यमुना नदी में 2 वर्षों में तेजी से बढ़ा पलूशन, डीपीसीसी रिपोर्ट में हैरान करने वाला खुलासा
यमुना में पलूशन पर डीपीसीसी की एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बीते 2 वर्षों के दौरान यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है।

यमुना में पलूशन पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बीते 2 वर्षों के दौरान यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। यमुना में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर जनवरी 2025 में स्वीकार्य मानक से 42 गुना ज्यादा हो गया है। एक स्वच्छ नदी में बीओडी की मात्रा आदर्श रूप से 3 मिलीग्राम/लीटर से कम रहना चाहिए।
नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में यमुना के सबसे प्रदूषित हिस्सों में से एक नजफगढ़ नाले के आउटफॉल में बीओडी का स्तर जनवरी 2025 में 127 मिलीग्राम/लीटर हो गया। यह जनवरी 2023 में 53 मिलीग्राम/लीटर था। यह बीते दो वर्षों में सबसे अधिक दर्ज किया गया है। 'यमुना के कायाकल्प में प्रगति' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 के मध्य में यमुना में पलूशन की मात्रा में मामूली सुधार दिखा था।
हालांकि 2024 की शुरुआत और 2024 के अंत में यमुना में पलूशन के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई। रिपोर्ट में दिसंबर 2024 और मार्च 2025 के बीच दिल्ली के प्रमुख निगरानी बिंदुओं पर पलूशन में बढ़ोतरी का पता चलता है। इसी तरह ISBT कश्मीरी गेट पर BOD का स्तर नवंबर 2023 में मिलीग्राम/लीटर और दिसंबर 2024 में मिलीग्राम/लीटर तक बढ़ गया। कालिंदी कुंज के पास शाहदरा नाले के नीचे तो स्थिति और भी खराब है।
यहां जनवरी 2023 में BOD रीडिंग 56 मिलीग्राम/लीटर से बढ़कर जनवरी 2025 में खतरनाक 127 मिलीग्राम/लीटर हो गई। यह बीते 3 वर्षों के दौरान इस जगह पर उच्चतम है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि डीपीसीसी की रिपोर्ट तमाम ऐक्शन प्लान के बावजूद नदी में पलूशन रोकने की दिशा में दिल्ली की विफलताओं को उजागर करती है। विशेषज्ञ यमुना में पलूशन के लिए दो प्रमुख वजहों को जिम्मेदार मानते हैं। इनमें से एक अपर्याप्त बारिश के कारण नदी के प्रवाह में गिरावट जबकि दूसरा सीवेज प्लांट की क्षमता में ठहराव शामिल हैं।