ओम बिरला ने अपने समापन भाषण में बताया कि लोकसभा ने इस सत्र के दौरान 26 बैठकें आयोजित कीं और कुल 160 घंटे 48 मिनट काम किया। राज्यसभा ने 159 घंटे काम किया।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने राणा सांगा को एक राष्ट्रीय नायक बताते हुए कहा कि उन्होंने वीरता से युद्ध लड़ा और उनके खिलाफ की गई टिप्पणियों को अत्यधिक अपमानजनक और आपत्तिजनक करार दिया।
एनसीएम के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में सर्वाधिक 51 याचिकाएं दर्ज की गईं। 2022-23 और 2023-24 में प्रत्येक वर्ष 30 याचिकाएं मिलीं। 2024-25 में अब तक 29 याचिकाएं प्राप्त हुई हैं।
इन टीशर्ट्स में डीएमके सांसदों ने एक नारा लिखवाया था, जिस पर स्पीकर ने ऐतराज जताया। वहीं भाजपा समेत एनडीए के सांसदों ने भी खूब हंगामा किया। टीशर्ट्स में जो नारा लिखा था, वह था- तमिलनाडु लड़ेगा, तमिलनाडु जीतेगा, परिसीमन में न्याय हो।
सभापति धनखड़ ने कहा कि संविधान की मूल प्रति वही है, जिस पर संविधान निर्माताओं ने दस्तखत किए हैं और जिसमें 22 चित्र हैं जो भारत की सांस्कृतिक यात्रा के 5000 साल दर्शाती हैं।
आवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के अध्यक्ष इंजीनियर राशिद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर अपनी भूख हड़ताल की बात कही है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
जेपीसी ने विपक्षी नेताओं की ओर से व्यक्त की गई आपत्तियों के बाद मसौदा कानून के खंड-दर-खंड पर विचार-विमर्श के कार्यक्रम को अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। यह समिति अब सोमवार को विधेयक पर विस्तार से विचार करेगी।
पटना में संपन्न 85वें पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में 5 संकल्प पारित हुए। जिसमें दन में बाधा रहित चर्चा, प्रश्नकाल सुनिश्चित करने के लिए कोई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही संविधान के मूल्यों के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए पंचायत और नगर निकाओं में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलेगा।
पटना में पीठासीन सम्मेलन के समापन सत्र में लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि आजादी से लेकर अब तक की डिबेट का संकलन हिन्दी और अंग्रेजी में होगा, साथ ही 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद होगा। वहीं राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा कि पीठासीन सम्मेलन में लिए गए फैसले से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हंगामों की वजह से सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित होना, आज भी चिंता का विषय बना हुआ है। इसके लिए सभी दलों को साथ आकर अपनी-अपनी पार्टियों के लिए आचार संहिता बनानी चाहिए। साथ ही सदन के अंदर गरिमा को बढ़ावा देना चाहिए।