Hindi Newsगैलरीलाइफस्टाइल20 हजार रुपये का लगता है एक इंजेक्शन, कितना घातक है पुणे में फैल रहा GBS

20 हजार रुपये का लगता है एक इंजेक्शन, कितना घातक है पुणे में फैल रहा GBS

  • पुणे में गिलियन बार सिंड्रोम की दहशत है। खबरें हैं कि इस बीमारी के 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। सरकार से लेकर अधिकारी तक अलर्ट मोड में हैं। पुणे शहर और आसपास के इलाकों में जीबीएस के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक RRT यानी त्वरित प्रतिक्रिया टीम का गठन किया है।

Nisarg DixitMon, 27 Jan 2025 01:02 PM
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क्या है GBS

CDC यानी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, यह एक दुर्लभ स्थिति है जिसके कारण नर्व डैमेज होता है। यह तब होता है जब किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम नसों को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है।

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किसे ज्यादा खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, GBS से हर उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन यह वयस्कों और पुरुषों में आम है। CDC के मुताबिक, अमेरिका में जीबीएस पुरुषों और 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों में ज्यादा देखा जाता है।

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क्या हैं लक्षण

CDC के अनुसार, जीबीएस के शुरुआती लक्षणों में कमजोरी और झुनझुनी शामिल है। आमतौर पर जीबीएस के शिकार मरीजों को ये लक्षण दोनों पैरों में महसूस होते हैं। इसके बाद इन्हें हाथों और शरीर के ऊपरी हिस्से में भी महसूस किया जा सकता है। चिकित्सक बताते हैं कि जीबीएस में अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।

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कितना घातक है

पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख डॉक्टर नीना बोराडे ने पीटीआई भाषा को बताया कि यह बच्चों और युवाओं दोनों आयु वर्ग को हो सकता है। हालांकि, जीबीएस महामारी या वैश्विक महामारी का कारण नहीं बनेगा। उपचार के जरिये अधिकांश लोग इस स्थिति से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

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क्या है वजह

डॉक्टर बोराडे ने बताया कि जीवाणु और वायरल संक्रमण आम तौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं। CDC के मुताबिक, अमेरिका में कैम्पिलोबैक्टर इन्फेक्शन जीबीएस की सबसे आम वजह है। पुणे में भी अधिकारी अलग-अलग स्थानों से पानी के नमूने इकट्ठा कर रहे हैं।

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क्या यह जानलेवा है

जीबीएस का शिकार हुए मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। सीडीसी के अनुसार, अधिकांश लोग लक्षण नजर आने के 2-3 सप्ताह में ठीक होना शुरू कर देते हैं। वहीं, पूरी तरह से रिकवर होने में कुछ हफ्ते या कुछ सालों का समय लग सकता है। ठीक हो चुके कई मरीजों की नसों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। वहीं, कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है।

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बहुत महंगा है इलाज

खबरें हैं कि GBS के इलाज में उपयोग किए जाने वाले IVIG इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपये है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 16 जनवरी को अस्पताल में भर्ती हुईं एक 68 साल की महिला के रिश्तेदार ने बताया है कि इलाज में कुल 13 इंजेक्शन का इस्तेमाल हुआ है।

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बैक्टीरिया

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जांचों से पता चला है कि अस्पताल में भर्ती हुए कुछ मरीजों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया मिला है। कहा जा रहा है कि दुनियाभर के सभी GBS मामलों में से एक तिहाई की वजह सी जेजुनी है। साथ ही इसके चलते कई गंभीर संक्रमण भी हो रहे हैं।