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Sarvapitri Amavasya 2022 : अमावस्या में श्राद्ध करने से होती है विशेष फल की प्राप्ति, जानें महत्व और फायदे

पितृपक्ष को महालय पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व का एक-एक दिन तीर्थ-स्थलों की तरह पवित्र है। महालय का अर्थ भी महान घर से है। यानी हमारा घर महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पितृलोक से पितर आते हैं।

Yogesh Joshi हिन्दुस्तान टीम, मिर्जापुरSun, 25 Sep 2022 05:46 AM
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पितृपक्ष को महालय पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व का एक-एक दिन तीर्थ-स्थलों की तरह पवित्र है। महालय का अर्थ भी महान घर से है। यानी हमारा घर महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पितृलोक से पितर आते हैं। उनके प्रति जब सन्तान श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करते हैं तो पूरे वर्ष भर वे अपनी छाया प्रदान करते हैं।

आध्यात्मिक विषयों के लेखक सलिल पांडेय ने बताया कि धर्मशास्त्रों में देवपूजा से ज्यादा पितृदेव पूजा से लाभ, सुख-समृद्धि, यश-गौरव की प्राप्ति का उल्लेख है। पितृपक्ष में चतुर्दशी तिथि छोड़कर हर दिन तर्पण एवं श्राद्ध का विधान है, लेकिन अमावस्या का श्राद्ध अति फलदायी है।

चतुर्दशी तिथि में अस्त्र-शस्त्र, दुर्घटना तथा अकाल मृत्यु प्राप्त पितरों के लिए निर्धारित किया गया है। इस प्रकार महालय पर्व पर पितरों की तिथि पर श्राद्ध करने वाले अमावस्या को भी श्राद्ध करते हैं तो वह अति उत्तम है।

ऋषियों ने 'अमावस्या-आदितिथौ श्राद्धम् अकरणे नरकं गमनम्' उन लोगों के लिए कहा जिनके पितरों ने उन्हें पढ़ा लिखा के योग्य बनाया, साधन से सम्पन्न किया। वे यदि कृतज्ञता नहीं प्रकट करते तो नरक में जाते हैं। स्पष्ट भी है कि जो अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञ नहीं वह किसी के लिए कृतज्ञ नहीं हो सकता। ऐसा व्यक्ति एक न एक दिन अलग थलग पड़ कर जीते जी नारकीय जीवन जीने के लिए बाध्य होता है। इसके विपरीत जो श्राद्ध करते है उनके लिए 'महालये तु फलभूमेति पृथ्वीचंद्रोदय:' कहा गया है।

श्राद्धकर्त्ता को चाहिए कि वह इस कार्य में दीनहीन न बने क्योंकि अपनी संतानों को दीनहीन देखकर पितरों को कष्ट मिलता है। यदि दान करना है तो जो अन्न, मिष्ठान्न, वस्त्र खुद धारण नहीं कर सकते हैं। वह वस्तु कदापि दान न दे क्योंकि इससे कृपा के बजाय कोप ही प्राप्त होगा। गोग्रास निकाले तो कुत्ते, कौवा को पत्ते में रखकर और गाय को अपने हाथ से खिलाए।

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