पितृपक्ष मेला का आखिरी दिन आज, गया में उमड़ा पिंडदानियों का सैलाब
अमावस्या को पितरों को मोक्षदायिनी फल्गु नदी के जल से तर्पण कर्मकांड किया जाता है। रविवार अलसुबह से ही हजारों की संख्या में पिंडदानियों का जनसैलाब फल्गु नदी स्थित देवघाट पर उमड़ पड़ा।
बिहार के गया में चल रहे विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला-2022 महासंगम का रविवार को आखिरी दिन है। गयाजी में श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करने वाले तीर्थयात्रियों का सैलाब उमड़ पड़ा। सर्व पितृ अमावस्या के मौके पर बड़ी संख्या में लोग फल्गु नदी के जल से तर्पण कर्मकांड करने पहुंचे हैं।
अमावस्या को पितरों को मोक्षदायिनी फल्गु नदी के जल से तर्पण कर्मकांड किया जाता है। रविवार अलसुबह से ही हजारों की संख्या में पिंडदानियों का जनसैलाब फल्गु नदी स्थित देवघाट पर उमड़ पड़ा। पूरे धार्मिक विधि-विधान से फल्गु नदी में स्नान कर तीर्थ यात्रियों ने पितरों को तर्पण किया। इस मौके पर स्थानीय पंडा ऋषिकेश गुर्दा ने बताया कि आज सर्व पितृ अमावस्या है। आश्विन माह में चल रहे 17 दिनों के त्रिपक्षीय श्राद्ध का आज अंतिम दिन है।
उन्होंने बताया कि पितृ पक्ष के आखिरी दिन 'सुख सैंयादान' और पिंडदान कर पितरों को विदाई दी जाती है। यह वटवृक्ष की महत्ता है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि जो लोग 17 दिनों तक पिंडदान नहीं कर पाते हैं, वे आज के दिन फल्गु नदी के पवत्रि जल से स्नान कर सभी पितरों के नाम से तर्पण एवं 'जलदान' करते हैं, जिससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसे में आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। आज के दिन अक्षयवट वृक्ष के नीचे सुफल करने से पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है। ऐसे में दूर-दराज से आए पिंडदानी पितरों की आत्मा की शांति हेतु आज तर्पण कर्मकांड कर रहे हैं।