वक्फ संपत्ति को गिराने पर उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है कि कैसे एक दरगाह को बिना नोटिस के ध्वस्त किया गया, जबकि केंद्र ने आश्वासन दिया था। याचिका में दावा किया गया कि यह स्थल 1982 से वक्फ संपत्ति के रूप में...

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजीकृत वक्फ संपत्ति (एक दरगाह) को ध्वस्त किए जाने को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि केंद्र सरकार द्वारा 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में दिए गए आश्वासन के बावजूद देहरादून में एक दरगाह को 25-26 अप्रैल की मध्यरात्रि में बिना किसी नोटिस के ध्वस्त कर दी गई। जस्टिस बी. आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले में उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इससे पहले, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि संबंधित धार्मिक स्थल को 1982 में वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया था और शीर्ष अदालत के समक्ष केंद्र द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद इसे ध्वस्त कर दिया गया।
जस्टिस गवई ने कहा कि हम इसे उन मामलों (वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से संबंधित) के साथ रखेंगे। मामले की सुनवाई 15 मई को होगी। उसी दिन वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी। अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर अवमानना याचिका में कहा गया कि दरगाह हजरत कमाल शाह को 1982 में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ्स, लखनऊ के साथ वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया था। याचिका में कहा गया कि यह 150 से अधिक वर्षों से धार्मिक महत्व का एक प्रतिष्ठित स्थल है और एक निर्विवाद वक्फ संपत्ति है।
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