बोले सीवान : दलहन-तेलहन फसल से नहीं हो पाती है उचित आमदनी
सीवान जिले में किसानों को सरसों की खेती से उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। उत्पादन के बावजूद, प्रोसेसिंग उद्योग की कमी और बिचौलिए किसानों के लाभ को प्रभावित कर रहे...
सीवान जिले में दलहन और तेलहन एक ऐसी प्रमुख फसल है, जिसकी बुआई गांव में बड़े पैमाने पर की जाती है। आसपास के क्षेत्रों में हर साल सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में सरसों की खेती होती है। बावजूद इसके उचित मूल्य नहीं मिल पाने के कारण ही किसानों के हाथ खाली ही रहते हैं। कड़ी मेहनत करके किसानों के बहाये पसीने से उगाई गई फसल किसानों के जीवन में खुशहाली नहीं ला पा रही है। यह टीस उन किसानों के दिल में भी है और किसान व्यक्त भी करते रहे हैं। अब तो खेती के प्रति जिले के किसानों की दिलचस्पी भी कम होने लगी है। फलतः किसानों को कम कीमत पर इसे बेचना पड़ता है। इससे किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। किसान पैदावार के बाद जब लेकर बाजार तक आते हैं, तो उन्हें बिक्री के बाद वह खुशी नहीं मिल पाती है, जिसकी आस वह फसल बोने के समय लगाए रहते हैं। सीवान जिले में प्रति वर्ष औसत सौ से दो सौ एकड़ में सरसों की खेती होती है। उत्पादन के लिहाज से यह आंकड़ा मानक तय करने वाला है। लेकिन, जिले में सरसों सहित अन्य के उत्पाद पर आधारित खाद्य उत्पादों को तैयार करने का कोई प्लांट नहीं होने से किसानों को अपेक्षित आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है। स्थिति ऐसी है कि किसानों को खुले बाजार में उत्पाद को बेचने की मजबूरी होती है।
खाद्य तेल प्रसंस्करण उद्योग की हो स्थापना
किसानों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के रूप परिवर्तित करने के लिए जब तक उद्योग धंधों को विकसित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों को इसका न तो समुचित लाभ मिलेगा न विकास ही हो सकता है। सरकार की मंशा है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो, लेकिन किसान व उपयोगकर्ता की बीच दूरी अधिक है। व्यवस्था की कमी के कारण बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। जबकि सीधे लाभ से किसान वंचित हो रहे हैं। किसान उत्पादित वस्तुओं का रूप परिवर्तित कर नया माल तैयार करना आवश्यक होता है। इसके बाद ही इसकी सही कीमत मिल पाती है। सरसों से हर प्रकार के खाद्य सामग्रियां बनाई जाती हैं। जब तक इस पर आधारित उद्योग धंधों का विकास नहीं होता है, तब तक यहां के किसान पूर्ण रूपेण संपन्न नहीं होंगे।
छिड़काव के साथ नीलगायों और सुअरों से फसल को मिले सुरक्षा
सरसों सहित अन्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने और इसका लाभ किसानों को मिले, इस पर कई काम करने होंगे। किसान रामाशंकर शाही, सुनील कुमार शाही, प्रभु शाही, रविंद्र शाही, योगेंद्र शाही, बबलू शाही, सुदीश प्रसाद, विभाष शाही, जयप्रकाश प्रसाद, श्रीनिवास शाही, रामनाथ प्रसाद, बालेश्वर शाही, धीरेंद्र शाही, मोतीलाल प्रसाद, राजीव शाही, राज नारायण शाही, शिवजी प्रसाद, गोल्डन शाही, निशिकांत शाही, राजू द्विवेदी सहित कई किसानों ने बताया कि सरसों पर आधारित प्रोसेसिंग यूनिट की आवश्यकता है। वैसे, इलाके जहां उत्पादन नहीं है। वहां, प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जा रही हैं, लेकिन जिन क्षेत्रों में इसका उत्पादन होता है। वहां इसकी कमी है। फसल की सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। नीलगाय और सूअर की वजह से किसान परेशान हैं। किसानों के लिए उचित व सरकारी दर पर खाद-बीज की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
प्रस्तुति: धर्मेन्द्र उपाध्याय।
सुझाव
1. किसानों को उचित दर पर खाद और बीज उपलब्ध कराने और अनुदान देने की आवश्यकता है।
2. दलहनी फसल उत्पादक किसानों के लिए उद्योग-धंधा शुरू करने और विकसित करने की जरूरत है।
3. सरसों उत्पादन के भंडारण के लिए किसानों को गोदाम के निर्माण को लेकर पर्याप्त सहायता भी मिले।
4. किसानों के लिए सरसों फसल की खेती में आसानी हो, इसके लिए बिजली कनेक्शन दिया जाए।
5. सरसों उत्पादन के लिए स्थानीय स्तर पर उद्योग लगाने की जरूरत है।
शिकायतें
1 किसानों को उत्पादन की उचित कीमत नहीं मिलती, उन्हें औने-पौने दम पर बेचना पड़ता है।
2. उत्पाद भंडारण की व्यथा नहीं होने से इसका रखरखाव भी सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।
3. खाद्य तेल आधारित उद्योग-धंधे नहीं होने से सरसों की खेती को नहीं मिल रहा बढ़ावा।
4. एमएसपी पर खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है। सहकारी समितियां भी उदासीन बनी हुई है।
5. नीलगाय, सुअर, बंदर-लंगूर से फसल की सुरक्षा है चिंता का विषय, किसान हर रोज हैं परेशान।
हमारी भी सुनिए ...
01. खेती तो अच्छी खासी किसान कर लेते हैं। लेकिन खेती करनेवाले किसानों को अनुदान मिलना चाहिए। सरसों उत्पादन के लिए बाजार उपलब्ध नहीं होने से किसान खेती कम कर दिए हैं।
- रामाशंकर शाही
02. उत्पादन की व्यवस्था होनी चाहिए। किसानों को गोदाम बनाने के लिए सरकार को सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। ताकि मूल्य वृद्धि होने के समय किसान इसे बाजार में बेचकर इसका सीधा लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
- सुनील कुमार शाही
03. खेती के लिए योग्य भूमि की पहचान होनी चाहिए। गांव के किसान खरीफ और रबी सीजन के साथ-साथ अन्य सीजन में भी सरसों की बुआई करते हैं। लेकिन दर निर्धारित नहीं होने से मुनाफा विचौलिये ले जाते है।
- प्रभु शाही।
04. खाद बीज का मूल्य अधिक होने के साथ मौसम की मार किसानों को बर्बाद कर रही है।
- रविंद्र शाही
05. किसी भी फसल के लिए पांच से छह सिंचाई की जरूरत होती है। पानी आजकल महंगा हो गया है। जिससे अधिक खर्च करना पड़ता है। किसानों को बिजली कम दर पर मिलनी चाहिए।
- योगेंद्र शाही
06. उत्पादन की खरीदारी भी सरकारी दर पर होती तो बेहतर होता। खरीदार मनमानी तरीके से खरीदारी कर किसानों का मुनाफा हड़प लेते हैं। जिससे किसानों को लागत के हिसाब से आमदनी नहीं होती है।
- सुदीश प्रसाद
07. सरसों की पैदावार अच्छी होती है। लेकिन, किसानों को प्रमाणित बीज नहीं मिल पाता है। किसानों को इधर-उधर से ही बीज खरीदकर बुआई करनी पड़ती है। किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराया जाए।
- विभाष शाही
08. खेत में जलजमाव सबसे बड़ी समस्या है। खेती योग्य भूमि को जलजमाव से मुक्त रखने का प्रयास सरकार को करना चाहिए। जलजमाव के चलते फसल उगाना मुश्किल हो जाता है। जलजमाव से फसल नष्ट हो जाती है।
- जय प्रकाश प्रसाद
09. जलजमाव किसानों के लिए चिंता का विषय बनते जा रहा है। किसान इस समस्या से परेशान हैं। इसका समाधान कृषि वैज्ञानिकों को करके बताना चाहिए।
- श्रीनिवास शाही
10. सरसों की खेती सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा है। किसान अपने स्तर से इसे बिक्री के लिए बाजार में भेजते हैं।
- मंटू शाही
11. सरसों की खेती पर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र होना चाहिए। जिससे समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सके। जिससे गुणवत्तापूर्ण बीज और उत्पादन हो सकेगा।
- राजीव शाही
12. उचित मूल्य पर सही बीज की उपलब्धता से उत्पादन में वृद्धि होगी। सीवान में सरसों आधारित उद्योग लगाने से किसानों को सही कीमत मिल सकेगा। सरकार को मूल्य निर्धारित करनी चाहिए।
- राज नारायण शाही
13. खेती में लागत बहुत अधिक आ रही है। मजदूरी के साथ खाद और बीज बहुत महंगे हो गये है। बावजूद मजदूर मुश्किल से मिलते हैं। इसलिए खेती को मनरेगा से जोड़ना चाहिए, जिससे किसानों को उचित लाभ मिल सके।
- गोल्डन शाही
14. आसपास सरसों की पैदावार वृहद पैमाने पर होता था। लेकिन नीलगायों के प्रकोप से कई किसान खेती करना बंद कर दिए हैं। किसानों को नीलगायों और वन सुअरों के प्रकोप से मुक्ति मिलनी चाहिए।
- निशिकांत शाही
15. शुद्ध सरसों तेल सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी व उत्तम माना गया है। कई तरह के व्यंजन और फास्ट फुड बनाने में सरसों तेल का प्रयोग होता है। इसकी उपयोगिता के हिसाब से इससे जुड़े किसानों को आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है।
- राजू द्विवेदी
16. किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए क्रय केन्द्र और प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना की जानी चाहिए। इससे किसानों को समय पर फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा। जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
- बबलू शाही।
17. खेती पर आधारित उद्योग लगने से यहां के कई लोगों को इसमें रोजगार भी प्राप्त होगा। इससे यहां के किसानों को फायदा होगा। इससे क्षेत्र की आर्थिक रूप से तरक्की भी होगी। साथ ही युवा पीढ़ी की खेती में दिलचस्पी जगेगी।
- मल्लू बाबा
18. नीलगायों के आतंक से परेशान किसान खेती छोड़ रहें हैं। जिससे खेती का रकबा घट रहा है। खरीफ सीजन का रकबा तो घटा ही है, रबी सीजन में भी बुआई कम हो रही है। नीलगायों और वन सुअरों से फसल को बचाना जरूरी है।
- प्रभात सिंह
19. नीलगायों के साथ-साथ जंगली सुअर फसल को काफी बर्बाद कर रहे हैं। जिसका मुनाफा पर गहरा असर पड़ रहा है।
- अंटू सिंह
20. खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक और खर-पतवार नाशक दवा की खरीद पर अनुदान के साथ मजदूरों की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही मौसम की मार की भरपाई सरकारी अनुदान से होनी चाहिए।
- पंकज सिंह
बोले जिम्मेदार
कृषि समन्वयक गुड्डू कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सरसों की खेती के लिए विभाग में कई योजना है। विभाग में योजना चलती भी है तो सीजन में चलाई जाती है। इसके लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके बाद योजना का लाभ दिया जाता है। अब योजना का लाभ लेने के लिए अगले सीजन में किसानों को आवेदन करना होगा, तब उनको योजना का लाभ मिलेगा। विभाग में उत्पादन के लिए इस वक्त योजना चल रही है। गरमा सीजन में किसान सब्जी की खेती करेंगे तो इनको विभाग की ओर से इसबार अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने की योजना है। वैसे, सरकार सरसों उत्पादक किसानों की समस्याओं को सुनकर हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास करेगी। किसानों को सहायता देने के लिए वरीय पदाधिकारियों को भी अवगत कराया जाएगा।
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