प्राइवेट प्रैक्टिस न करने का शपथ पत्र भरने को तैयार नहीं डॉक्टर
Lucknow News - राजधानी के पीएचसी, सीएचसी और वेलनेस सेंटर पर तैनात संविदा डॉक्टरों में वेतन में अंतर और निजी प्रैक्टिस न करने के लिए शपथ पत्र भरने के दबाव को लेकर रोष है। पहले से तैनात डॉक्टरों को 55 से 70 हजार रुपए...

वेतन में अंतर को लेकर एनएचएम के जरिए राजधानी के पीएचसी, सीएचसी और वेलनेस सेंटर पर तैनात संविदा डॉक्टरों में पहले से ही रोष व्याप्त है। दूसरा निजी प्रैक्टिस न करने को लेकर शपथ पत्र देने के मामले पर प्रशासन की सख्ती से अब टकराव की स्थिति बन रही है। कई डॉक्टर को इस्तीफा देने का मन तक बना चुके हैं। 55000 से सवा लाख रुपए तक वेतन
राजधानी के सरकारी अस्पतालों में एनएचएम के तहत 80 से अधिक डॉक्टर तैनात हैं। सबसे अधिक बलरामपुर में 30, लोकबंधु राजनारायण संयुक्त अस्पताल में 22 और सिविल में 18 डॉक्टर तैनात हैं। इन डॉक्टरों का वेतन करीब एक लाख रुपए तक है। इसके अलावा 56 पीएचसी, सीएचसी और 108 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में संविदा पर डॉक्टर तैनात हैं। डॉक्टरों की माने तो पीएचसी, सीएचसी और वेलनेस सेंटर पर तैनात डॉक्टरों के वेतन में पहले से ही काफी अंतर है। अब नए संविदा डॉक्टरों को एक लाख से सवा लाख रुपए तक महीना वेतन दिया जा रहा है। वहीं, काफी साल से तैनात संविदा डॉक्टरों को अभी भी 55 से 70 हजार रुपए के बीच ही वेतन स्वास्थ्य विभाग दे रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि सभी से उसी तरह से काम लिया जा रहा है। वेतन में अंतर को लेकर डॉक्टर पहले से ही शासन स्तर, एनएचएम, सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को पत्राचार कर रहे हैं। वेतन में अंतर को लेकर कोई सुधार नहीं हो रहा है।
शपथ पत्र भरने का दबाव
अब जिला प्रशासन की ओर से अस्पतालों में तैनात संविदा डॉक्टरों से नॉन प्रैक्टिसिंग का शपथ पत्र भरवाने का दबाव है। सीएमओ कार्यालय से लगातार संविदा डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस से रोकने के लिए शपथ पत्र मांगा जा रहा है। संविदा पर कार्यरत डॉक्टर शपथ पत्र देने को तैयार नहीं है। अफसरों का कहना है कि प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की संविदा समाप्त की जाएगी। साथ ही स्थायी डॉक्टरों पर रिपोर्ट दर्ज कराकर कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश को लेकर डॉक्टरों में घोर आक्रोश व्याप्त है। कुछ डॉक्टर तो दबाव अधिक होने पर इस्तीफा देने तक को तैयार हैं।
वर्जन
जिला प्रशासन की ओर से डॉक्टरों से प्राइवेट प्रैक्टिस न किए जाने का शपथ पत्र भरवाने के लिए कहा गया है। डॉक्टरों से प्राइवेट प्रैक्टिस न करने का शपथ पत्र मांगा जा रहा है।
डॉ. एनबी सिंह, सीएमओ
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।