पितृ विसर्जन आज, सोमवार से शुरू होंगे शुभ कार्य, पितृ श्रापस से मुक्ति के लिए कर लें ये उपाय
पितृ विसर्जन श्राद्ध अमावस्या यानी रविवार को होगा। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने बताया कि मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत, अतः मध्याह्न काल में ही श्राद्ध क्रि
पितृ विसर्जन श्राद्ध अमावस्या यानी रविवार को होगा। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने बताया कि मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत, अतः मध्याह्न काल में ही श्राद्ध क्रिया करना चाहिए। इस साल अमावस्या तिथि पूरे दिन व रात्रि 3:24 तक रहेगी। बताया कि जिस व्यक्ति की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, उन्हें अमावस्या तिथि पर ही श्राद्ध करना चाहिए।
पितृ दोष शान्ति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध करें। गीता का पाठ, रूद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, रुद्र सूक्त ब्रह्म सूक्त आदि का पाठ भी करना चाहिए। पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर गाय का दूध चढ़ाएं। पितृ श्राप से मुक्ति के लिए उस दिन पीपल एक पौधा भी अवश्य ही लगाना चाहिए। ज्योतिषाचार्य राकेश पांडेय बताते हैं कि श्राद्ध चिन्तामणि के अनुसार किसी मृत आत्मा का तीन साल तक श्राद्ध कर्म नहीं करने पर जीवात्मा का प्रवेश प्रेत योनि में हो जाता है, जो तमोगुणी रजोगुणी एवं सतोगुणी होती है। पृथ्वी पर रहने वाली आत्माएं तमोगुणी होती हैं। अत: इनकी मुक्ति अवश्य करनी चाहिए।
पितृ विसर्जन के दिन पितृ लोक से आए हुए पितरों की विदाई होती है। उस दिन तीन या छह ब्राह्मणों को मध्याहन के समय घी में बने हुए पुआ, गाय के दूध में बनी खीर आदि भोजन कराकर वस्त्र, दक्षिणा आदि देना चाहिए। शाम को घी का दीपक जलाकर पितृलोक गमन मार्ग को आलोकित करने की परिकल्पना करें, जिससे पितृ संतुष्ट होकर अपने वंश के उत्थान की कामना करते हुए स्वलोक गमन करेंगे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।