सावन माह भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन माह की अमावस्या पर भगवान शंकर की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है।
उदया तिथि को मानने वाले कल पौष अमावस्या का पर्व मनाएंगे। कल का दिन पितरों क पूजा के लिए बहुत ही खास है। इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं और पितरों का आशीर्वाद लिया जाता है।दरअसल 22 दिसंब
हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय पौष का महीना चल रहा है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है।
हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। इस मास में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। पंचांग के अनुसार इस साल 23 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है।
मार्गशीर्ष मास भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। अगहन के इस पावन महीने में कृष्ण के बालगोपाल रूप की पूजा की जाती है। इस महीने में स्नान ौर दान का बहुत अधिक महत्व है। इस बार मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या
Happy Diwali 2022: दीपावली पांच दिवसीय उत्सव का आज दूसरा दिन है। सोमवार, 24 अक्टूबर को दीपावली मुख्य पर्व है जिसमें लोग अपने घरों पर दिए जलाते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। वहीं इससे पहले छोटी दिवाली
पितृ विसर्जन श्राद्ध अमावस्या यानी रविवार को होगा। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने बताया कि मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत, अतः मध्याह्न काल में ही श्राद्ध क्रि
मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती के लिए प्रस्थान करती हैं। संध्या में मां पृथ्वी लोक आती हैं और पूरे नौ दिनों तक यहां रह कर धरतीवासियों पर अपनी कृपा की अमृत बरसाती हैं।
‘पितरो यस्य संतुष्टा:, संतुष्टा: सर्वदेवता: अर्थात पितरों की संतुष्टि से ही देवताओं की संतुष्टि होती है। पितृपक्ष में 15 दिनों तक पितरों को जल, श्राद्ध और तर्पण देकर संतुष्ट किया जाता है।
रविवार को पितृ अमावस्या पर जाम से निपटने को लेकर पुलिस ने दो दिन का रूट डायवर्जन प्लान तैयार कर लिया है। 24 और 25 सितंबर को डायवर्जन प्लान लागू होगा। 3 स्थानों पर डायवर्जन के लिए इंतजाम किए गए।
पितृ पक्ष का विसर्जन 25 सितंबर दिन रविवार को होगा। अंतिम दिन पिण्डदान करने के साथ ब्राह्मण भोजन कराकर क्षमतानुसार दक्षिणा दें। इससे पितर प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृपक्ष को महालय पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व का एक-एक दिन तीर्थ-स्थलों की तरह पवित्र है। महालय का अर्थ भी महान घर से है। यानी हमारा घर महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पितृलोक से पितर आते हैं।
पितृ विसर्जन 25 सितंबर यानी रविवार को होगा। उसके बाद नवरात्र और शुभ दिन शुरू हो जाएंगे। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने बताया कि इस साल पितृ विसर्जन सर्वपैत
Sarva Pitru Amavasya: सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं होती है। सर्व पितृ अमावस्या को आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहते हैं।
इस साल पितृों का विसर्जन 25 सितंबर को हो जाएगा। पितृ अमावस्या को पित- विसर्जन अमावस्या कहते हैं, इस दिन पितरों को विदाकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। इस बार पितृपक्ष की अमावस्या तिथि पर मोक्ष अमावस्य
sarvapitri amavasya : पितरों की तिथि याद न होने पर सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। यह मोक्षदायिनी अमावस्या 25 सितंबर को है। पितृ परिवार की खुशहाली देखकर प्रसन्न होते हैं।
shradh amavasya : इस वर्ष पितृपक्ष की अमावस्या तिथि पर मोक्ष अमावस्या का योग बन रहा है। इस तिथि पर मात्र जल तर्पण से पितृ न सिर्फ तृप्त होंगे अपितु उनके आशीर्वाद से सफलता और समृद्धि के द्वार भी खुलेंग
पितरों के प्रति श्रद्धा और उन्हें याद करने का पक्ष है पितृ पक्ष। यह समय 25 को पितृ विसर्जन अमावस्या तक चलेगा। पितृपक्ष के 15 दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं। आपको बता दें कि श्राद्ध का अर्थ
आज भाद्रपद मास की अमावस्या है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन शनि देव की विधि- विधान से
भाद्रपद मास की अमावस्या आज है। शनिवार को पड़ने के कारण इसे भाद्रपद की शनिश्चरी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कई तरह के दोष होते हैं जिनकी वजह से जीवन में परेशानियां आने लगत
भाद्रपद माह की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है। कुशोत्पाटिनी को कुशा को उखाड़ना या उसका संग्रहण करना कहा जाता है। इस दिन अमावस्या पर धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक चलने व
27 अगस्त, शनिवार, 5 भाद्रपद (सौर) शक 1943, 10 भाद्रपद मास प्रविष्टे 2079, 28 मोहर्रम सन् हिजरी 1444, भाद्रपद कृष्ण अमावस्या मध्याह्न 1 बजकर 47 मिनट तक उपरांत प्रतिपदा, मघा नक्षत्र रात्रि 8 बजकर 26 मिन
देश में छत्तीसगढ़, कर्नाटक और खासकर महाराष्ट्र में बेल पोला पर्व मनाते हैं। यह पर्व कुशोत्पटनी अमावस्या जो इस बार शनिवार के दिन लगने के कारण शनिश्चरी अमावस्या के दिन मानाया जा रहा है। पंचांग की मानें
Shani Amavasya 2022: शनिचरी अमावस्या का दिन धनु, कुंभ, मकर, मिथुन व तुला राशि वालों के लिए खास माना जा रहा है। इस दिन शनिदेव से जुड़े उपायों को करने से शनिदेव के प्रसन्न होने की मान्यता है।
bhadrapada maas shani amavasya kab hai : हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में एक बार अमावस्या पड़ती है। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
भाद्रपद की यह अमावस्या की तारीख 27 अगस्त बहुत ही खास है। इस दिन किए गए दान पुण्य शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया वालों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे। अभी शनि वक्री हैंं और अपनी ही राशि मीन में गोचर
Shanichari Amavasya 2022:हर माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है।
Shanichari Amavasya 2022:शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है। शनिवार के दिन शनि संबंधी उपायों को करना शुभ माना जाता है। जानें शनिचरी अमावस्या के दिन किन उपायों को करना माना जाता है शुभ-
भारतीय पंचांग में प्रति मास कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार पूर्णिमा तिथि देवताओं को अति प्रिय है। उसी प्रकार अमावस्या तिथि पितरों के लिए है।