कम समय के सत्र और हंगामे से ओम बिरला चिंतित, कहा- सदन की गरिमा बढ़ाने सब साथ आएं
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हंगामों की वजह से सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित होना, आज भी चिंता का विषय बना हुआ है। इसके लिए सभी दलों को साथ आकर अपनी-अपनी पार्टियों के लिए आचार संहिता बनानी चाहिए। साथ ही सदन के अंदर गरिमा को बढ़ावा देना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कम समय के सत्र और सदन में हंगामे पर चिंता जाहिर की है। लोकसभा और राज्यसभा से लेकर विधानसभा एवं विधान परिषद तक, सदन के बार-बार स्थगित होने से इसकी कार्यवाही प्रभावित होती है। लोकसभा अध्यक्ष ने बिहार की राजधानी पटना में सोमवार को आयोजित 85वें पीठासीन पदाधिकारी सम्मेलन को संबोधित किया। इसमें बिरला ने कहा कि 1954 में सदनों को बार-बार स्थगित होने से बचाना एक चुनौती का काम था। यह आज भी एक चुनौती ही बना हुआ है। उन्होंने सत्रों की अवधि बढ़ाने पर जोर देते हुए सदन की गरिमा बढ़ाने के लिए सभी नेताओं, पार्टियों और संबंधित पदाधिकारियों को साथ आने की अपील की।
पटना के सेंट्रल हॉल में आयोजित सम्मेलन में ओम बिरला ने कहा कि संसदीय समितियों की भूमिका को बढ़ाना चाहिए, यह मिनी सदन की तरह काम करता है और इसके ऊपर भारी जिम्मेवारी होती है। इन्हें सशक्त बनाने से शासन पर दबाव बनेगा और उसका बेहतर परिणाम सामने आ सकेगा। उन्होंने कहा कि संसदीय संस्थाओं को मजबूत बनाना हम सबकी सामूहिक जिम्मेवारी है। साथ ही जनता को इसका अधिकतम लाभ होगा उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश के अधिकांश सदन डिजिटल हो चुके हैं और एक प्लेटफार्म पर आने को तैयार हैं।
सदन के हंगामेदार रहने पर चिंता जाहिर करते हुए स्पीकर ने कहा कि सदनों को बार-बार स्थगित होने से बचाना चाहिए। सदन के अंदर सार्थक चर्चाएं होनी चाहिए। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सभी सदस्यों को गरिमा बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए सदन को चलाएं और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए अच्छी मिसाल कायम करने की दिशा में काम करें।
राजनीतिक दल एकजुट होकर आचार संहिता बनाएं- बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा कि सदन के अंदर सार्थक और परिणाम देने वाली बहस होनी चाहिए। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर अपनी-अपनी पार्टी के लिए एक आचार संहिता बनानी चाहिए। राजनीतिक मतभेद होने के बावजूद वे जनता के हित में बेहतर उदाहरण पेश कर सकें।
(हिन्दुस्तान अखबार के इनपुट के साथ)