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Hariyali Amavasya: श्रावणी या हरियाली अमावस्या कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त

  • सावन माह भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन माह की अमावस्या पर भगवान शंकर की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है।

Yogesh Joshi पटना नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 27 July 2024 05:09 AM
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सावन माह भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन माह की अमावस्या पर भगवान शंकर की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या का महत्व कई गुना अधिक माना जाता है। सावन माह की अमावस्या 4 अगस्त को है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त….

मुहूर्त- 

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अगस्त 03, 2024 को 03:50 पी एम बजे

अमावस्या तिथि समाप्त - अगस्त 04, 2024 को 04:42 पी एम बजे

पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। 

स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

सूर्य देव को अर्घ्य दें।

अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।

इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। 

पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। 

इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।

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