण भोजन कराकर क्षमतानुसार दक्षिणा दें। इससे पितर प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृपक्ष को महालय पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व का एक-एक दिन तीर्थ-स्थलों की तरह पवित्र है। महालय का अर्थ भी महान घर से है। यानी हमारा घर महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पितृलोक से पितर आते हैं।
Pitru Paksha Shradh 2022 : इस समय पितृ पक्ष चल रहा है। कल चतुर्दशी श्राद्ध है। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। पितृपक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते है
पितृ विसर्जन 25 सितंबर यानी रविवार को होगा। उसके बाद नवरात्र और शुभ दिन शुरू हो जाएंगे। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने बताया कि इस साल पितृ विसर्जन सर्वपैत