पितृ विसर्जन आज, ऐसे करें अपने पितरों को प्रसन्न, जरूर करें ये उपाय
पितृ पक्ष का विसर्जन 25 सितंबर दिन रविवार को होगा। अंतिम दिन पिण्डदान करने के साथ ब्राह्मण भोजन कराकर क्षमतानुसार दक्षिणा दें। इससे पितर प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृ पक्ष का विसर्जन 25 सितंबर दिन रविवार को होगा। अंतिम दिन पिण्डदान करने के साथ ब्राह्मण भोजन कराकर क्षमतानुसार दक्षिणा दें। इससे पितर प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के मुताबिक पितृ विसर्जन सर्व पैत्री श्राद्ध की अमावस्या 25 सितम्बर दिन रविवार को होगी। मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत, अतः मध्याह्न काल में ही श्राद्ध क्रिया करना चाहिए। इस वर्ष अमावस्या तिथि पूरे दिन व रात्रि 3.24 बजे तक रहेगी। बताया कि जिस व्यक्ति की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो। उन्हें अमावस्या तिथि पर ही श्राद्ध करना चाहिए। पितृ दोष शान्ति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध करने के साथ गीता का पाठ, रूद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, रुद्र सूक्त, ब्रह्म सूक्त आदि का पाठ करना चाहिए। पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर गाय का दूध चढ़ावें। पितृ श्राप से मुक्ति के लिए उस दिन पीपल एक पौधा भी अवश्य लगाना चाहिए।
श्राद्ध चिन्तामणि के अनुसार किसी मृत आत्मा का तीन वर्षों तक श्राद्ध कर्म नहीं करने पर जीवात्मा का प्रवेश प्रेत योनि में हो जाता है, जो तमोगुणी, रजोगुणी एवं सतोगुणी होती है। पृथ्वी पर रहने वाली आत्माएं तमोगुणी होती हैं। अत: इनकी मुक्ति अवश्य करनी चाहिए। पितृ विसर्जन के दिन पितृ लोक से आये हुये पितरों की विदाई होती है। उस दिन तीन या छह ब्राह्मणों को मध्याहन के समय घी में बने हुये पुआ, गोदूग्ध में बनी खीर आदि भोजन कराकर संतृप्त करने के साथ उन्हें वस्त्र व दक्षिणा आदि देकर विदा करना चाहिए। सायं काल घी का दीपक जलाकर पितृ लोक गमन मार्ग को आलोकित करने की परिकल्पना करें, जिससे पितृ संतुष्ट होकर अपने वंश के उत्थान की कामना करते हुये स्वलोक गमन करेंगे। इससे परिवार में सुख, समृद्धि व खुशहाली कायम रहेगी।
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